वर्ष 2000 में शुरू किया गया, क्रेडिट गारंटी फंड्स फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) , लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के सहयोग से मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यम मंत्रालय (MSME) द्वारा ऑफर की जाने वाली एक सरकारी लोन योजना है। इसका फोकस उन फाइनेंशियल संस्थानों (बैंक और NBFC) को क्रेडिट गारंटी प्रदान करना है जो MSME को लोन प्रदान करते हैं। CGTMSE, MSME क्षेत्र को लोन देने वाली संस्थाओ को एक सीमा तक लोन गारंटी देती है। यह योजना बैंकों और अन्य लोन देने वाले संस्थानों को किसी भी सुरक्षा या तीसरे पक्ष की गारंटी के बिना धन प्रदान करने की अनुमति देती है।
CGTMSE उन महत्वपूर्ण प्रावधानों में से एक है जो छोटे भारतीय व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी माहौल में भी पनपने में मदद करते हैं। चूंकि किसी भी गारंटी के बिना लोन प्रदान करने का जोखिम सभी बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है, CGTMSE का उद्देश्य इन फाइनेंशियल संस्थानों को बिना किसी चिंता के MSME व्यवसायों को लोन प्रदान करने के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं।
क्रेडिट गारंटी क्या है?
क्रेडिट गारंटी एक ऐसी स्थिति को दर्शाती है, जहां बैंक एक आवेदक को लोन देता है और इस लोन की गारंटी CGTMSE लेता है जबकि आवेदक इसके बदले CGTMSE के पास कुछ गिरवी नहीं रखता है। ऐसे में लोन देने वाली संस्था द्वारा स्वीकृत की गई लोन राशि के एक बड़े हिस्से को इस CGTMSE योजना द्वारा गारंटी कवर दिया जाता है। CGTMSE योजना के तहत, सेवा उद्यमों सहित नए और मौजूदा बहुत छोटे और छोटे दोनों व्यवसाय को अधिकतम 2 करोड़ रुपये तक का लोन मिल सकता है।
ये भी पढ़े: SME/MSME लोन के लिए कैसे अप्लाई करें?
CGTMSE योजना: योग्यता शर्तें
CGTMSE योजना के लिए योग्यता शर्तें निम्नलिखित हैं:
उधार देने वाले संस्थान: सभी लिस्टेड कॉमर्शियल बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB), जिनमें NSIC, NEFDi, और SIDBI शामिल हैं, ऐसे सभी संस्ठानों को योग्य संस्थान माना जा सकता है। जो संस्थान CGTMSE के साथ एग्रीमेंट करते हैं, उन्हें मेम्बर लेन्डिंग इंस्टीट्यूशन (MLI) कहा जाता है।
योग्य लाभार्थी: सभी नए और मौजूदा MSME कुछ शर्तों के तहत इस क्रेडिट गारंटी के लिए योग्य हैं। ये सभी शर्तें निम्नलिखित हैं:
A) यह योजना लोन प्रिंसिपल राशि का 75% तक (कुछ स्तिथियों में फ़ॉल्ट प्रिंसिपल राशि का 85% तक) की गारंटी देती है। यह कवर 50 लाख रुपये तक की लोन सुविधाओं के लिए 37.50 लाख रुपये की अधिकतम गारंटी लिमिट प्रदान करती है
B) मूलराशि पर ब्याज सहित लोन अवधि का एक चौथाई या बकायाअवधि के लिए कवर किया जाता है, जैसे NPA होने पर या विवाद के मुकदमे की फाइलिंग की तारीख
C) अन्य शुल्क, जैसे कि दंड ब्याज, कमिटमेंट शुल्क, सेवा शुल्क या कोई अन्य शुल्क गारंटी कवर के लिए योग्य नहीं होते हैं
महिलाओं के मालिकाना हक़ वाले या उनके द्वारा संचालित छोटे व्यवसाय 80% के गारंटी कवर के लिए योग्य होते हैं, जबकि क्रेडिट सुविधाओं के लिए उत्तर पूर्व क्षेत्र (NER) में सभी क्रेडिट / लोन 50 लाख रुपये की गारंटी के लिए योग्य हैं। रीटेल व्यापार, शैक्षिक संस्थान, कृषि, ट्रेनिंग संस्थान और स्वयं सहायता समूह (SHG) CGTMSE के तहत गारंटी कवर के लिए योग्य नहीं हैं।
CGTMSE व्यावसायिक इकाइयों को पुनर्वास सहायता भी प्रदान करता है। यदि कोई व्यवसाय कुछ कारणों के चलते खराब स्थिति में है, तो CGTMSE योजना, उस व्यवसाय को फिर से पटरी पर लाने के लिए लोन संस्थान द्वारा दिए गए 1 करोड़ रु. तक के लोन को गारंटी देती है।
CGTMSE योजना के तहत लोन कैसे प्राप्त करें?
CGTMSE का उद्देश्य बैंकों को निष्पक्षता के साथ छोटे और ज़्यादा छोटे व्यवसायों पर ध्यान देना और व्यवसाय मॉडल सत्यापन को अधिक महत्व देना है। CGTMSE योजना के तहत लोन को कवर करने के लिए, लोन लेने वाली व्यक्ति को बैंक द्वारा लिए गए ब्याज के अतिरिक्त गारंटी शुल्क और सेवा शुल्क का भुगतान करना होता है। वर्तमान CGTMSE गारंटी शुल्क 1.5% की दर पर लिया जाता है। यह सिक्किम राज्य सहित उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए 0.75% है।
‘छोटे और मध्यम उधोगों को लोन देने के लिए पॉलिसी पैकेज’ के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से ऐसी श्रेणियों के तहत लोन लेने वाले उधारकर्ताओं से 0.25% की दर से वार्षिक सेवा शुल्क वसूलने की उम्मीद की जाती है:
- योग्य महिला उद्यमियों को दिया गया लोन
- सिक्किम और जम्मू-कश्मीर सहित उत्तर पूर्वी क्षेत्र से आने वाले आवेदकों को दिए गए लोन
CGTMSE के तहत लोन प्राप्त करने की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
व्यवसाय इकाई का गठन: CGTMSE के तहत लोन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले, लोन आवेदक को एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप, वन पर्सन कंपनी या व्यवसाय की प्रकृति के अनुसार एक व्यवसाय शुरू करना होगा और आवश्यक मंज़ूरी प्राप्त करनी होगी। इसके बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए टैक्स रजिस्ट्रेशन।
व्यवसाय योजना: आवेदकों को एक रिपोर्ट बनानी चाहिए जिसमें बाज़ार विश्लेषण और व्यवसाय योजना की जानकारी दी जाती है, जैसे व्यवसाय मॉडल, प्रमोटर प्रोफाइल, अनुमानित फाइनेंस इत्यादि। इस रिपोर्ट को लोन संस्थान को दिया जाना चाहिए। हालांकि, व्यवसायों को विचार करना चाहिए कि ऐसी प्रोजेक्ट रिपोर्ट अनुभवी पेशेवरों द्वारा तैयार की जाए। इससे लोन मंज़ूरी की संभावना बढ़ जाएगी।
बैंक लोन के लिए स्वीकृति: बैंक लोन के लिए आवेदन में आमतौर पर क्रेडिट अवधि और वर्किंग कैपिटल सुविधाएं शामिल होती हैं। आवेदन और व्यवसाय योजना के बाद, बैंकों की अलग अलग पॉलिसी के अनुसार, व्यवसाय मॉडल का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाता है और लोन आवेदन को मंज़ूरी देते हैं।
गारंटी कवर प्राप्त करना: लोन स्वीकृत होने के बाद बैंक CGTMSE प्राधिकरण को उस लोन को गारंटी देते के लिए आवेदन करता है। यदि लोन CGTMSE द्वारा अप्रूव (स्वीकृत) है, तो उधारकर्ता को गारंटी शुल्क और सेवा शुल्क देना होगा।
CGTMSE योजना के तहत MLI की लिस्ट में 131 बैंक शामिल हैं जिनमें भारत के सभी प्रमुख ग्रामीण, शहरी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और प्राइवेट सेक्टर के बैंक शामिल हैं। लिस्ट में कुछ बड़े बैंक भी शामिल हैं, जैसे भारतीय स्टेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक आदि।
व्यवसाय के लिए CGTMSE के लाभ
छोटे व्यवसाय भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग है और देश की जीडीपी में लगभग 10% का योगदान देते हैं। वे 7 करोड़ से अधिक लोगों को रोज़गार देते हैं, भले ही इन्हें फाइनेंस व बिज़नस लोन लेने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। विभिन्न बाज़ार क्षेत्रों में उनकी बड़ी उपस्थिति के बावजूद, बैंक/ NBFC, छोटे और ज़्यादा छोटे व्यवसायों के NPA को लेकर चिंतित रहते हैं। भले ही यह एक जोखिम है, लेकिन इन कारणों के चलते व्यवसायों और बैंकों दोनों के लिए समस्याएं पैदा हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, छोटे व्यवसाय लोन अप्रूवल प्रक्रिया को सरल या व्यापार के अनुकूल नहीं समझते हैं। बैंक तब तक लोन नहीं देना पसंद करते हैं जब तक कि उन्होंने सभी दस्तावेज़ों की जांच न कर ली हो और उन्हें गारंटी न मिली हो।
ऐसी परेशानियों से निपटने के लिए, CGTMSE महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आगे आया है। इसने जोखिम को साझा किया है। लोन संस्थान और लोन आवेदक दोनों को राहत पहुंचाने में मदद की है।
CGTMSE नए और मौजूदा MSMEs के लिए महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है। CGTMSE का प्रमुख लाभ यह है कि कोई व्यक्ति क्रेडिट सुविधा के लिए कवर प्राप्त कर सकता है, भले ही उसे व्यवसाय स्थापित करने में न्यूनतम या कोई भी अनुभव न हो। हालांकि इस योजना के तहत क्रेडिट कवर वैकल्पिक है, MSME मंत्रालय ने इस योजना को उचित महत्व दिया है और नियमित रूप से इसकी प्रगति की निगरानी की जाती है।
CGTMSE की प्रभावशीलता
CGTMSE, MSME सेक्टर के फाइनेंस को तेज़ी से बदल रहा है। हाल के वर्षों में, बैंक / NBFC ने बड़ी मात्रा में बड़ी संख्या में आवेदनों को मंज़ूरी दी है और उनमें से अधिकांश ने व्यवसाय को विकसित करने और विशिष्ट समय सीमा के भीतर लोन चुकाने के संदर्भ में संतोषजनक परिणाम दिए हैं। इसके अलावा, क्योंकि यह एक सरकारी योजना है, CGTMSE उपलब्ध क्रेडिट सुविधाओं का लाभ उठाने में मदद करने के लिए MSE और बैंक / NBFC के बीच जागरूकता पैदा करने की पूरी कोशिश कर रहा है।
CGTMSE लोन मंज़ूरी के संबंध में के अनुमान और नकारात्मक पक्ष
लगभग हर बैंक/ NBFC गारंटी के बदले आसानी से लोन प्रदान कर देते हैं। यह NPA के डर और नए व्यवसायियों द्वारा किए गए फैसलों की अस्पष्टता के कारण है। यही कारण है कि CGTMSE की एक प्रमुख शर्त में कहा गया है कि कंपनी के ऊपर कोई अन्य लोन नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, उद्यमियों की सही व बिना डिफॉल्ट की क्रेडिट हिस्ट्री होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, उद्यमियों को एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की आवश्यकता होती है जो स्पष्ट रूप से उनके व्यवसाय के उद्देश्य आदि की जानकारी देती है।
हालांकि, CGTMSE देश में MSME उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार का एकमात्र प्रयास नहीं है। इस उद्देश्य के लिए कई अन्य योजनाएं भी हैं जिन्होंने अपनी विशिष्ट परिस्थितियों में संतोषजनक परिणाम दिखाए हैं। इन योजनाओं में से कुछ की संक्षिप्त जानकारी निम्नलिखित है।
प्रौद्योगिकी अपग्रेड के लिए क्रेडिट लिंक कैपिटल सब्सिडी योजना (CLCSS) – लघु उद्योग मंत्रालय (SSI) इस योजना को मौजूदा प्रौद्योगिकी के अपग्रेड के लिए चलाता है, साथ ही प्लांटों और मशीनरी के साथ व्यवसायों को जीवित रहने और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में फलने-फूलने में मदद करता है। यह योजना 15% की एक एडवांस कैपिटल सब्सिडी की सुविधा प्रदान करती है जो कि SSI द्वारा लिए गए लोन के लिए अधिकतम 15 लाख रूपये है। सभी एकल स्वामित्व, पार्टनरशिप फर्म और सहकारी, निजी और सीमित कंपनियां इस योजना के लिए योग्य हैं। इस योजना के आने के बाद से, 28,000 से अधिक इकाइयों ने लगभग 1,619 करोड़ रु. की सब्सिडी का लाभ उठाया है
SIDBI –भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) ने वर्ष 1990 में अपने छोटे व्यवसायों को फाइनेंस करने के कार्यक्रम शुरू किए और अब इसे सबसे भरोसेमंद फाइनेंशियल संस्थानों में से एक माना जाता है। SIDBI द्वारा स्वीकृत की गई लोन योजनाओं ने भारत में SSI क्षेत्र को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। SIDBI द्वारा प्रदान की गई कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं:
- डायरेक्ट असिसटेंट योजना
- इनडायरेक्ट असिसटेंट योजना
- प्रचार और विकास गतिविधियाँ
- नेश्नल इक्विटी फंड
- प्रौद्योगिकी विकास और आधुनिकीकरण फंड योजना
- सिंगल विन्डो योजना
- महिला उद्योग निधि (MUN) योजना
- योजना और उपकरण फाइनेंस योजना
- चमड़ा क्षेत्र योजना (IDLSS) का विकास
- फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री व उद्योग टेक्नोलॉजी अपग्रेड फंड स्कीम (FPTUFS) – फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए योजना
NSIC – राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC) वर्ष 1999 में देश में छोटे स्तर के व्यवसायों (SSI) को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लागू हुआ। NSIC का मुख्य कार्य भाड़े की खरीद की शर्तों पर मशीनों का आयात करना है। यह योजना SSI के उत्पादों के निर्यात के साथ-साथ स्वदेशी और आयातित कच्चे माल की आपूर्ति पर भी केंद्रित है। इसके अतिरिक्त, यह योजना लघु-उद्योग के क्षेत्र में होने वाली नवीनतम प्रगति और विकास के बारे में जागरूकता पैदा करती है।
नाबार्ड – नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) का अस्तित्व कृषि आधारित ग्रामीण छोटे स्तर के व्यवसायों के प्रचार पर आधारित है। यह ज़्यादातर ग्रामीण छोटे स्तर के व्यवसायों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है, जैसे कुटीर और ग्राम उद्योग। एक शीर्ष विकास बैंक होने के नाते, संस्थान नीतिगत मामलों को भी देखता है जो भारत में ग्रामीण लोन के संचालन और विकास के लिए प्रयास करते हैं। बैंक कृषि और कुटीर उद्योगों के प्राथमिक फोकस क्षेत्रों के अलावा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे, सिंचाई, सड़क और पुल, स्वास्थ्य केंद्र, शिक्षा सुविधाएं, जल संरक्षण योजना आदि क्षेत्रों के लिए व्यापक लोन सुविधाएं और लोन प्रदान करता है।
MSMEs के लिए मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस स्कीम: यह स्कीम अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में बढ़त हासिल करने के लिए छोटे स्तर के व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे और ज़्यादा छोटे व्यवसायों को फंडिंग प्रदान करती है। यह MSME इंडिया स्टाल के तहत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिए भारतीय संगठनों को बढ़ावा देता है। यह उद्योग संघों, निर्यात संवर्धन परिषदों और FIEO द्वारा क्षेत्र-विशेष बाज़ार अध्ययन के लिए धन भी प्रदान करता है।
MSME को प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता अपग्रेड सहायता: यह योजना टिकाऊ पर्यावरण बनाने में मदद करने के लिए ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों और विनिर्माण प्रक्रियाओं को नियोजित करके प्रोडक्ट की लागत को कम करने पर केंद्रित है। यह योजना उनके उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करके MSME को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने पर केंद्रित है। भारत सरकार उत्पादन के लिए ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों को खरीदने के लिए विनिर्माण MSME के समर्थन के रूप में कुल व्यय का 75% तक प्रदान करती है।
मिनी टूल रूम और प्रशिक्षण केंद्र योजना: भारत सरकार मिनी टूल रूम और ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों को अतिरिक्त सहायता भी प्रदान करती है। सहायता एकमुश्त अनुदान-सहायता के रूप में प्रदान की जाती है। सहायता नए मिनी टूल रूम के लिए मशीनरी लागत का 90% तक फंड दे सकती है, इसकी सीमा 9 करोड़ रु. तक है। एक मौजूदा मिनी टूल रूम को अपग्रेड करने के लिए, सहायता मशीनरी की लागत का 75% तक प्रदान करती है, इसकी लिमिट 7.5 करोड़ रु है। इस तरह के टूल रूम और ट्रेनिंग सेंटर बनाने का उद्देश्य यह है कि वे कुशल श्रमिकों, पर्यवेक्षकों, इंजीनियरों और डिज़ाइनरों के कार्यबल बनाने में मदद कर सकें। यह योजना श्रमिकों और उद्योग विशेषज्ञों की भावी पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों का निर्माण करने वाले छोटे उद्यमों के लिए है।
मुद्रा लोन – MUDRA या माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी भारत सरकार द्वारा छोटे और मध्यम व्यवसायों को विकसित और रिफाइन करने के लिए स्थापित एक संगठन है। संगठन का उद्देश्य इन व्यवसायों को धन प्रदान करना है। ये संगठन इन व्यवसायों को लोन देता है जिसकी तीन श्रेणियों – शिशु लोन, किशोर लोन और तरुण लोन। मुद्रा लोन की सीमा 50,000 से 10 लाख रुपये है। MUDRA व्यवसाय के अपग्रेड या बढ़ाने के लिए भी लोन प्रदान करता है। जो कि 50,000 रु. से 5 लाख रु. तक होते हैं।
ये भी पढ़े: प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के लिए आवेदन किस प्रकार करें
संबंधित सवाल
प्रश्न. कौन से संस्थान इस योजना के तहत लोन देने के योग्य हैं?
उत्तर: चयनित क्षेत्रीय और ग्रामीण बैंकों के अलावा PSU, निजी और विदेशी बैंकों सहित सभी लिस्टेड MLI, और भारत सरकार द्वारा निर्देशित कोई अन्य बैंक योजना के तहत गारंटी कवर का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए अलग-अलग योग्यता शर्तें हैं। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जिन्हें नाबार्ड द्वारा स्थायी व्यवहार्य श्रेणी के तहत वर्गीकृत किया गया है और वर्तमान में सकारात्मक शुद्ध मूल्य के साथ व्यवहार्य श्रेणी इस योजना के तहत गारंटी कवर के लिए योग्य हैं।
प्रश्न. योजना के तहत लोन सुविधाओं के संबंध में योग्य लोन संस्थान कब गारंटी कवर के लिए आवेदन कर सकते हैं?
उत्तर: योग्य बैंक को योजना का सदस्य बनने के लिए CGTMSE के साथ एक बार का एग्रीमेंट करना होता है। इसके बाद लोन संस्थान लोन गारंटी कवर के लिए आवेदन कर सकते हैं। तिमाही समाप्त होने से पहले अप्रैल-जून, जुलाई-सितंबर, अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च की तिमाही में अप्रूव क्रेडिट प्रस्तावों के संबंध में गारंटी कवर के लिए आवेदन कर सकते हैं।
प्रश्न. क्या CGTMSE लोन संस्थान द्वारा मंज़ूर गारंटी कवर के लिए स्वीकृत प्रस्तावों की जांच करता है?
उत्तर: प्रत्येक लोन संस्थान से केवल कारगर प्रोजेक्ट की मदद करने की अपेक्षा की जाती है। CGTMSE को लोन संस्थान की प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है और वह किसी भी स्वीकृत प्रस्ताव का मूल्यांकन नहीं करता है। यदि कोई प्रस्ताव योजना के तहत मूल योग्यता शर्तों को पूरा करता है तो उन्हें कवर प्रदान किया जाएगा।
प्रश्न.क्या छोटे रोड ट्रांसपोर्टर और वॉटर ट्रांसपोर्टर इस योजना के तहत कवर के लिए योग्य हैं?
उत्तर: हाँ, छोटे छोटे रोड ट्रांसपोर्टर और वॉटर ट्रांसपोर्टर लोन जिन्हें लोन संस्थान द्वारा मंज़ूर किया जाता है, व इस योजना के तहत कवर के लिए योग्य हैं। इस उद्योग के सभी छोटे व्यवसायी जो लोन मांग रहे हैं, वे बैंकों से पूछ सकते हैं कि CGTMSE कवर को अपने लोन आवेदनों से कैसे लिंक किया जाए।
प्रश्न.क्या आवेदक को योग्य लाभार्थी बनने के लिए आईटी-पैन प्राप्त करना अनिवार्य है?
उत्तर: हाँ, आवेदक को लोन संस्थान को से सुविधा प्राप्त करने से पहले IT-PAN प्राप्त करना आवश्यक है। इसके अलावा, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139 एए (5) और धारा 272 के तहत, सभी टैक्स दस्तावेज़ों पर पैन दिखाना अनिवार्य है , जिसमें रिटर्न, चालान, अपील, आदि शामिल हैं। हालांकि, आईटी को इंगित करना अनिवार्य नहीं है।
प्रश्न.क्या लोन या वर्किंग कैपिटल को केवल एक योग्य बैंक या संस्थान द्वारा एक्सटेंड ( विस्तारित ) जा सकता है और फिर भी गारंटी योजना के तहत कवर किया जा सकता है?
उत्तर: कोई भी योग्य बैंक या फाइनेंस संस्थान लोन या वर्किंग कैपिटल सुविधा का विस्तार कर सकता है और फिर भी योजना के तहत गारंटी कवर के लिए योग्य हो सकता है।