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कई लोग आर्थिक अस्थिरता का सामना करते हैं, और इसके पीछे का मुख्य कारण होती हैं कुछ साधारण, लेकिन गंभीर वित्तीय गलतियां। अक्सर हम छोटी-छोटी लापरवाहियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं जैसे ज़रूरत से ज़्यादा खर्च करना, क्रेडिट कार्ड का बिना सोचे-समझे उपयोग करना या बढ़ते ब्याज पर ध्यान न देना। यही मामूली दिखने वाली आदतें धीरे-धीरे बड़ी वित्तीय समस्याओं का रूप ले लेती हैं। इसके अलावा, मकान, वाहन या अन्य सुविधाओं पर अनावश्यक खर्च भी आपके बजट को असंतुलित कर देता है और दीर्घकालिक (लॉन्ग टर्म) वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि थोड़ी जागरूकता, अनुशासन और समझदारी अपनाकर इन गलतियों से आसानी से बचा जा सकता है। इस लेख में हम ऐसी आम वित्तीय भूलों (Financial Mistakes) पर चर्चा करेंगे, जिन्हें पहचानकर और सुधारकर आप अपने वित्तीय जीवन को अधिक स्थिर, सुरक्षित और संतुलित बना सकते हैं।
सबसे आम वित्तीय गलतियों में से एक है बिना योजना के गैर-ज़रूरी चीज़ों पर पैसा खर्च करना। बार-बार बाहर से खाना मंगवाना, ऑनलाइन शॉपिंग करना या कई सब्सक्रिप्शन प्लान ले लेना वैसे तो शुरू में छोटा खर्च लगता है, लेकिन धीरे-धीरे यह बजट पर बड़ा असर डालता है। ऐसे खर्च अक्सर बिना सोचे-समझे हो जाते हैं और तब तक ध्यान में नहीं होते जब तक वित्तीय स्थिति पर दबाव महसूस न हो। अगर आप अपने खर्चों की पहले से योजना बना लें और मासिक बजट का पालन करें, तो ऐसी गलतियों से आसानी से बचा जा सकता है।
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गैर-ज़रूरी चीज़ें खरीदने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना आजकल बहुत आम हो गया है। कई लोग महंगे कपड़ों, गैजेट्स या लाइफस्टाइल की चीज़ों पर खर्च करते हैं और सोचते हैं कि बाद में भुगतान कर लेंगे। लेकिन अगर महीने के अंत तक पूरा बिल नहीं चुकाया गया, तो उस पर लगने वाला ब्याज आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। क्रेडिट कार्ड की अधिक ब्याज दरें किसी भी चीज़ की असली कीमत को कई गुना बढ़ा देती हैं। इसलिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल हमेशा सोच-समझकर और ज़रूरत के अनुसार ही करें, ताकि आप कर्ज़ के बोझ से बच सकें।
हर व्यक्ति के पास एक बजट योजना होनी चाहिए। आदर्श रूप से, बजट योजना मासिक आधार पर बनाई जानी चाहिए, और आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप उसका पालन करें। हर कमाने वाले व्यक्ति को 50:30:20 के बजट नियम का पालन करना चाहिए।
एक बार जब आप ज़रूरत के समय काम आने के लिए एक इमरजेंसी फंड बनाने के लिए पर्याप्त बचत कर लेते हैं, तो आप अपनी आय का 20%-30% योजनाओं में निवेश करना शुरू कर सकते हैं।
कई लोग अपने करियर की शुरुआत में ही रिटायरमेंट के लिए बचत के महत्व को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। शुरुआती वर्षों में यह सोच आम होती है कि रिटायरमेंट अभी बहुत दूर है, लेकिन जब तक इसकी ज़रूरत का एहसास होता है, तब तक कीमती समय और चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ निकल चुका होता है। इसका परिणाम यह होता है कि रिटायरमेंट के समय पर्याप्त धनराशि न होने के कारण व्यक्ति को अपनी मनचाही उम्र से अधिक समय तक काम करना पड़ सकता है। इसलिए कमाई शुरू करते ही, चाहे रकम छोटी ही क्यों न हो, रिटायरमेंट फंड में नियमित रूप से निवेश करना शुरू करें। छोटी शुरुआत भी आगे चलकर आपके लिए बड़ा सहारा बन सकती है।
कई लोग टैक्स से जुड़ी जानकारी या सही योजना न होने के कारण हर साल काफी पैसा खो देते हैं। टैक्स कटौतियों और छूटों की जानकारी न होना, या फिर टैक्स बचत की योजना आख़िरी समय पर बनाना ये दोनों ही आम गलतियां हैं। अगर टैक्स की पहले से योजना न बनाई जाए, तो आपको ज़रूरत से ज़्यादा टैक्स देना पड़ सकता है। आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कई कटौतियां और छूटें उपलब्ध हैं, जिनका सही उपयोग करके आप अपने टैक्स बोझ को कम कर सकते हैं। इसलिए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही टैक्स प्लानिंग करना समझदारी भरा कदम है, जिससे न सिर्फ आप बचत बढ़ा सकते हैं बल्कि अपनी कुल वित्तीय स्थिति भी मजबूत बना सकते हैं।
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अक्सर लोग एक बार वित्तीय योजना बनाकर उसे भूल जाते हैं, जबकि समय-समय पर उसकी समीक्षा करना बहुत ज़रूरी होता है। आय, खर्च, निवेश और आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव के साथ आपकी वित्तीय ज़रूरतें भी बदलती हैं। अगर आप साल में कम से कम एक बार अपनी योजना की समीक्षा करें, तो आप इन बदलावों के अनुसार अपने लक्ष्यों को बेहतर तरीके से तय और पूरा कर सकते हैं। याद रखें, अच्छी वित्तीय योजना वही होती है जिसमें आप अपनी आमदनी से कम खर्च करें और अपने लक्ष्य अपनी क्षमता के अनुसार तय करें।