भारत में क्रेडिट रेटिंग
अगर हम एक आदर्श दुनिया की बात करते हैं, तो सभी के पास अपनी आवश्यक्ताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा होगा। हालाँकि, वास्तविकता की बात करें तो हम में से अधिकांश लोगों के पास अपने जीवन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बहुत कम विकल्प हैं। अपनी ज़रूरतों में विशेष रूप से कार, घर आदि लेने के लिए एक बड़ी राशि की ज़रूरत होती है, और इसके लिए बैंक से लोन लेने के लिए एक अच्छे क्रेडिट रिकॉर्ड का होना ज़रूरी है, जिसको ना केवल क्रेडिट स्कोर क्रेडिट रेटिंग द्वारा निर्धारित किया जाता है।
क्रेडिट रेटिंग- अर्थ और कार्य
क्रेडिट रेटिंग उधार लेने वाले (एक व्यक्ति, समूह या कंपनी ) का एक आकलन है, जो यह निर्धारित करता है कि क्या लोन लेने वाला व्यक्ति या कंपनी लोन एग्रीमेंट के अनुसार समय पर लोन भुगतान करने में सक्षम होगा। क्रेडिट रेटिंग आपके लोन भुगतान के रिकॉर्ड को दर्शाती है। यह क्रेडिट रेटिंग आपके लोन आवेदन को स्वीकार करने और कम ब्याज दर पर लोन देने के बैंक के फैसले को प्रभावित करती है।
हालाँकि, क्रेडिट रेटिंग भारतीय वित्तीय बाजार में एक नई अवधारणा है लेकिन धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ी है। क्रेडिट रेटिंग निवेशकों को पैसे उधार देने में शामिल जोखिम को पहचानने में मदद करती है और उधारकर्ता की लोन वापिस करने की क्षमता का उचित आकलन करती है।

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क्रेडिट रेटिंग का महत्व
क्रेडिट रेटिंग के लाभ इस प्रकार हैं:
लोन देने वाले बैंक या NBFC के लिए
- बेहतर निवेश का फैसला: कोई भी बैंक या उधार देने वाली कंपनियां किसी जोखिम भरे ग्राहक को पैसा नहीं देना चाहेंगी। क्रेडिट रेटिंग से बैंक या NBFC को उधार लेने वाले व्यक्ति या कंपनी की क्रेडिट योग्यता और उनसे जुड़े जोखिम के बारे में जान पाती है। इसका मूल्यांकन करके वे एक बेहतर निवेश करने का फैसला ले सकते हैं।
- लोन राशि की सुरक्षा: ज़्यादा क्रेडिट रेटिंग लोन राशि की सुरक्षा का आश्वासन देती है कि उसका समय पर ब्याज के साथ वापस भुगतान किया जाएगा।
उधारकर्ताओं के लिए
- लोन को आसान मंज़ूरी: ज़्यादा क्रेडिट रेटिंग मिलने पर आपको कम / बिना जोखिम वाले ग्राहक के रूप में देखा जाएगा। इसलिए बैंक आपके लोन आवेदन को जल्दी मंज़ूर करेंगे।
- कम ब्याज दर: आपको इस तथ्य के बारे में जानकारी होनी चाहिए कि हर बैंक ब्याज दरों की एक विशेष कैटेगरी में लोन प्रदान करता है। आपके द्वारा लिए गए लोन पर ब्याज की दर निर्धारित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक आपका क्रेडिट रिकॉर्ड भी है। क्रेडिट रेटिंग जितनी ज़्यादा होगी ब्याज दर उतनी ही कम होगी।
भारत में क्रेडिट रेटिंग कैसे काम करती है?
क्रेडिट रेटिंग का मूल्यांकन करने के लिए हर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के पास अपना तरीका है। हालांकि, क्रेडिट रेटिंग के प्रमुख कारक क्रेडिट रिकॉर्ड, क्रेडिट प्रकार और अवधि, क्रेडिट का इस्तेमाल, क्रेडिट एक्सपोज़र आदि हैं।ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां हर महीने अपने पार्टनर बैंकों और अन्य लोन संस्थानों से क्रेडिट जानकारी इकट्ठा करती हैं। एक बार क्रेडिट रेटिंग के लिए अनुरोध किए जाने के बाद ये एजेंसियां पूरी जानकारी इकट्ठा कर लेती हैं और कई कारकों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करती हैं।
उस रिपोर्ट के आधार पर वे हर व्यक्ति या कंपनी को ग्रेड देती हैं और उन्हें क्रेडिट रेटिंग देती हैं। इस रेटिंग का इस्तेमाल बैंकों, आर्थिक संस्थानों और निवेशकों द्वारा पैसा निवेश करने, बॉन्ड खरीदने, लोन या क्रेडिट कार्ड देने का फैसला लेने के लिए किया जाता है। अच्छी क्रेडिट रेटिंग होने पर कम ब्याज दरों पर लोन मिलने की ज़्यादा संभीवना होती है।
भारत में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एक ऐसी संस्था है जो ऐसे किसी व्यक्ति, व्यवसाय या कंपनी की लोन योग्यता का मूल्यांकन करती है जो लोन लेना चाहता है या बैंक में क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता है। आइए भारत में क्रेडिट एजेंसियों पर एक नज़र डालते हैं।
1. क्रिसिल
क्रेडिट रेटिंग इनफॉर्मेशन सर्विस ऑफ इंडिया लिमिटेड (CRISIL) देश की पहली क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है जिसे 1987 में स्थापित किया गया था। यह कंपनियों की क्रेडिट योग्यता को कंपनी की ताकत, बाज़ार में उनकी हिस्सेदारी, बाज़ार में उनकी प्रतिष्ठा और बोर्ड के आधार पर कैलकुलेट करती है। यह कंपनियों, बैंकों और ऑर्गेनाइजेशन को भी रेट देता है, साथ ही निवेशकों को कंपनियों के बॉन्ड में निवेश करने से पहले बेहतर फैसला लेने में मदद करता है। यह 8 प्रकार की क्रेडिट रेटिंग प्रदान करता है जो इस प्रकार हैं:
- AAA, AA, A – अच्छी क्रेडिट रेटिंग
- BBB, BB – औसतक्रेडिट रेटिंग
- B, C, D – कमक्रेडिट रेटिंग
2. ICRA
इस एजेंसी की स्थापना वर्ष 1991 में हुई थी और इसका मुख्यालय मुंबई में है। पहले इसका नाम इंवेस्टमेंट इनफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एंजेसी (IICRA) था। वहीं अप्रैल 2007 में इसका नाम बदलकर ICRA Limited कर इसको बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की लिस्ट में शामिल कर दिया गया। यह पारदर्शी रेटिंग सिस्टम के जरिए से कॉर्पोरेट्स को व्यापक रेटिंग प्रदान करता है। ICRA द्वारा दी गई क्रेडिट रेटिंग के प्रकार इस प्रकार हैं:
- बैंक लोन क्रेडिट रेटिंग
- कॉर्पोरेट लोन रेटिंग
- कॉर्पोरेट गवर्नेंस रेटिंग
- फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग
- इशुअर रेटिंग
- इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर रेटिंग
- बीमा सेक्टर की रेटिंग
- म्यूचुअल फंड रेटिंग
- पब्लिक फाइनेंस रेटिंग
- प्रोजेक्ट फाइनेंस रेटिंग
- स्ट्रक्चर फाइनेंस रेटिंग
- एसएमई रेटिंग
3. CARE
क्रेडिट एनालिसिस एंड रिसर्च लिमिटेड (CARE) लोन, बैंक लोन, कॉर्पोरेट गवर्नेंस , वसूली, फाइनेंशियल सेक्टर और ज़्यादा क्षेत्रों में क्रेडिट रेटिंग सर्विस की एक सीरीज प्रदान करता है। इसकी रेटिंग के पैमाने में दो श्रेणियां शामिल हैं पहला लॉन्ग टर्म डेट साधन और दूसरा शॉर्ट टर्म लोन रेटिंग।
4. ONICRA
ओनिडा इंडिविजुअल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया वर्ष 1993 में स्थापित की गई, जो व्यक्तियों और व्यवसायों दोनों को क्रेडिट मूल्यांकन और क्रेडिट स्कोर सर्विस सेवाएं प्रदान करती है। इसके साथ ही यह व्यक्तियों, छोटे और मध्यम व्यवसायों और कॉर्पोरेट के लिए जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट भी प्रदान करता है। इसकी रेटिंग दो कारकों आर्थिक स्तिथि और प्रदर्शन पर आधारित है ।
5. SMERA
स्मॉल मीडियम एंटरप्राइजेज रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया (SMERA) लिमिटेड के SME रेटिंग और बॉन्ड रेटिंग दो भाग है। यह वर्ष 2011 में स्थापित किया गया था और यह वित्तीय पेशेवरों का एक केंद्र है। यह निम्नलिखित रूप में क्रेडिट रेटिंग प्रदान करता है:
- AAA, AA, A – कमक्रेडिट जोखिम
- BBB, BB – मध्यमक्रेडिट जोखिम
- B, C – ज़्यादा क्रेडिट जोखिम
- D- डिफॉल्टेड
6. ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
यह क्रेडिट रेटिंग एजेंसी बैंक लोन, नगर निगम, कैपिटल बाज़ार साधन और एसएमई को रेट करने की ज़िम्मेदार है। इसके अलावा यह रियल स्टेट इंवेस्टमेंट, अस्पताल, गैर सरकारी संगठनों, MFI, आदि को भी ग्रेड देती है। यह विभिन्न वित्तीय साधन के आधार पर विभिन्न रेटिंग प्रणाली प्रदान करता है। इसका मुख्यालय बैंगलोर में है।

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क्रेडिट रेटिंग और क्रेडिट स्कोर के बीच अंतर क्या है?
अक्सर, इन दोनों शब्दों को आपस में जोड़ा जाता है, लेकिन वे एक जैसे नहीं होते हैं। यहाँ दोनों के बीच अंतर हैं:
क्रेडिट रेटिंग मूल रूप से किसी बिज़नस या कंपनी की क्रेडिट योग्यता है। हालांकि, यह हमारे जैसे व्यक्तियों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता ये रेटिंग कॉरपोरेट संस्थान/ कंपनी की आर्थिक स्तिथि पर निर्भर करता है। ज़्यादा रेटिंग का मतलब है, कम डिफ़ॉल्ट भुगतान की संभावना है।
जबकि क्रेडिट स्कोर एक संख्या है, जो क्रेडिट ब्यूरो द्वारा कैलकुलेट की जाती है और क्रेडिट सूचना रिपोर्ट के आधार पर व्यक्तियों को दी जाती है। यह संख्या 300 और 900 के बीच हो सकती है। क्रेडिट रिपोर्ट लोन और क्रेडिट कार्ड मंज़ूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।