‘अपना घर’ हर किसी का सपना होता है, कुछ लोग इस सपने को होम लोन की मदद से पूरा करते हैं। लेकिन होम लोन लेना हर किसी के लिए आसान नहीं होता है। खासकर तब जब इनकम और क्रेडिट स्कोर कम हो। ऐसे में होम लोन के लिए सह-आवेदक जोड़ना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। सह-आवेदक होने से न सिर्फ आपके लोन मिलने की संभावना बढ़ती है बल्कि कम ब्याज दर, लंबी अवधि जैसे अन्य फायदे भी मिलते हैं। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़ें-
कौन बन सकता है होम लोन को-एप्लीकेंट?
आप अपने परिवार के सदस्यों को सह-आवेदक के रूप में जोड़ सकते हैं। ये सदस्य पति-पत्नी, पेरेंट्स या नज़दीकी रिश्तेदार हो सकते हैं। हालांकि आपके परिवार का कौन-सा सदस्य सह-आवेदक बनने के योग्य हैं, यह एक बैंक या HFCs से दूसरे लोन संस्थान में अलग-अलग हो सकता है। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि प्रॉपर्टी के सभी को-ओनर (सह-मालिक), होम लोन को-एप्लीकेंट हो सकते हैं। लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि सभी सह-आवेदक (co-applicants) संपत्ति के सह-मालिक (co-owners) भी हों।
होम लोन में सह-आवेदक जोड़ने का फायदा
होम लोन में को-एप्लीकेंट जोड़ कर आप अपने लोन मिलने की योग्यता बढ़ा सकते हैं, अधिक लोन राशि पा सकते हैं साथ ही टैक्स में अधिक बचत जैसे लाभ प्राप्त कर सकते हैं। बेहतर समझ के लिए नीचे दिए गए पॉइंट्स को पढ़ें-
1. लोन मिलने की संभावना बढ़ती है
होम लोन आवेदन का मूल्यांकन करते समय बैंक और HFCs कई सारे फैक्टर्स पर विचार करते हैं, जिसमें आवेदक की इनकम, क्रेडिट स्कोर और भुगतान क्षमता आदि शामिल है। इसलिए अगर आप होम लोन में किसी ऐसे कमाऊ सदस्य को जोड़ते हैं, जिसका क्रेडिट स्कोर अधिक है, स्थाई इनकम है और पर्याप्त भुगतान क्षमता है, तो लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
क्योंकि सह-आवेदक भी लोन भुगतान के लिए उतना ही जिम्मेदार होता है, जितना होम लोन आवेदक। इससे लोन देने में बैंक व एचएफसी का रिस्क कम हो जाता है और लोन मिलने की योग्यता बढ़ जाती है। हालांकि ध्यान रहे कि एक भी लोन EMI भुगतान में चूक या देरी का असर एप्लीकेंट और को-एप्लीकेंट दोनों के क्रेडिट स्कोर पर पड़ेगा।
2. अधिक लोन राशि पा सकते हैं
आमतौर पर बैंक व एचएफसी ऐसे आवेदकों को होम लोन देना पसंद करते हैं, जिनका EMI/NMI रेश्यो 50-60% के भीतर andar) होता है। यानी आप अपनी मंथली इनकम का कितना प्रतिशत नए और मौजूदा लोन की ईएमआई पर खर्च करते हैं, ये रेश्यो ही EMI/NMI रेश्यो कहलाता है। इसकी मदद से लेंडर आवेदक के भुगतान क्षमता का आकलन करते हैं।
अगर आपकी भुगतान क्षमता कम होने की वजह से मनचाही लोन राशि नहीं मिल पा रही है तो अपने परिवार के किसी कमाने वाले सदस्य को सह-आवेदक बनाकर अधिक लोन राशि पा सकते हैं। आमतौर पर 70 साल की उम्र तक होम लोन रिपेमेंट कर सकते हैं। ऐसे में अगर आप किसी ऐसे सदस्य को सह-आवेदक बनाते हैं जो रिटायरमेंट के करीब है तो होम लोन भुगतान के लिए कम समयावधि मिलेगी। कम अवधि का मतलब है अधिक मासिक किश्त। इसके उल्ट परिवार के युवा कमाऊ सदस्य को सह-आवेदक बनाने लंबी अवधि वाला होम लोन मिल सकता है।
3. महिला आवेदकों को मिलती है स्पेशल छूट
घर में महिलाओं का मालिकाना हक बढ़ाने के लिए कई बैंक व एचएफसी महिला आवेदकों को होम लोन इंटरेस्ट रेट में डिस्काउंट देते हैं। जो आमतौर पर 0.50% होता है। ये छूट बेशक एक छोटा प्रतिशत है लेकिन होम लोन के कुल ब्याज लागत में बचत करने में अहम योगदान निभाता है।
4. टैक्स में मिलता है ज़्यादा फायदा
होम लोन में प्रिंसिपल रिपेमेंट और इंटरेस्ट रिपेमेंट दोनों पर टैक्स में छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं। इनकम टैक्स के सेक्शन 24(b) के तहत एक वित्तीय वर्ष में ब्याज भुगतान पर 2 लाख रु. का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। ऐसे में अगर कोई पति-पत्नी ज्वॉइंट होम एप्लीकेंट हैं तो वह अपनी टैक्स स्लैब के हिसाब से, साथ में 4 लाख रु. तक डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। हालांकि दोनों मिलकर भी भुगतान किए गए ब्याज से ज़्यादा का डिडक्शन क्लेम नहीं कर सकते हैं।
इसी तरह सेक्शन 80C के तहत एक सदस्य एक वित्तीय वर्ष में प्रींसिपल रिपेमेंट पर 1.5 लाख रु. तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है। यानी आवेदक और सह-आवेदक दोनों को मिलाकर 3 लाख रु. तक का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। गौरतलब है कि दोनों मिलकर एक साल में जितना प्रींसिपल अमाउंट का भुगतान किया है उससे अधिक राशि के लिए टैक्स छूट के लिए क्लेम नहीं कर सकते हैं।
निष्कर्ष
होम लोन लेते समय को-एप्लीकेंट जोड़ने से न सिर्फ लोन अप्रूवल की संभावना बढ़ती है, बल्कि लंबा टेन्योर, कम EMI और टैक्स में ज़्यादा बचत जैसे फायदे भी मिलते हैं। खासकर जब को-एप्लीकेंट एक कमाऊ और युवा सदस्य हो, तो होम लोन पाना और भी आसान हो जाता है। इसलिए, स्मार्ट होमबायर्स के लिए को-एप्लीकेंट जोड़ना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है।