फिक्स्ड रेट: रेपो रेट में बदलाव होने के बावजूद भी ब्याज दर पूरी लोन अवधि में फिक्स्ड रहती है। लोन ईएमआई में भी किसी प्रकार का बदलाव नहीं आता है, इसलिए उधारकर्ता को अपने खर्चों को मैनेज करने में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। मार्केट में अगर ब्याज दरें बढ़ती भी हैं तो आपको ये चिंता नहीं करनी पड़ेगी कि आपकी ईएमआई राशि में बढ़ोतरी होगी।
| बैंक/NBFC | ब्याज दर (प्रति वर्ष) |
|---|---|
| HDFC बैंक | 9.99%-12.15% |
| ICICI बैंक | 11%-13% |
| टाटा कैपिटल | 11.99%-13.99 |
| ऐक्सिस बैंक | 9.99%-17.15% |
| फेडरल बैंक | 12%-19.50% |
फ्लोटिंग रेट: रेपो रेट या संबंधित बैंक/ लोन संस्थानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य एक्सटर्नल बेंचमार्क में होने वाले बदलावों के मुताबिक फ्लोटिंग रेट भी समय-समय पर बदल सकती है। उनकी ब्याज दरों में होने वाला बदलाव उधारकर्ताओं के लिए बैंक की रीसेट डेट पर भी निर्भर करता है।
| बैंक/NBFC | ब्याज दर (प्रति वर्ष) |
|---|---|
| बैंक ऑफ बडौदा | 10.40%-18.20% |
| UCO बैंक | 10.20%-13.45% |
| यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | 10.35%-14.45% |
| पंजाब नेशनल बैंक | 10.50% – 17.05% |
| पंजाब एंड सिंध बैंक | 9.85%-12.90% |
| बैंक ऑफ महाराष्ट्र | 9.00%-13.80% |






