अमॉर्टाइज़ेशन शेड्यूल में बताया जाता है कि आपको कब तक अपने लोन का भुगतान करना है और आपकी हर महीने की ईएमआई में लोन की मूल राशि का कितना हिस्सा होगा। बता दें, कि आमतौर पर लोन भुगतान की शुरुआत में जो ईएमआई जाती है उसमें ब्याज का हिस्सा ज़्यादा होता है और मूल लोन राशि का कम, और भुगतान अवधि के अंत में मूल लोन राशि का ज़्यादा और ब्याज का कम।
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जैसे-जैसे आप ईएमआई का भुगतान करते जाते हैं, ब्याज राशि का अनुपात कम हो जाता है जबकि पिछली किस्त की तुलना में मूल राशि बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए: आपने 10 साल तक की अवधि के लिए 5 लाख रु. का लोन लिया है, जिसकी ब्याज दर 8% प्रति वर्ष है। तो भुगतान की जाने वाली लोन ईएमआई का ब्रेकअप अमॉर्टाइज़ेशन शेड्यूल में कुछ इस तरह दर्शाया जाएगा:
ईएमआई नं. | ईएमआई राशि | मूल राशि | ब्याज | कुल ब्याज | बकाया मूल राशि |
1 | ₹6,066 | ₹2,733 | ₹3,333 | ₹3,333 | ₹497,267 |
2 | ₹6,066 | ₹2,751 | ₹3,315 | ₹6,648 | ₹494,516 |
3 | ₹6,066 | ₹2,769 | ₹3,297 | ₹9,945 | ₹491,747 |
4 | ₹6,066 | ₹2,788 | ₹3,278 | ₹13,223 | ₹488,959 |
अमॉर्टाइज़ेशन शेड्यूल तैयार करना
लोन अवधि, हर महीने जितनी ईएमआई का भुगतान करना है, ब्याज दर और ईएमआई राशि जैसी लोन संबंधी जानकारी से अमॉर्टाइज़ेशन शेड्यूल को आसानी से तैयार किया जा सकता है। आइए इसे ऊपर दिए गए उदाहरण के ज़रिए समझते हैं, जहां 8% प्रति वर्ष की ब्याज दर पर 10 सालों के लिए 5 लाख रुपये तक की लोन राशि ऑफर की गई है। आपको हर महीने 6,066 रु. तक ईएमआई का भुगतान करना है। पहले महीने की ईएमआई में कितने ब्याज का भुगतान करना है, इसे कैलकुलेट करने के लिए लोन राशि को ब्याज दर से मल्टीप्लाई करें। जैसा कि ब्याज दर प्रति वर्ष के हिसाब से लागू है, मासिक ब्याज को कैलकुलेट करने के लिए इसे 12 से विभाजित करना पड़ता है। इस प्रकार, (5,00,000*.08/12) पर पहले महीने की ब्याज राशि 3,333 रु. होगी। ईएमआई से इस ब्याज राशि को घटाकर महीने में भुगतान की जाने वाली मूल राशि को कैलकुलेट किया जा सकता है, यानी मूल राशि (₹6,066- ₹3,333 = ₹2,733) बनती है।
अपने लोन की बकाया राशि को कैलकुलेट करने के लिए लोन राशि से पहली किस्त में भुगतान की गई मूल राशि को घटा दें। अगले महीने की ईएमआई में शामिल ब्याज और मूल राशि को कैलकुलेट करने के लिए, ऊपर दी गई कैलकुलेशन ही करनी है, लेकिन नई लोन राशि को ध्यान में रखते हुए।
पूरी लोन अवधि के दौरान, अमॉर्टाइज़ेशन शेड्यूल को बनाए जाने तक ऊपर दी गई कैलकुलेशन ही करें।
कई अमॉर्टाइज़ेशन कैलकुलेटर ऑनलाइन उपलब्ध हैं जिनके ज़रिए आप लोन राशि, ब्याज दर और लोन अवधि प्रदान करके लागू मासिक फीस की कैलकुलेशन भी कर सकते हैं। इन कैलकुलेटर के ज़रिए, उस लोन के लिए भुगतान की जाने वाली ईएमआई की आसानी से कैलकुलेशन की जा सकती है।
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लोन अमॉर्टाइज़ेशन
लोन अमॉर्टाइज़ेशन के तहत, उधारकर्ता निश्चित अंतराल पर एक निश्चित ईएमआई राशि का भुगतान करता है। इन भुगतानों में मूलधन के साथ-साथ ब्याज भी शामिल होता है। यह बलून पेमेंट से अलग है जहां पूरी अवधि के दौरान केवल ब्याज का भुगतान किया जाता है और मूल राशि का भुगतान एक साथ लोन अवधि के अंत में किया जाता है।
मूल राशि और ब्याज एक-दूसरे से कैसे संबंधित हैं?
जैसा कि पहले बताया गया है, ईएमआई का भुगतान हो जाने के बाद बकाया मूल राशि को ध्यान में रखते हुए ब्याज की कैलकुलेशन की जाती है। इस प्रकार, जैसे-जैसे आप लोन ईएमआई का भुगतान करते जाते हैं, ब्याज राशि कम होती जाती है। जैसा कि शुरुआती भुगतान के बाद ईएमआई के तहत मूल राशि का हिस्सा अधिक होता है, इसलिए हर बार भुगतान करने पर मूल राशि बढ़ती जाएगी। जब एक लोन की पूरी अवधि के दौरान किए जाने वाले पीरियडिक पेमेंट के बारे में बात की जाती है तो इसके तहत ब्याज और मूल राशि विपरीत रूप से संबंधित होते हैं, यानि कि ब्याज राशि बढ़ती है तो मूल राशि कम होती है और मूल राशि बढ़ती है तो ब्याज कम होता है।
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पूरी तरह से अमॉर्टाइज़िंग पेमेंट
अगर आप अमॉर्टाइज़ेशन शेड्यूल के अनुसार अपनी ईएमआई का भुगतान करती हैं तो अवधि खत्म होने तक आराम से समय पर लोन को चुकाया जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पीरियडिक पेमेंट यानी ईएमआई में मूल राशि के साथ- साथ ब्याज भी शामिल होती है। जैसे- जैसे आप ईएमआई का भुगतान करती जाती हैं, प्रत्येक मासिक भुगतान में मूल राशि का रेश्यो बढ़ता जाता है और ब्याज राशि कम होती जाती है। इसके विपरीत, यदि आप लोन के शुरुआती चरण में अमॉर्टाइज़ेशन शेड्यूल के मुताबिक भुगतान नहीं करती हैं, तो आपको बाद में अधिक दर पर भुगतान करना पड़ेगा।
इस प्रकार, हम यह कह सकते हैं कि अमॉर्टाइज़ेशन शेड्यूल बहुत ज़रूरी है। इससे उधारकर्ता को बकाया लोन राशि, उस पर भुगतान किए जाने वाले ब्याज का विश्लेषण और उसकी कैलकुलेशन करने में मदद मिलती है। इसके ज़रिए लोन अवधि के दौरान भुगतान की जाने वाली कुल ब्याज की कैलकुलेशन भी की जा सकती है।
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