फॉर्म 16 एक दस्तावेज या प्रमाण पत्र है, जो कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 203 – के अनुसार, भारत में नियोक्ता/कंपनी द्वारा कर्मचारियों को जारी किया जाता है। इसे “वेतन प्रमाण पत्र” के रूप में भी जाना जाता है, इसमें किसी विशेष फाइनेंशियल वर्ष में कंपनी या नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को दिए गए वेतन और कर्मचारी के वेतन में से काटे गए इनकम टैक्स के बारे में पूरी जानकरी होती है। ।
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प्रत्येक कंपनी या नियोक्ता को आयकर अधिनियम के अनुसार, वेतन का भुगतान करते समय उस फाइनेंशियल वर्ष के लिए इनकम टैक्स स्लैब दरों के आधार पर, टैक्स (TDS) की कटौती करनी जरुरी होती है। कंपनियां, कर्मचारी द्वारा की गई अनुमानित कमाई और निवेश के आधार पर कर्मचारी पर लागू टैक्स की गणना, शुरुआत में या वर्ष के दौरान करती हैं।
कंपनी या नियोक्ता द्वारा की गई कटौती (TDS) आयकर विभाग के पास जमा होती है और बदले में फॉर्म 16 उसी का प्रमाण पत्र है। कंपनी को जिस वर्ष आय का भुगतान किया गया था और टैक्स कटौती की गई थी उस फाइनेंशियल वर्ष की 31 मई या उससे पहले अपने कर्मचारियों को फॉर्म 16 जारी करना होता है।
फार्म 16 के भाग
फॉर्म 16, नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण आयकर प्रमाण पत्रों में से एक है। इसमें कर्मचारी द्वारा प्राप्त किए गए वेतन व काटे गए टैक्स, से संबंधित सभी जानकारी शामिल होती है।
फॉर्म 16 को निम्नलिखित दो भागों मे विभाजित किया गया है:
फॉर्म 16 भाग A
मूल रूप से, भाग A में कर्मचारी की ओर से कंपनी या नियोक्ता द्वारा सरकार के खाते में जमा कराय गए टैक्स की जानकारी होती है। यह कंपनी द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र हैं कि उन्होंने कर्मचारी के वेतन से काटा गया टैक्स आयकर विभाग में जमा कराया है।
इसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल हैं:
- कंपनी या नियोक्ता और कर्मचारी की व्यक्तिगत जानकारी, कंपनी या नियोक्ता का नाम, पते की जानकारी, पैन की जानकारी और कंपनी के TAN की जानकारी (TAN उनको जारी होता है जिसके पास TDS काटने का अधिकार है) ये जानकारी आयकर विभाग को कर्मचारी और कंपनी के खाते से ट्रांजेक्शन को ट्रैक करने में मदद करते हैं। (यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यदि किसी कंपनी के पास TAN नहीं है, तो वे TDS काटने के हकदार नहीं हैं। इस प्रकार, इस स्थिति में, वे फॉर्म 16 प्रदान नहीं करेंगे)
- असेसमेंट ईयर (AY) – जैसा कि नाम से संकेत मिलता है, यह उस वर्ष को दर्शाता है जिसमें आय का आकलन किया जा रहा है या दूसरे शब्दों में, कहें तो आने वाला साल जिसके लिए आप पहले ही टैक्स देते हैं। उदाहरण के लिए, 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 के बीच अर्जित आय के लिए, असेसमेंट वर्ष 2016-17 होगा।
- वह फाइनेंशियल वर्ष में जिसमें कंपनी ने कर्मचारी को नियुक्त किया था
- वेतन की जानकारी
- वह तिथि जब वेतन से टैक्स कटौती की गयी थी
- तारीख जब सरकार के खाते में टैक्स जमा कराया गया था
- आयकर विभाग के पास जमा किये गए और काटे गए टैक्स का सारांश
- TDS भुगतान का एकनॉलेजमेन्ट नंबर
यह फॉर्म आयकर विभाग के ट्रेस पोर्टल के जरिये जेनरेट और डाउनलोड किया जाता है। यह बैंक के बीएसआर कोड जिसके माध्यम से भुगतान किया गया है व चालान नंबर जैसी जानकारी भविष्य में रेफ़्रेन्स के लिए प्रदान करता है . भाग A के सभी पृष्ठों पर डिडक्टर को डिजिटल या मैन्युअल रूप से हस्ताक्षर करना चाहिए।
फॉर्म 16 भाग B
भाग B एक कम्पलीट स्टेटमेंट है जिसमें भुगतान के बारे पूरी जानकारी जैसे की कर्मचारी द्वारा अपने कंपनी को किसी अन्य आय पर किये गए टैक्स भुगतान की राशि या कोई टैक्स बकाया हो तो उसकी जानकारी होती है। यह कर्मचारी द्वारा अर्जित आय और उस पर लागु टैक्स छूट और कटौती की जानकारी देता है।
इसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल है:
कुल प्राप्त वेतन: वेतन की पूरी जानकारी, जैसे किराया भत्ता, यात्रा भत्ता, छुट्टी के बदले नकद भुगतान, ग्रेच्युटी और आदि।
जिस आय पर टैक्स छूट प्राप्त है: आयकर अधिनियम, 1961 के भाग (10) के अनुसार, कर्मचारियों को कनवेन्सेंस, हाउसिंग रेंट (HRA), बच्चों की शिक्षा और होस्टल का खर्च, मेडिकल खर्च आदि के लिए भत्ते की भी जानकारी होती है।
कुल आय: यह कंपनी से प्राप्त की गई वेतन और कर्मचारी द्वारा कमाई गई अन्य आय जैसे कि घर/संपत्ति से अर्जित आय आदि का योग है। कर्मचारी को कंपनी में अन्य आय का निवेश प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है।
वेतन से से टैक्स माफ़: धारा 80C/ 80CCC/ 80CCD में कर्मचारियों का किये गए निवेश के बदले अधिकतम 1,50,000 रु. तक का टैक्स माफ़ किया जाता है। इसकी जानकारी भी इसमें होती है।
अन्य धाराओं में जैसे 80D (मेडिकल खर्च या मेडिकल बीमा के लिए भरा गया प्रीमियम), 80E (शिक्षा लोन पर ब्याज भुगतान), 80G (दान), विकलांगता के लिए कटौती और अन्य लागू वर्गों के तहत टैक्स माफ़ी दी जाती है। इन सभी की जानकारी कर्मचारी द्वारा आवश्यक दस्तावेजों के साथ कंपनी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
वो वेतन जो टैक्स के दायरे में है: आयकर अधिनियम “अध्याय IV-A” में बताए गए टैक्स माफ़ी बाद कुल सैलरी में से जो नेट सैलरी बचती है उसी पर टैक्स लगाया जाता है। इसमें निम्नलिखित जानकारी होती है:
- यदि कोई शिक्षा सेस और सरचार्ज हो
- यदि धारा 87 के तहत टैक्स रिबेट लागू हो
- यदि धारा 89 के तहत कोई राहत हो
- आय पर कुल टैक्स
- टैक्स माफ़ी और बकाया टैक्स जो भरना है या कोई रिफंड लागू हो
फॉर्म 16 के प्रकार
फॉर्म 16 के अलावा, फॉर्म 16 के 2 अन्य प्रकार हैं, जो आपको वेतन के अलावा अन्य स्रोत से प्राप्त आय के लिए मिलते हैं:
फॉर्म 16A:
फॉर्म 16 एक TDS प्रमाणपत्र है जो आपकी वेतन से कंपनी द्वारा की गई कटौती (TDS) को दर्शाता है। वहीँ दूसरी ओर फॉर्म 16A वेतन के अलावा अन्य आय पर लागू TDS का TDS प्रमाणपत्र है। उदाहरण के लिए, जब आपका बैंक फिक्स्ड डिपॉज़िट से प्राप्त आपकी ब्याज आय पर TDS काटेगा तो आपको फॉर्म 16A दिया जायेगा। इसी तरह से किराय की रसीदों पर TDS, बीमा कमीशन पर TDS या ऐसी किसी अन्य आय पर जहाँ TDS की कटौती की गयी है आपको फॉर्म 16A दिया जायेगा। फॉर्म 16A कमाई गई आय, उस पर काटा गया TDS और जमा किये गए TDS की जानकारी प्रदान करता है। इसमें TDS काटने वाले का नाम, पता, पैन कार्ड जानकारी,TAN और जमा किए गए TDS के चालान की जानकारी होती है।
फॉर्म 16B:
फॉर्म 16B संपत्ति की बिक्री पर काटे गए टैक्स का TDS प्रमाणपत्र है और यह दर्शाता है कि खरीदार द्वारा संपत्ति पर काटी गई TDS राशि आयकर विभाग में जमा करा दी गई है। खरीदार को प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए दी जाने वाली राशि से 1% TDS काट कर देना पड़ता है। खरीदार को बाद में यह राशि आयकर विभाग में जमा करके बेचनेवाले को फॉर्म 16B देना होता है। फॉर्म 16B एक प्रमाण है कि संपत्ति की बिक्री पर TDS काटकर सरकार के पास जमा किया गया है।
फॉर्म 16 के लिए योग्यता क्या हैं?
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नियमों के अनुसार, प्रत्येक नौकरीपेशा जो इनकम टैक्स की सीमा के अंतर्गत आता है फॉर्म 16 के लिए योग्य है।
यदि कोई कर्मचारी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता है, तो उसे आय के स्रोत पर TDS कटाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसलिए, इन मामलों में, कंपनी कर्मचारी को फॉर्म 16 देने के लिए बाध्य नहीं है। हालांकि, इन दिनों, संघटन/कंपनी एक अच्छा कार्य करते हुए, इन मामलों में भी कर्मचारी को यह प्रमाण पत्र जारी करते हैं, क्योंकि इसमें व्यक्ति की कमाई की पूरी जानकारी होती है और इसके इसके अलावा इसके कईं उपयोग भी हैं।
फॉर्म 16 कैसे डाउनलोड करें?
कोई भी व्यक्ति खुद फॉर्म 16 डाउनलोड नहीं कर सकता है। यह केवल आपकी कंपनी द्वारा डाउनलोड और जारी किया जा सकता है।
एक आम गलत धारणा है कि एक व्यक्ति पैन नंबर का उपयोग करके TRACES वेबसाइट पर फॉर्म 16 डाउनलोड कर सकता है। सभी नौकरीपेशा व्यक्ति अपने कंपनी से फॉर्म 16 प्राप्त करने के लिए योग्य हैं।
यदि आपकी कंपनी आपके वेतन से TDS काटती है, तो उसे आपका फॉर्म 16 जारी करना चाहिए क्योंकि यह एक TDS प्रमाण पत्र है जो दर्शाता है कि TDS सरकार के पास जमा है। साथ ही, कंपनी को प्रत्येक फाइनेंशियल वर्ष की 31 मई को तय तारीख से पहले फॉर्म 16 जारी करना चाहिए।
नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए फॉर्म 16 कितना महत्वपूर्ण है?
फॉर्म 16 इनकम टैक्स के नज़रिए से एक नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए, अत्यधिक महत्व रखता है। इस फॉर्म में जो जानकारी है वो इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए आवश्यक हैं।
भारत में इस प्रमाण पत्र के साथ, करदाता चार्टर्ड एकाउंटेंट या वित्तीय सलाहकारों की मदद के बिना स्वयं आसानी से अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। यह बात उन व्यक्तियों पर ज्यादा लागू होती है, जिनकी आय का एकमात्र स्रोत कंपनी से प्राप्त होने वाला वेतन है।
फॉर्म 16 में दर्ज की गयी जानकारी की फॉर्म 26AS से तुलना करके यह सत्यापित किया जा सकता है कि सरकार के पास सही टैक्स जमा कराया गया है।
इसके अलावा, यह न केवल TDS का प्रमाण है, बल्कि टैक्स की जानकारी के महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में भी देखा जाता है। यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसका उपयोग कर्मचारी यह साबित करने के लिए करता है कि उसने टैक्स का भुगतान किया है या इसे किसी भी आयकर से संबंधित जांच के दौरान प्रमाण के रूप में दिखाया जा सकता है। बैंक, अन्य NBFC और वित्तीय संस्थान भी इसे वैध आय प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार करते हैं। लोन आवेदनों के लिए, कई वित्तीय संस्थानों को अपनी सत्यापन प्रक्रिया में भी इस दस्तावेज़ की आवश्यकता होती है।
कई संगठन कर्मचारियों से उनके पिछली कंपनी के फॉर्म 16 (उसी फाइनेंशियल वर्ष में) की कॉपी ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया के दौरान मांगते हैं। इससे उन्हें यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि वे उस वर्ष में व्यक्ति की कुल कमाई में सैलरी बदलाव के आधार पर इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव के साथ दिए जाने वाले टैक्स की सही गणना कर सकें।
इसके अतिरिकत, यदि आप कोई विदेश यात्रा करने की योजना बना रहे है, तो कई वीज़ा जाँचकर्ता जैसे कि शेंगेन वीज़ा जरुरी दस्तावेजों मे फॉर्म 16 जमा करने के लिए भी कहते है।
एक फाइनेंशियल वर्ष में कई कंपनियों के साथ काम करने पर
ऐसे व्यक्ति जिन्होंने एक विशेष फाइनेंशियल वर्ष में नौकरी बदली है और कई नियोक्ताओं/कंपनियों के साथ काम किया है, उन्हें सभी कंपनियों से फॉर्म 16 प्राप्त होगा।
फॉर्म 16 प्राप्त करने वाले को उसमें क्या जांचना चाहिए?
कंपनी से फॉर्म 16 प्राप्त करने के बाद ये कर्मचारी की ज़िम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करें, कि उसमें लिखित सभी जानकारी सही है। व्यक्तिगत जानकारी, आय की राशि और TDS की कटौती की जानकारी के अलावा, पैन नंबर को भी फॉर्म 16 में जांचना चाहिए। अगर किसी की फॉर्म में यह जानकारी गलत लिखी गई है तो उसे तुरंत कंपनी के मानव संसाधन / पेरोल / फाइनेंस विभाग को सुचना देकर इसे ठीक कराना चाइये। कंपनी जानकारी बदलकर कर्मचारी को संशोधित फॉर्म 16 जारी करेगी। इसके अलावा कंपनी को अपनी ओर से गलती सही करते हुए फिर से नए पैन नंबर के साथ इनकम टैक्स रिटर्न भरकर आयकर विभाग को सही TDS जमा करना होगा।
फॉर्म 16 प्रदान करने में नियोक्ता/कंपनी की जिम्मेदारी
फॉर्म 16 में सभी जानकारी जैसे कि वेतन, टैक्स माफ़ी, पैन, TAN आदि को सही ढंग से भरी गई है। यह सुनिश्चित करना नियोक्ता/कंपनी की जिम्मेदारी है और साथ ही प्रत्येक पेज पर कंपनी के एक सक्षम और ज़िम्मेदार व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किये जाने चाहिए। साथ ही, कर्मचारी को 31 मई की समय सीमा से पहले प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारी अपना टैक्स रिटर्न समय पर भर सके।
पिछले वर्षों के फॉर्म 16
यदि कोई व्यक्ति अपने पहले के फॉर्म 16 को खो देता है, तो वो संबंधित नियोक्ता/कंपनी के पास जा सकता है, जो उन्हें उसी फॉर्म की एक डुप्लिकेट कॉपी जारी करेंगे।
क्या फॉर्म 16 और फॉर्म 16A समान हैं?
बहुत से लोगों का यह मानना है कि यह दोनों फॉर्म एक ही होतें है और बस नाम का फर्क होता है, लेकिन वास्तव में, ये दो अलग-अलग दस्तावेज़ हैं। फॉर्म 16 और फॉर्म 16A का उद्देश्य एक ही है क्योंकि वे दोनों TDS प्रमाणपत्र हैं जबकि दोनों अलग अलग विभागों द्वारा जारी किये जाते है। फॉर्म 16 जहाँ एक नौकरीपेशा कर्मचारी के वेतन से काटा गया TDS दर्शाता है, वहीँ फॉर्म 16A गैर-नौकरीपेशा व्यक्ति की अन्य स्रोतों से कमाई गई आय की जानकारी देता है। सरल शब्दों में, फॉर्म 16A वेतन के अलावा अन्य स्त्रोतों से प्राप्त आय का TDS प्रमाणपत्र है।
वह लोग जो किसी कंपनी को कर्मचारी के रूप में अपनी सेवाएँ नहीं दे रहे हैं, बल्कि सलाहकार के रूप में अपनी सेवाओं के लिए फीस प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें फॉर्म 16A प्राप्त होगा। इसके अलावा, कई अन्य क्षेत्र हैं जहां TDS लागू हो सकता है जैसे कि आपके फिक्स्ड डिपॉज़िट आदि पर कमाया गए ब्याज पर। यहां बैंक वह निकाय / कंपनी है जो TDS काटता है इसलिए उन्हें ग्राहक को प्रत्येक फाइनेंशियल वर्ष के लिए फॉर्म 16A नामक एक TDS प्रमाणपत्र जारी करना चाहिए।
बीमा कमीशन के लिए भुगतान की गयी राशि पर भी टैक्स कटौती के लिए फॉर्म 16A जारी किया जाता है। इस प्रमाण पत्र में नियोक्ता/कंपनी एवं कर्मचारी की जानकारी होती है जैसे नाम, पता, पैन / TAN जानकारी, और काटे गए और जमा किए गए TDS की जानकारी। इसमें जिस आय पर TDS काटा जाता है वह भी लिखी होती है।
क्या फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS के बीच कोई संबंध है?
फॉर्म 26AS आपके वेतन/अन्य कमाई से काटे गए सभी टैक्स की जानकारी के साथ संबंधित अधिकारियों के पास जमा होगा। फाइनेंशियल वर्ष के दौरान अगर कोई टैक्स रिफंड मिल रहा होगा तो यह जानकारी भी इस फॉर्म में उपलब्ध होगी। फॉर्म 16/ फॉर्म 16A में दिखाए गए टैक्स कटौती को फॉर्म 26AS का उपयोग करके जांचा और सत्यापित किया जा सकता है। आदर्श रूप से, कितना TDS काटा गया है ये जानकारी फॉर्म 26AS और फॉर्म 16/16A में हमेशा एक होनी चाहिए। यदि कोई अंतर हैं, तो आयकर विभाग फॉर्म 26AS में दिए गए TDS के आंकड़ों को ही सही मानता है।
टैक्स-रिटर्न और फॉर्म 16
फॉर्म 16 सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक है जिसकी जरुरत हर साल 31 जुलाई से पहले इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय या उससे पहले जरूरत होती है।
यदि फॉर्म 16 में ये दिखाया जाता है कि आपका कोई टैक्स बाकी नहीं है तो इसका ये मतलब नहीं है कि आप उसी जानकारी को भरकर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर दें। हो सकता है कि आपके नियोक्ता/कंपनी को आपकी किसी अन्य आय या निवेश की जानकारी ना हो और उसने सिर्फ आपकी सैलरी के आधार पर फॉर्म 16 दिया हो ऐसी स्तिथि में ये गलत हो सकता है। इसलिए आपको इनकम टैक्स टैक्स फाइल करते समय वो सभी इनकम जो आपने उस वित्तीय वर्ष में कमाई है और टैक्स जो आपने जमा किया है उसकी जानकारी देनी चाहिए।
अगर फॉर्म 16 नहीं तो क्या टैक्स रिटर्न नहीं होगा?
यह नियोक्ता/कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह वेतन पर टैक्स कटौती का का प्रमाण पत्र कर्मचारी को प्रदान करे और ऐसा करने में विफल रहने पर आयकर अधिनियम की धारा 272A (2) (g) के अनुसार 100 रु. प्रतिदिन के जुर्माने का प्रावधान है।
यदि कोई कंपनी/नियोक्ता कई अनुरोधों के बावजूद प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार करता है, तो संभावना है कि उसके द्वारा काटा गया टैक्स सरकारी अधिकारियों के पास जमा नहीं किया गया है। कर्मचारियों को संबंधित आयकर अधिकारी को सूचित करना चाहिए, जो बदले में नियोक्ता के खिलाफ दंड की कार्यवाही शुरू करेंगे।
इनकम टैक्स जमा करना और टैक्स रिटर्न फाइल करना व्यक्ति की जिम्मेदारी है। इसलिए यदि किसी कारण से नियोक्ता/कंपनी से फॉर्म 16 प्राप्त नहीं हुआ है तो वह इसे आधार बनाकर इनकम टैक्स रीटर्न फाइल करने से बच नहीं सकता। अपना इनकम टैक्स भरने के लिए फॉर्म 26AS जैसे विकल्प मौजूद हैं, जिसे आयकर विभाग/ बैंक की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं साथ ही बैंक से TDS सर्टिफिकेट, टैक्स बचत निवेश प्रमाण, किराए की रसीदें और अपनी सैलरी स्लिप का उपयोग कर भी आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
फॉर्म 16 को सुरक्षति रखना
हालाँकि फॉर्म 16 को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय एक सहायक दस्तावेज के रूप में जमा करना आवश्यकता नहीं है पर यह अनिवार्य है कि जब फॉर्म 16 जारी हुए है तब से उसे 6 वर्षों तक सुरक्षित रखा जाएं।
हमें उम्मीद है कि इस जानकारी ने इनकम टैक्स फाइल करने की प्रकिर्या को आपके लिए सरल बनाया होगा।