फाइनेंशियल फ्रॉड या स्कैम का मतलब है किसी व्यक्ति या संस्था से धोखे से पैसे या संवेदनशील जानकारी हासिल करना। ये ठगी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से हो सकती है। डिजिटल युग में ऐसे धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं, जहां एक छोटी सी गलती आपकी सालों की कमाई मिनटों में खत्म कर सकती है। इसलिए इसके बारे में जागरूक रहना और सही जानकारी रखना बेहद ज़रूरी है। आइए समझते हैं इसके कारण और बचाव के आसान तरीके।
व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित न रखना
अक्सर लोग अपनी जन्मतिथि, आधार/पैन नंबर, बैंक खाता विवरण, पासवर्ड या ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी बिना पूरी जांच-पड़ताल के साझा कर देते हैं, जो आगे चलकर बड़े वित्तीय नुकसान और पहचान की चोरी का कारण बन सकती हैं।
जानकारी शेयर करने से पहले ध्यान रखें
- वेबसाइट HTTPS से सुरक्षित हो (एड्रेस बार में लॉक का आइकन देखें)।
- वेबसाइट वास्तव में आधिकारिक और भरोसेमंद स्रोत से संबंधित हो।
- संदिग्ध ईमेल, लिंक या पॉप-अप पर क्लिक न करें, क्योंकि इसके ज़रिए आपकी जानकारी चुराई जा सकती है।
- याद रखें, कोई भी संस्थान कभी भी फोन, ईमेल या SMS के ज़रिए आपसे पासवर्ड, ओटीपी या बैंक डिटेल्स नहीं मांगती।
ईमेल स्पूफिंग
यह एक साइबर धोखाधड़ी की तकनीक है, जिसमें ठग ऐसे नकली ईमेल भेजते हैं जो बिल्कुल असली दिखते हैं जैसे किसी भरोसेमंद स्रोत (जैसे बैंक, सरकारी संस्था या आपके किसी परिचित) से आए हों। साइबर अपराधियों का उद्देश्य आपको धोखा देकर आपके निजी डेटा, पासवर्ड, बैंक डिटेल्स या अन्य जानकारी चुराना होता है।
सावधानी बरतें
- अनजान या संदिग्ध ईमेल में दिए गए किसी भी लिंक या अटैचमेंट पर क्लिक न करें।
- ईमेल की वैधता पर संदेह हो तो सीधे संबंधित संस्था या व्यक्ति से उनके आधिकारिक नंबर या वेबसाइट के माध्यम से संपर्क करें।
- ईमेल का प्रेषक पता, डोमेन नाम, और भाषा (गलतियां, असामान्य शब्द) ध्यान से चेक करें।
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मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल न करना
कमजोर या आसानी से अनुमान लगाए जा सकने वाले पासवर्ड हैकर्स के लिए आसान निशाना बन जाते हैं।
पासवर्ड बनाते समय इन बातों का ध्यान रखें
- कम से कम 12-16 अक्षरों का पासवर्ड बनाएं।
- बड़े अक्षर (A-Z), छोटे अक्षर (a-z), अंक (0-9) और विशेष चिन्ह (!@#$% आदि) का मिश्रण रखें।
- अपना नाम, जन्मतिथि या साधारण शब्द जैसे password123 कभी न इस्तेमाल करें।
- हर अकाउंट के लिए अलग पासवर्ड रखें।
- हर 3 से 4 महीने में अपने बैंक, UPI ऐप, ईमेल आदि का पासवर्ड अपडेट करें ताकि आपका अकाउंट साइबर फ्रॉड से सुरक्षित रहें।
अनजान वेबसाइट/लिंक पर क्लिक करना
साइबर अपराधी अक्सर ऐसे ईमेल पते या लिंक बनाते हैं जो दिखने में असली वेबसाइटों जैसे लगते हैं, लेकिन उनमें अक्षरों की हल्की-फुल्की हेरफेर या लोगो (Logo) में बदलाव किया गया होता है। यह बदलाव इतना मामूली होता है कि पहली नज़र में पकड़ में नहीं आता। कई बार ऐसे लिंक आपके जान-पहचान वालों के अकाउंट से भी आ सकते हैं, अगर उनका अकाउंट हैक हो गया हो।
सावधानी बरतें
- किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उस पर कर्सर ले जाकर उसका असली URL ध्यान से देखें।
- ज़रा सा भी संदेह हो तो लिंक न खोलें और सीधे ब्राउज़र में आधिकारिक वेबसाइट का पता टाइप करें।
- गलत वर्तनी, अतिरिक्त अक्षरों या असामान्य डोमेन (जैसे .com की जगह .co) से सतर्क रहें।
चलिए उदाहरण से समझते है
- सही वेबसाइट का एड्रेश: www.amazon.in
- फर्जी एड्रेश: www.amaz0n.in (जहां “o” की जगह “0” इस्तेमाल किया गया है)
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ऑफर्स या सेल का लालच
ठग अक्सर ऐसे भुगतान तरीकों की मांग करते हैं जिन्हें ट्रैक करना या वापस पाना बेहद कठिन होता है—जैसे नकद, वायर ट्रांसफर, मनी ऑर्डर या गिफ्ट कार्ड। इन भुगतानों को ट्रैक करना और रद्द करना अन्य भुगतान विधियों की तुलना में ज़्यादा मुश्किल हो सकता है, जिससे आप बिना किसी विकल्प के फंस सकते हैं।
इन संकेतों को समझें
- स्कैमर भुगतान के लिए अनावश्यक दबाव बनाते हैं।
- यह कहना कि “केवल यही तरीका उपलब्ध है” या “अभी भुगतान करें, वरना ऑफ़र/सेवा रद्द हो जाएगी”।
सावधानी बरतें
- हमेशा भरोसेमंद भुगतान विधि (जैसे UPI, नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड) का उपयोग करें।
- भुगतान करने से पहले प्राप्तकर्ता की पहचान और उद्देश्य की पूरी तरह पुष्टि करें।
निष्कर्ष
फाइनेंशियल फ्रॉड से बचाव के लिए जागरूकता, सतर्कता और समय पर कार्रवाई सबसे ज़रूरी है। संदिग्ध गतिविधि दिखते ही तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट दर्ज करें, ताकि नुकसान को रोका जा सके।