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अगर आप अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह फैसला समझदारी और तैयारी के साथ लेना बेहद ज़रूरी है। बिज़नेस लोन लेने से पहले कुछ अहम बातें जान लेना न केवल आपकी लोन अप्रूवल की संभावना बढ़ाता है, बल्कि बेहतर शर्तों पर लोन पाने में भी मदद करता है।
बिज़नेस लोन एक ऐसी सुविधा है जो सेल्फ-एम्प्लॉयड, प्रोफेशनल्स, कंपनियों और MSMEs को वर्किंग कैपिटल, नई मशीनें खरीदने या अन्य बिज़नेस खर्चों के लिए दी जाती है। यह सिक्योर्ड या अनसिक्योर्ड हो सकता है और फ्लेक्सिबल टर्म्स के साथ आपके बिज़नेस को कैश फ्लो मैनेज करने और ग्रोथ हासिल करने में मदद करता है।
बिज़नेस लोन की ब्याज दरें एक बैंक व एनबीएफसी से दूसरे बैंक/NBFCs में अलग-अलग होती है। जो कि लोन स्कीम, गिरवी रखे समान की वैल्यू व नेचर, क्रेडिट स्कोर, रिपेमेंट हिस्ट्री, लोन राशि, लोन अवधि और लेंडर की अपनी जोखिम क्षमता जैसे कारकों पर निर्भर करता है। इन फैक्टर्स के आधार पर एक ही आवेदक को उसकी प्रोफाइल के अनुसार अलग-अलग लेंडर्स से विभिन्न ब्याज दरों पर लोन मिल सकता है। इसलिए लोन आवेदन करने से पहले विभिन्न लेंडर के बिज़नेस लोन ऑफर्स की तुलना ज़रूर करें।
जिसके लिए पैसाबाज़ार जैसे ऑनलाइन फाइनेशियल मार्केटप्लेस का इस्तेमाल करें। यहां आपको एक ही जगह आपकी योग्यता अनुसार विभिन्न लेंडर्स के लोन ऑफर्स मिलते हैं, जिनके बीच तुलना करके अपने लिए बेहतर (कम ब्याज दर वाले) लोन विकल्प चुन सकते हैं।

बिज़नेस लोन मिलने में लगने वाला समय भी कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें लोन का प्रकार (सिक्योर्ड, अनसिक्योर्ड, प्री-अप्रूव्ड), लेंडर की पॉलिसी, सिक्योरिटी, डॉक्यूमेंट्स आदि शामिल हैं। अगर लोन प्री-अप्रूव्ड है तो 24 घंटे से लेकर 1 दिन में मिल डिस्बर्स हो सकता है। जबकि अनसिक्योर्ड लोन के डिस्बर्ल में कुछ दिन से लेकर कुछ हप्ते का समय लग सकता है। ऐसे में अगर आपको लोन जल्दी चाहिए तो कम समय में लोन देने वाले लेंडर को चुनें।
अधिकतर बिज़नेस लोन के लिए गारंटी या कोलैटरल की आवश्यकता होती है, जो स्टॉक्स या बुक डेब्ट्स, म्यूचुअल फंड्स, प्रॉपर्टी, लिक्विड सिक्योरिटी या कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट आदि हो सकता है। इन सिक्योरिटीज़ से लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही कम ब्याज दर पर लोन भी मिल सकता है। हालांकि ध्यान रहे कि गिरवी रखे संपत्ति के प्रकार और वैल्यू का लोन की शर्तों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
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क्रेडिट स्कोर या रेटिंग लोन की योग्यता शर्तों और ब्याज दरों को प्रभावित करने वाले अहम फैक्टर्स में से एक है। इससे किसी आवेदक के वित्तीय विश्वसनीयता का पता चलता है। यानी उसने अपने पिछले लोन की ईएमआई का समय पर भुगतान किया है अथवा नहीं। समय पर भुगतान करने से क्रेडिट स्कोर या रेटिंग हाई होता है, ऐसे आवेदकों को लोन देने में लेंडर्स का जोखिम कम होता है। परिणामत: हाई क्रेडिट स्कोर या रेटिंग से न केवल लोन मंजूरी की संभावना बढ़ती है बल्कि बेहतर शर्तों पर लोन भी मिल सकता है।
यह भी पढ़ें- कम सिबिल स्कोर होने पर बिज़नेस लोन कैसे प्राप्त करें?
लोन में न सिर्फ ब्याज दरों का बल्कि प्रोसेसिंग फीस व अन्य चार्जेस का भी अहम योगदान होता है। टर्म लोन में प्रोसेसिंग फीस और प्रीपेमेंट चार्जेस लोन की कुल लागत बढ़ा सकते हैं। हालांकि ओवरड्रॉफ्ट जैसी सुविधा में कोई प्रीपेमेंट चार्जेस नहीं लगता। इसलिए ब्याज दरों के साथ अन्य चार्जेस की भी तुलना करें और फिर अपने लिए बेहतर लोन विकल्प का चुनाव करें।
जिस लोन संस्थान से बिज़नेस लोन लेना है, उसके ऑफिशियल वेबसाइट पर या बैंक ब्रांच जाएं। इसके अलावा पैसाबाज़ार जैसे ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केटप्लेस पर विभिन्न लेडर्स के लोन ऑफर्स की तुलना करके, अपने लिए उपयुक्त लोन ऑफर के लिए आवेदन कर सकते हैं।
बिज़नेस लोन लेना सिर्फ़ कागज़ी औपचारिकताएं पूरी करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आपके बिज़नेस के लिए सही लोन चुनने का निर्णय है। इसलिए सबसे पहले तय करें कि आपको लोन की ज़रूरत क्यों है? इसके साथ ही अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत रखें, क्रेडिट स्कोर पर ध्यान दें और विभिन्न बैंकों/लेंडर्स के ऑफ़र की तुलना करें। शुरुआती तैयारी में लगाया गया थोड़ा समय आगे आपको बेहतर शर्तों और सही लोन दिलाने में मदद कर सकता है।