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जब भी आप पर्सनल लोन के लिए आवेदन करते हैं, बैंक व एनबीएफसी सबसे पहले आपका सिबिल स्कोर चेक करते हैं। इससे आपकी भुगतान क्षमता और पिछले लोन का कितनी जिम्मेदारी से भुगतान किया है, के बारे में पता चलता है। सिबिल स्कोर कम होने पर भी लोन कैसे मिलेगा (Loan with Low CIBIL Score), सिबिल स्कोर कैसे सुधारें आदि के बारे में जानने के लिए ये लेख पढ़ें:
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बैंक व एनबीएफसी द्वारा आपका सिबिल रिपोर्ट चेक करने पर अगर उन्हें क्रेडिट स्कोर कम मिलता है, तो लोन मिलने की संभावना कम हो जाती है। बैंक आमतौर पर 700 या इससे कम सिबिल स्कोर वाले आवेदकों को लोन देना पसंद नहीं करते क्योंकि ऐसे आवेदकों के लोन डिफॉल्ट होने की संभावना अधिक मानी जाती है। हालांकि सिबिल स्कोर कम होने पर लोन मिलना मुश्किल है, नामुमकिन नहीं।
सिबिल स्कोर कम होने पर बड़े बैंक/NBFCs लोन आवेदन खारिज़ कर देते हैं, इससे आपका सिबिल स्कोर कुछ अंक से कम हो जाता है और आपकी मुश्किल और बढ़ जाती है। इसलिए ऐसे एनबीएफसी या फिनटेक लेंडर के पास लोन के लिए आवेदन करना चाहिए जो कम सिबिल स्कोर वाले आवेदकों को लोन प्रदान करते हो।
मौजूदा समय में कई ऐसे न्यू ऐज फिनटेक एनबीएफसी हैं, जिनकी क्रेडिट स्कोर क्राइटेरिया प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर बैंकों की तुलना में कम है। और ये चुनिंदा कम सिबिल स्कोर वाले आवेदकों को पर्सनल लोन देते हैं। हालांकि इसकी ब्याज दरें तुलनात्मक रूप से अधिक होती है। बेहतर शर्तों पर लोन पाने के लिए पैसाबाज़ार पर विभिन्न बैंक व एनबीएफसी के लोन ऑफर्स की तुलना करें और अपने लिए सही लोन विकल्प चुनें।
अगर आपकी इनकम ज़्यादा और स्टेबल है, जिसकी मदद से आप लोन की ईएमआई समय से और पूरा भुगतान कर सकते हैं तो सिबिल स्कोर कम होने के बावजूद भी आपको पर्सनल लोन मिल सकता है। हालांकि, यह केवल उन लोगों के लिए कामगर है जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है या जिन्होंने अभी हाल ही में क्रेडिट कार्ड लिया हो और सिबिल स्कोर न बना हो।
हो सकता है आपको अन्य दस्तावेज़ जमा करने पड़े जो दर्शायें कि आपकी एक स्टेबल इनकम हैं और आप लोन भुगतान की क्षमता रखते हैं। इन दस्तावेज़ों में आपका म्युचूअल फंड पोर्टफोलियो, डीमेट अकाउंट आदि का स्टेटमेंट हो सकता है।
जो आवेदक प्रतिष्ठित कॉरपोरेट्स/MNCs या सरकारी संस्थानों में काम करते हैं, उन्हें लोन मिलने की संभावना अधिक होती है। खासतौर पर जिनकी स्टेबल जॉब हिस्ट्री, ईएमआई भुगतान क्षमता, अच्छी सैलरी और प्रतिष्ठित कंपनी होती है। क्योंकि अन्य के तुलना में ऐसे आवेदकों की आय स्थिरता अधिक मानी जाती है। इसलिए बैंक को ऐसे आवेदकों को लोन देने में रिस्क कम होता है यानी लोन डिफॉल्ट की उम्मीद कम होती है।
सिबिल स्कोर कम होने पर आप सह आवेदक के साथ लोन आवेदन कर सकते हैं। जो आपके परिवार का ऐसा सदस्य हो सकता है जिसका अच्छा क्रेडिट स्कोर हो और कमाता भी हो। सह-आवेदक के साथ लोन आवेदन करने पर लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि सह-आवेदक भी लोन भुगतान के लिए उतना ही जिम्मेदार होता है, जितना आप। इसकी वजह से आपको लोन देने में बैंक का रिस्क कम हो जाता है और लोन मंजूरी की संभावना बढ़ जाती है।
कम सिबिल स्कोर वाले आवेदकों को लोन देने में बैंक व एनबीएफसी को लोन डिफॉल्ट होने का खतरा लगता है। ऐसे में अधिक लोन राशि की आवेदन खारिज़ होने की संभावना अधिक होती है, लेकिन अगर आप कम राशि के लिए आवेदन करते हैं तो लोन के मंजूर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए अपने ऋणदाता से कम लोन राशि के लिए बात करें।
हो सके तो लोन के बदले कोई सामान गिरवी रखें ताकि बैंक व एनबीएफसी को आपको लोन देने में रिस्क कम हो। ये सिक्योरिटी या कोलैटरल (गिरवी) — फिक्स्ड डपॉज़िट, सेविंग अकाउंट, सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड या गोल्ड हो सकता है। सिक्योर्ड लोन होने से बैंक को आपको लोन देने में रिस्क कम हो जाता है।
सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर कम होने से आपको व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan) तो मिल सकता है लेकिन इसकी ब्याज दरें अधिक हो सकती है। जिससे आपकी ईएमआई और ओवरऑल ईएमआई कॉस्ट (Overall EMI Cost) बढ़ जाएगा। इसलिए सिबिल स्कोर को बढ़ाने पर ध्यान दें ताकि भविष्य में आपको बेहतर शर्तों पर लोन मिल सके।
इसे भी पढ़ें: क्रेडिट स्कोर खराब है तो भी मिल सकते हैं ये 4 लोन
बता दें लोन लेने में क्रेडिट स्कोर की अहम भूमिका होती है, चाहे आप कोई-सा लोन जैसे- पर्सनल लोन, होम लोन या क्रेडिट कार्ड ही क्यों न लेना चाहते हो। अधिकतर लोन प्रोडक्ट के लिए सिबिल स्कोर की आवश्यकता होती है। इसलिए एक अच्छा सिबिल स्कोर बनाने और उसे मैनटेन करने की सलाह दी जाती है। साथ ही कम CIBIL स्कोर होने के क्या कारण हैं? आपको ये भी पता होना चाहिए। ताकि आप वो गलतियां करने से बचें।
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पर्सनल लोन लेने के लिए मिनिमम क्रेडिट स्कोर एक बैंक/NBFC से दूसरे में अलग हो सकता है। आमतौर पर, लेंडर्स ऐसे आवेदकों को लोन देना पंसद करते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर 750 या उससे अधिक है, क्योंकि माना जाता है कि ऐसे आवेदक क्रेडिट का इस्तेमाल अनुशासित तरीके से करते हैं और इनके लोन डिफॉल्ट की संभावना कम होती है। इतना ही नहीं, बहुत से बैंक और लोन संस्थान अधिक क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन ऑफर करते हैं। जबकि कम क्रेडिट स्कोर वाले आवदेकों को अधिक ब्याज दरों पर लोन दिया जाता है। कुछ बैंक और NBFC उन आवेदकों को भी पर्सनल लोन देते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर नहीं होता।
हर बैंक/NBFC की अपनी-अपनी क्रेडिट रिस्क असेस्मेंट पॉलिसी होती है, जिस वजह से आवेदक की योग्यता एक लेंडर से दूसरे के लिए अलग हो सकती है। आमतौर पर, बैंक और लोन संस्थान ऐसे आवेदकों को पर्सनल लोन देना पसंद करते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर 750 या उससे अधिक होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जिन आवेदकों का क्रेडिट स्कोर कम है उन्हें लोन मिलेगा ही नहीं। ऐसे आवेदकों को भी लोन दिया जाता है, लेकिन उस लोन पर अधिक ब्याज लिया जाता है।
कुछ बैंक/NBFC बिना क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को भी पर्सनल लोन ऑफर करते हैं। हालांकि, ऐसे मामलों में लोन की ब्याज दरें अधिक होती हैं और कम राशि का लोन दिया जाता है।
सह-आवेदक के साथ लोन आवेदन करने पर लोन अप्रूव्ल की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही अधिक लोन राशि के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। सह- आवेदक होने से लोन चुकाने की जिम्मदारी दोनों की होती है, इसलिए बैंक व एनबीएफसी को लोन देने में रिस्क कम हो जाता है, खासकर अगर को-एप्लीकेंट का सिबिल स्कोर और इनकम अच्छा हो।
सिबिल स्कोर बढ़ाने की दिशा में अगर आप सही कदम उठाते हैं तो ये कुछ समय में बढ़ सकता है या फिर साल भर का वक्त भी लग सकता है। सिबिल स्कोर बढ़ाने के टिप्स, जानने के लिए यहां क्लिक करें।
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