फिक्स्ड डिपॉज़िट डबल स्कीम क्या है?
फिक्स्ड डिपॉज़िट डबल स्कीम एक ऐसी योजना है जो ग्राहक के निवेश को समय के साथ दोगुना करती है। यह योजना केवल बैंकों तक ही सीमित है और इसमें ग्राहक को निश्चित अवधि के लिए कुछ राशि जमा करने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार मूल राशि पर अर्जित ब्याज मूलधन को दोगुना कर देता है और जो कि ग्राहक को अवधि के अंत में उपलब्ध कराया जाता है।
सामान्य फिक्स्ड डिपॉज़िट और फिक्स्ड डबल डिपॉज़िट स्कीम में क्या अंतर है?
सामान्य फिक्स डिपॉज़िट में निवेशकों के पास डिपॉज़िट की अवधि तय करने का विकल्प होता है, जो कि आम तौर पर कुछ वर्षों के लिए होता है। सामान्य फिक्स डिपॉज़िट पर जमा किया गया ब्याज तय की गई अवधि पर निर्भर है। इस प्रकार आप अपने फिक्स डिपॉज़िट के लिए जितना अधिक समय चुनते हैं, उतना ज़्यादा आपको ब्याज मिलता है। आप मैच्योरिटी पर, अवधि के अंत में ब्याज के साथ मूल राशि प्राप्त करते हैं।
हालांकि, फिक्स्ड डिपॉज़िट डबल योजनाओं के मामले में, बैंक फिक्स्ड डिपॉज़िट की अवधि तय करता है। इसके अलावा, इस अवधि में ब्याज निश्चित रहता है और यह सुनिश्चित करता है कि निवेश किया गया पैसा निश्चित अवधि के अंत में दोगुना हो। पैसा दोगुना ब्याज पर कमाया जाता है। इसलिए, यदि आपने 30,000 रुपये की राशि का निवेश किया है तो अवधि के अंत में, निवेश पर अर्जित ब्याज 30,000 रूपए होगा। इस प्रकार कुल राशि को अवधि के अंत में निवेश को दोगुना बनाते हैं। हालांकि अर्जित ब्याज ग्राहकों की विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग है, जिसमें सशस्त्र बल के जवान और वरिष्ठ नागरिक अन्य ग्राहकों की तुलना में अधिक ब्याज कमाते हैं। टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) उस ब्याज पर लागू होता है जो एक व्यक्ति इस अवधि में कमाता है और ये मौजूदा नियमों पर निर्भर करता है।
प्रमुख लाभ
- खाता खोलने की प्रक्रिया बेहद सरल है
- इसकी अवधि बैंक द्वारा तय की जाती है, लेकिन यह राशि ग्राहक चुन सकते हैं
- फिक्स्ड डिपॉज़िट डबल स्कीम पर लोन लिया जा सकता है
- कुछ बैंकों द्वारा FD अकाउंट मैच्योरिटी पूरी होने से पहले पैसे निकालने या अकाउंट बंद करने की अनुमति होती है।