जब भी बैंक आपकी लोन एप्लीकेशन का मूल्यांकन करते हैं, तो वो देखते हैं कि आपका क्रेडिट स्कोर कितना है, आपने अभी तक अपने लोन और क्रेडिट कार्ड का बिल भुगतान समय पर किया है या नहीं और नहीं किया है तो तय तारिख के कितने दिन बाद भुगतान किया है।
ये सब जानकारी आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दी गई होती है। क्रेडिट रिपोर्ट में ही DPD (डेज़ पास्ट ड्यूज़) दिया गया होता है यानी आपने तय तारीख के कितने दिन बाद भुगतान किया।
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Days Past Due क्या है?
Days Past Due (DPD) में बताया जाता है कि आपके तय तारीख के कितने दिन बाद अपनी EMI या क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान किया। अगर आपने अभी तक समय पर ही भुगतान किया है तो आपका DPD ‘0’ होगा। अगर आपने 30 दिनों की देरी से अपना भुगतान किया है तो आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में पिछले महीने के DPD सेक्शन में ‘30’ दिखाया जाएगा।
हो सकता है कि DPD में “XXX” लिखा हो, इसका मतलब है कि बैंक ने क्रेडिट ब्यूरो को आपका भुगतान रिकॉर्ड नहीं दिया है। अगर आपकी रिपोर्ट में ऐसा दिखाया जाता है तो आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इसका कोई प्रभाव क्रेडिट स्कोर या लोन एप्लीकेशन मंज़ूर होने की संभावना पर नहीं पड़ता है।
DPD ज़रूरी क्यों है?
DPD दिखाता है कि आपने समय पर भुगतान किया है या नहीं। इसमें पिछले 36 महीनों का आपका भुगतान रिकॉर्ड होता है। आपकी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करते समय बैंक/ लोन संस्थान देखते हैं कि आपने पहले भुगतान में देरी की है या नहीं। अगर पिछले 36 महीनों में आपका DPD ‘0’ होता है, तो आपने अपने सभी क्रेडिट कार्ड बिल और EMI के भुगतान समय पर किये हैं।
कभी-कभार भुगतान समय पर ना करने से भी आपके क्रेडिट स्कोर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है लेकिन कुछ बैंक/ लोन संस्थान आपकी एप्लीकेशन को फिर भी मंज़ूरी दे सकते हैं। हालाँकि, लगातार भुगतान में देरी करने से बैंक आपको ज़्यादा जोखिम वाले व्यक्ति के रूप में देखते हैं और इस कारण आपकी लोन या क्रेडिट कार्ड एप्लीकेशन अस्वीकार हो सकती है।
आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में DPD कब अपडेट की जाती है?
जितनी बार भी बैंक आपका डेटा क्रेडिट ब्यूरो को देते हैं, उतनी बार ब्यूरो तुम्हारी रिपोर्ट को अपडेट करते हैं और तुम्हारा क्रेडिट स्कोर नए डेटा के आधार पर कैलकुलेट करते हैं। अगर आपका डेटा हर महीने लगभग समान ही रहता है, यानी आप कोई भुगतान में चूक नहीं करते है, तो आपके क्रेडिट स्कोर में कोई बदलाव नहीं होगा।
वित्तीय विशेषज्ञों के मुताबिक, लगातार 3 महीनों तक भुगतान ना करने से बचना चाहिए क्योंकि 3 महीने भुगतान ना होने से वो लोन अकाउंट NPA (नॉन-परफोर्मिंग एसेट) में बदल जाता है, और इसका आपके क्रेडिट स्कोर और आपकी क्रेडिट प्रोफाइल पर बहुत ख़राब प्रभाव पड़ सकता है।
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सिबिल रिपोर्ट में गलत DPD दिखाने पर क्या करना चाहिए?
मान लीजिये कि आपने अपना भुगतान समय पर किया है लेकिन आपकी सिबिल रिपोर्ट में DPD में ‘0’ की जगह कोई और नंबर दिखाया जा रहा है यानी देरी से भुगतान का रिकॉर्ड, तो आप ब्यूरो को इस गलत जानकारी के बारे में सूचना दे सकते हैं।
CIBIL की वेबसाइट पर जाकर इस जानकारी को सुधारने के लिए डिस्प्यूट दर्ज करें। इसके बाद CIBIL बैंक से पता करेगा कि आपने समय पर भुगतान किया है या नहीं और उसके बाद आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में सही जानकारी अपडेट कर दी जाएगी। इस अपडेट की सूचना CIBIL आपको भी देगा।
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CIBIL रिपोर्ट में DPD कहां होता है?
CIBIL रिपोर्ट के “Payment History” सेक्शन में सभी लोन और क्रेडिट रिपोर्ट के आगे DPD दिया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास तीन एक्टिव क्रेडिट अकाउंट हैं जैसें एसबीआई क्रेडिट कार्ड, आईसीआईसीआई होम लोन और एचडीएफसी पर्सनल लोन, तो इन सभी के आगे DPD दिया गया होगा ये बताने के लिए कि पिछले 36 महीनों में आपने भुगतान समय पर किया है या नहीं।
DPD जैसे अन्य शब्द
आरबीआई के नियमों के अनुसार, कुछ बैंक/ लोन संस्थान DPD को अन्य शब्दों में लिखते हैं जैसे – STD, SUB, DBT और LSS. इन सभी की जानकारी नीचे दी गई है:
- STD: इसे कहते हैं स्टैण्डर्ड पेमेंट, मतलब कि भुगतान तय तारीख के 90 दिनों के अंदर कर दिया गया।
- SUB: इसे कहते हैं स्टैण्डर्ड-सब पेमेंट, मतलब कि भुगतान तय तारीख के 90 दिनों बाद किया गया। ऐसे उधारकर्ताओं को जोखिमभरा माना जाता है।
- DBT: इसका मतलब है कि अकाउंट 12 महीनों तक सब-स्टैण्डर्ड बना रहा है। हालाँकि, अभी भी उधारकर्ता की ओर से भुगतान की संभावना है। इस तरह के उधारकर्ताओं को बहुँत ज़्यादा जोखिमभरा माना जाता है और ज़्यादातर बैंक इनकी लोन एप्लीकेशन स्वीकार नहीं करना चाहते हैं।
- LSS: जिन उधारकर्ताओं से भुगतान की कोई संभावना नहीं रह जाती हैं उनके अकाउंट को DPD सेक्शन में LSS दिखाया जाता है। लगभग सभी बैंक/ लोन संस्थान इन उधारकर्ताओं की लोन एप्लीकेशन स्वीकार नहीं करते हैं।
ये सलह दी जाती है कि आप समय-समय पर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें, और उसमें कोई भी गलत जानकारी मिलने पर ब्यूरो को इसकी सूचना दें, ताकि जब भी आपको लोन या क्रेडिट कार्ड की ज़रूरत पड़े तो आपके पास अच्छी क्रेडिट रिपोर्ट और क्रेडिट स्कोर हो। पैसाबाज़ार.कॉम मुफ्त में आपको कई ब्यूरो से हर महीने आपकी अपडेटेड क्रेडिट रिपोर्ट देता है।

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