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नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) भारत में एक विकास वित्तीय संस्था है जो कृषि और ग्रामीण संबंधित उपक्रमों के लोन प्रोजेक्ट, नीति और संचालन के लिए लोन प्रदान करता है। नाबार्ड (NABARD) कृषि संबंधी गतिविधियों और ग्रामीण विकास के लिए लोन प्रदान करता है। संस्था का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों का विकास है। नाबार्ड के लगभग तीन मुख्य सेक्टरो में कार्य करता है जिनमें फाइनेंस, विकास और निरीक्षण शामिल है।
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नाबार्ड (NABARD) द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत बैंकों और NBFC को प्रदान किये जाने वाले लोन की ब्याज दरें निम्नलिखित हैं:
| नाबार्ड ब्याज दर | |
| शार्ट-टर्म री-फाइनेंस सहायता | निम्न संस्थानों के लिए 4.50% से शुरू:
|
| लॉंग-टर्म री-फाइनेंस सहायता | 5.80% से शुरू |
| क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक /STCB / राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक | 5 वर्ष और ज़्यादा का लोन देने के लिए: 6.40%
3 से 5 वर्ष का लोन देने के लिए: 6% 18 महीनों से 3 वर्ष तक का लोन देने के लिए 5.50% |
| राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (SCRDB) | 5 वर्ष और ज़्यादा का लोन देने के लिए: 6.45%
3 से 5 वर्ष का लोन देने के लिए: 6.5% 18 महीनों से 3 वर्ष तक का लोन देने के लिए 5.55% |
| सीधे लोन पर | बैंक दर – 1.5% |
नोटः ऊपर दी गई ब्याज दरें नाबार्ड और RBI के विवेक पर निर्भर करती हैं। शुल्क पर GST और सर्विस टैक्स भी लगाया जाएगा।
नाबार्ड (NABARD) कुटीर उद्योगों, ग्रामीण परियोजनाओं, ग्राम परियोजनाओं, छोटे उद्योगों आदि के विकास के लिए भी ज़िम्मेदार है। आइए नाबार्ड की विशेषताओँ और योजनाओं पर चर्चा करें।
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1. री-फाइनेंस – शार्ट-टर्म लोन
फसल उत्पादन के उद्देश्य से किसानों को विभिन्न फाइनेंस संस्थानों द्वारा शार्ट-टर्म लोन या फसल लोन दिए जाते हैं। इस लोन को प्रदान करके, कोई भी देश में खाद्य सुरक्षा के बारे में आश्वासन दे सकता है। वर्ष 2017-18 में नाबार्ड (NABARD) ने अनेक फाइनेंस संस्थानों को मौसमी कृषि कार्यों के लिए, 55,000 करोड़ रु. राशि का शार्ट-टर्म लोन दिया है।
2. लॉंग-टर्म लोन
कृषि और गैर-कृषि संबंधी कार्यों के लिए फाइनेंस संस्थानों को लॉन्ग-टर्म लोन प्रदान किए जाते हैं। लॉन्ग-टर्म लोन की अवधि 18 महीनों से अधिकतम 5 वर्ष तक है। नाबार्ड (NABARD) ने वर्ष 2017-18 में फाइनेंस संस्थानों को 65,240 करोड़ रु. के लोन दिये थे, इसमें कॉर्पोरेट बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को 15,000 करोड़ रु. का लोन भी शामिल है।
3. रुरल इंफ़्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (RIDF)
इस फंड का फोकस भारत में ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास है, और वर्ष 2017-18 में इसके लिए दी गई राशि 24,993 करोड़ रु. थी।
4. लॉन्ग-टर्म इरिगेशन फंड (LTIF)
इस फंड का आरंभ 20,000 करोड़ रु. की राशि के साथ मुख्य रूप से 99 सिंचाई परियोजनाओं के लिए धनराशि प्रदान करने के लिए किया गया था। 99 परियोजनाओं को राशि की मंजूरी के बाद बिहार और झारखंड से ‘ नॉर्थ कोएल डैम प्रोजेक्ट ‘ तथा आंध्र प्रदेश से ‘ पोलवरम नेशनल प्रोजेक्ट ‘ नामक दो और प्रोजेक्ट शुरू किये गये।
5. प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PAMY-G)
इस योजना के तहत, नेशनल रुरल इंफ़्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एजेंसी (NRIDA) को 9000 करोड़ रु. की राशि प्राप्त हुई, जिससे वर्ष 2022 तक जरूरतमंद परिवारों के लिए सभी मूलभूत सुविधाओं के साथ पक्के मकान बनाए जाने हैं।
6. नाबार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट असिस्टेंट (NIDA)
नाबार्ड (NABARD) बुनियादी ढांचा विकास सहायता एक विशेष कार्यक्रम है जो राज्य के स्वामित्व वाले संस्थानों और निगमों को फाइनेंशियल रूप से खुशहाल बनाने के लिए लोन प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है।
7. वेयर हाउस इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड
वेयरहाउस इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड कृषि वस्तुओं के लिए वैज्ञानिक भंडारण मूल संरचना उपलब्ध कराता है।
8. फूड प्रोसेसिंग फंड
इस फंड के अंतर्गत भारत सरकार ने 11 मेगा फूड पार्क परियोजनाओं, 3 फूड प्रोसेसिंग यूनिट और 1 फूड पार्क परियोजना के लिए 541 करोड़ रु. की लोन घोषणा की गई थी।
9. सहकारी बैंकों को सीधे लोन देना
नाबार्ड(NABARD) ने 14 राज्यों में फैले 58 सहकारी कमर्शियल बैंक (CCBs) और चार राज्य सहकारी बैंक (StCBs) को 4,849 करोड़ रु. को सहायता राशि प्रदान की है।
10. मार्केटिंग फेडरेशन को लोन सुविधा ( CFF )
यह फेडरेशन कृषि गतिविधियों और कृषि उत्पादों के व्यापार को बढ़ावा देता है; साथ ही यह व्यापार और सहकारी समितियों को बढ़ावा और मजबूती प्रदान करता है।
11. उत्पादक संगठनों और प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को लोन
नाबार्ड (NABARD) ने निर्माता संगठनों (PO) और प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) को सहयोग करने के लिए निर्माता संगठन विकास फंड (PODF) का शुभारंभ किया है। ये संगठन सेवा केंद्रों के रूप में कार्य करने के लिए गठित किए गए हैं।
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नाबार्ड (NABARD) खेती क्षेत्र के विकास से संबंधित योजनाएं भी उपलब्ध कराता है, जैसे कि:
डेयरी एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट स्कीम
इस योजना के तहत, डेयरी बाज़ार से संबंधित उद्यमियों को डेयरी क्षेत्र में छोटे डेयरी फार्म और अन्य संबंधित व्यवसाय करने में सहायता प्रदान की गई।
योजना के अन्य उद्देश्यों में शामिल हैं:
नाबार्ड (NABARD) द्वारा दी जाने वाली दूसरी विभिन्न योजनाएं इस प्रकार हैं:
नाबार्ड के तहत क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम (CLCSS)
नाबार्ड (NABARD) एक महत्वपूर्ण योजना भी प्रदान करता है जो निम्नलिखित है:
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000 में शुरू की गई, क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम के तहत विशेष कार्य करने वाले छोटा उद्योगों में टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के लिए लोन दिया जाता है।
इसलिए नाबार्ड (NABARD) ने कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि और वृद्धि के लिए फाइनेंस और नॉन फाइनेंशियल सहायता के माध्यम से कृषि और ग्रामीण विकास में अपार योगदान दिया है।
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प्रश्न. डेयरी फार्मिंग के लिए नाबार्ड लोन लेने की क्या प्रक्रिया है?
उत्तर: नाबार्ड योजना के तहत कोई लोन नहीं दिया जाता है। केवल कुछ ग्रामीण बैंकों, को-ऑपरेटिव बैंकों, और निजी और सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा लोन पर सब्सिडी दी जाती है।
प्रश्न. नाबार्ड लोन के लिए कैसे अप्लाई करें?
उत्तर: नाबार्ड योजना के तहत कोई लोन नहीं दिया जाता है। आप नाबार्ड योजना के तहत दी जा रही सब्सिडी के लिए किसी कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक में बिज़नेस लोन के लिए अप्लाई करना होगा।
प्रश्न. डेयरी फार्मिंग के लिए NABARD कितनी सब्सिडी देता है?
उत्तर: नाबार्ड योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी 25% है (SC / ST किसानों के लिए 33.33%), 20 जानवरों वाली डेयरी के लिए अधिकतम 1.20 लाख रु. (SC / ST किसानों के लिए 1.60 लाख रु.) है। 5 जानवरों वाली डेयरी के लिए अधिकतम सब्सिडी 30,000 रु. (SC / ST किसानों के लिए 40,000 रु.) है।
प्रश्न. NABARD के तहत आने वाले बैंक व NBFC कौनसे हैं?
उत्तर: NABARD के तहत आने वाले बैंक और लोन संस्थान हैं:
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