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आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का चलन काफी बढ़ चुका है जिसके साथ-साथ कूरियर सेवाओं में भी बढ़ोतरी हो चुकी है। ऐसे में कूरियर का बिज़नेस शुरू कर आप काफी लाभ कमा सकते हैं। कूरियर सेवाओं के ज़रिए दस्तावेज़ और समान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाता है। कूरियर बिज़नेस शुरू करने से पहले उसकी योजना तैयार करना ज़रूरी है, क्योंकि अच्छी योजना के ज़रिए आप अपने बिज़नेस को न सिर्फ सुचारु रूप से चला सकते हैं बल्कि उसका विकास भी कर सकते हैं। कूरियर बिज़नेस के बारे में अधिक जानकारी के लिए ये लेख पढ़ें।
कूरियर बिज़नेस (Courier Business) शुरू करते समय अपने टार्गेट मार्केट का पता लगाएं। साथ ही अगर आप किसी बड़े शहर में कूरियर बिज़नेस शुरू कर रहें हैं तो वहां किसी अन्य कूरियर कंपनी के पहले से मौजूद होने की संभावनाएं अधिक हैं। ऐसे में आपको अपने बिज़नेस को वहां स्थापित करने के लिए कुछ ऐसी चीज़ें ऑफर करनी होगी जो दूसरी कूरियर कंपनी ऑफर न कर रही हो। जैसे एक दिन के भीतर पैकेज की डिलीवरी या कुछ खास ब्रांडों की तीव्र डिलीवरी आदि।
एक कंपनी शुरू करने या एक नेटवर्क स्थापित करने के लिए बिज़नेस मालिकों को बिज़नेस के शुरूआती स्तर पर निवेशकों से फंड जुटाने की आवश्यकता होती है।
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प्रोडक्ट्स की डिलीवरी करने के लिए गाड़ियां होनी आवश्यक है। डिलीवरी के सामान का आकार और उसका वज़न अलग–अलग हो सकता है इसलिए कूरियर कंपनियां ऐसे बड़े वाहनो को चुनते हैं, जिनमें सामान रखने की अच्छी जगह हो। जिन कूरियर वाहनों का उपयोग किया जा सकता है उनमें कार्गो वैन, लॉरी, छोटे ट्रक, बाइक या टेम्पो शामिल हैं। ऐसे में कूरियर बिज़नेस (Courier Business) में माल को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए वाहनों की आवश्यकता होती है।
पार्सल को पैक करने और ले जाने के लिए कुछ आवश्यक उपकरणों की आवश्यकता होती है जैसे विभिन्न प्रकार के कार्टन, बॉक्स, डॉली, हैंड ट्रक, टेप, कार्गो स्ट्रैप, मूविंग ब्लैंकेट और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए जीपीएस डिवाइस और स्मार्टफोन।
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सबसे महत्वपूर्ण स्टेप है बिज़नेस के लिए एक नाम का चुनाव करना। जिसे कंपनी अधिनियम 2013 के तहत रजिस्टर करने की आवश्यकता होती है। कूरियर बिज़नेस (Courier Business) को सोल प्रोपरायटरशिप, पार्टनरशिप फर्म, प्राइवेट लिमिटेड या पब्लिक लिमिटेड कंपनी, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप आदि के रूप में रजिस्टर किया जा सकता है। .`
कंपनी के रजिस्टर हो जाने के बाद, आपको वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्तिकर्ता की कानूनी इकाई के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए जीएसटी और सर्विस टैक्स रजिस्ट्रेशन के लिए एक एप्लीकेशन जमा करने की आवश्यकता होती है।
एक कूरियर कंपनी अपने कस्टमर्स के कीमती पार्सल को सुरक्षित डिलीवर करने की जिम्मेदारी वहन करती है। इसलिए, बिज़नेस या पार्सल के जोखिम को कम करने के लिए, बिज़नेस के मालिकों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए बिज़नेस इंश्योरेंस करवाना ज़रूरी है। साथ ही इंश्योरेंस पॉलिसी भी आवश्यक हो जाती है, क्योंकि यह कस्टमर्स के साथ उनकी वस्तुओं और कंपनी के संबंध में विश्वास पैदा करती है।
किसी भी कंपनी की अच्छी कस्टमर सर्विस और रेट्स बिज़नेस को सफल बनाने का काम करती हैं। इसलिए छिपे हुए चार्ज़ेस तय करते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि वे चार्ज़ेस होने वाले लाभ से कहीं ज्यादा तो नहीं और उसी आधार पर मार्जिन तय करना चाहिए। इन चार्ज़ेस में शामिल हैं वाहन रखरखाव लागत, बुककीपिंग फीस, सोशल सिक्योरिटी टैक्स, बिज़नेस परमिट रिन्यूअल फीस, सैलरी हाइक और किराए में वृद्धि आदि।
कस्टमर हमेशा यह जानने को इच्छुक रहते हैं कि उनका पार्सल कब और कितने समय में उन तक पहुंचेगा। ऐसे में कूरियर को ट्रैक करने के लिए एक ट्रैकिंग ऐप बनाना उनके लिए सुविधाजनक रहेगा। कस्टमर की सुविधा के लिए एक कूरियर ट्रैकिंग ऐप बनाने के लिए एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी से संपर्क करें, क्योंकि यह ऐप प्रत्येक पार्सल के लिए सटीक डिलीवरी समय प्रदान करने में मदद करेगा। कूरियर ट्रैकिंग ऐप अपने कस्टमर को पार्सल की रीयल–टाइम जानकारी प्रदान करेगा।
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अगर बिज़नेस के मालिक एक यूनिक ब्रांड बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं या कंपनी के अपने वांछित नाम को पेटेंट कराना चाहते हैं, तो वे ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं और अपना नाम रजिस्टर करवा सकते हैं। अगर कूरियर बिज़नेस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करता है, तो कूरियर आयात और निर्यात (निकासी) विनियम, 1998 के तहत कंपनी को रजिस्टर करना आवश्यक है। इसलिए, इन सभी चरणों और उपायों पर विचार करके, कूरियर बिज़नेस शुरू करना आसान और सुविधाजनक होगा।
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