NEFT ने अधिकांश ग्राहकों के लिए बैंकिंग को बेहद सुविधाजनक बना दिया है। NEFT के द्वारा, आप ऑनलाइन या ऑफलाइन फण्ड ट्रान्सफर कर सकते हैं, आपके पास जिसे पैसा भेजना है उसके बैंक अकाउंट और IFSC कोड की जानकारी होनी चाहिए। वर्तमान में, NEFT के अलावा RTGS, IMPS और UPI भी उपलब्ध हैं जिनके द्वारा फण्ड ट्रान्सफर किया जा सकता हैं। हालांकि, NEFT अधिकांश ग्राहकों को पसंद है क्योंकि इसमें कम प्रोसेसिंग चार्ज, अधिक ट्रान्सफर लिमिट है।
NEFT ट्रांसफर लिमिट
NEFT ट्रांसफर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपके द्वारा ट्रांसफर की जाने वाली न्यूनतम और अधिकतम राशि पर कोई सीमा नहीं है। न्यूनतम ट्रांसफर राशि कम से कम 1 रु. हो सकती है, जबकि RTGS जैसे कई अन्य फंड ट्रांसफर विकल्पों द्वारा 2 लाख रु. से कम आप ट्रान्सफर नहीं कर सकते हैं।
NEFT ट्रांजेक्शन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लिमिट निर्धारित नहीं है। हालाँकि, एक लिमिट बैंक द्वारा तय की जा सकती है जिसमें आपका खाता है। उदाहरण के लिए, HDFC बैंक ने अपने ग्राहकों को ऑनलाइन NEFT ट्रांसफर के लिए प्रति दिन 25 लाख रु. सीमा रखी है।
नकद ट्रांसेक्शन के लिए, एक ट्रांजेक्शन 50,000 रु. से ज़्यादा का नहीं हो सकता है। हालाँकि, आपके द्वारा ट्रांसफर की जाने वाली कुल राशि पर कोई सीमा नहीं है।
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NEFT का समय
फंड ट्रांसफर की लिमिट के अलावा टाइमिंग पर भी कुछ सीमाएं हैं। एक सामान्य वर्किंग डे पर, NEFT सुविधा सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक (महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़कर) उपलब्ध रहती है। NEFT बैच क्लियरिंग तकनीकि पर काम करता है। इसका मतलब यह है कि NEFT हर आधे घंटे में एक बैच निकालता है जिसमें पिछले आधे घंटे में आए ट्रान्सफर के सभी आवेदनों के फण्ड को ट्रान्सफर किया जाता है। एक दिन में, 23 घंटे ये सेवा उपलब्ध रहती है। अगर कोई ट्रान्सफर आवेदन शनिवार (छुट्टी वाले दिन) आता है, तो वो ट्रान्सफर अब सोमवार के पहले बैच में किया जाएगा।
NEFT ट्रांसफर कैसे किए जाते हैं?
नेट बैंकिंग का उपयोग करके NEFT ट्रांसफर ऑनलाइन किया जा सकता है। NEFT एक बैच वाइस क्लियरिंग तकनीकि पर काम करता है। सबसे पहले किसी व्यक्ति या कम्पनी को सभी आवश्यक जानकारी जैसे कि बेनीफिशरी (जिसको ट्रान्सफर करना है) का नाम, उसका अकाउंट नंबर, उसका IFSC कोड भरना होगा। वह बैंक जहां रिक्वेस्ट जनरेट होता है, वह राशि में कटौती करेगा और NEFT के पूलिंग सेंटर को एक संदेश भेजेगा, जिसे NEFT सर्विस सेंटर के रूप में भी जाना जाता है। संदेश को फिर क्लियरिंग सेंटर पर भेज दिया जाता है। क्लियरिंग सेंटर इस आधार पर ट्रान्सफर आवेदन को क्लियर करता है कि जिस बैंक में पैसा भेजना है वो कहाँ स्तिथ है। सेंटर पैसा बैंक भेजता है और बैंक को वह राशि बेनीफिशरी के खाते में भेजनी होती है।
एक अन्य ऑफलाइन फण्ड ट्रान्सफर विकल्प ये है कि जिस भी बैंक शाखा में आपका अकाउंट है वहां से ट्रान्सफर कर सकते हैं।
NEFT शुल्क
राशि के आधार पर NEFT ट्रान्सफर पर लगने पर वाले शुल्क निम्नलिखित हैं:
- बैंक शाखाओं में आने वाले फंड पर (बेनीफिशरी अकाउंट में क्रेडिट के लिए) – लाभार्थियों पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाता है।
- बैंक शाखाएं जहां से ट्रांजेक्शन किया गया है – उसके शुल्क निम्नलिखित हैं:
NEFT की राशि | NEFT पर शुल्क |
₹ 10,000 तक की राशि पर | अधिकतम ₹ 2.50 + GST |
₹ 10,000 से ₹ 1 लाख तक की राशि पर | अधिकतम ₹ 5 + GST |
₹ 1 लाख से ₹ 2 लाख तक की राशि पर | अधिकतम ₹ 15 + GST |
₹ 2 लाख से अधिक की राशि पर | अधिकतम ₹ 25 + GST |
आप किसी भी NEFT फंड ट्रांसफर पर लागू शुल्क की पूरी जानकारी RBI की आधिकारिक वेबसाइट या अपने बैंक से प्राप्त कर सकते हैं।
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NEFT फंड ट्रांसफर के लाभ
ऐसे कई कारण हैं जो NEFT के माध्यम से फंड ट्रांसफर को एक बहुत ही बेहतरीन सुविधा बनाते हैं। किसी को पैसे भेजने के लिए आपको चेक या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम का उपयोग नहीं करना है। आप नेट बैंकिंग या फोन बैंकिंग का उपयोग करके आसानी से फंड ट्रांसफर कर सकते हैं। आप शाखा जाए बिना भी ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। RBI ऐसी तकनीकि को लागू करता है जिसकी मदद से इस फंड ट्रांसफर के दोनों ही पक्षों को SMS या ईमेल के माध्यम से सूचनाएं दी जाती हैं। सबसे महत्वपूर्ण कि यह फंड ट्रासफर का एक बहुत ही सुरक्षित फंड ट्रांसफर माध्यम है।
अन्य
NEFT केवल फंड ट्रांसफर ही नहीं करता है। आप NEFT सुविधा की मदद से बहुत कुछ कर सकते हैं। आप NEFT सुविधाओं का उपयोग करके अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान कर सकते हैं। आप NEFT भुगतान का उपयोग करके EMI का भुगतान भी कर सकते हैं। RBI के पास ऐसी नीतियां भी हैं जो कुछ मामलों में यूजर का नुकसान पूरा करने के लिए बैंकों को आदेश देती हैं।
यदि NEFT फंड निर्धारित समय के भीतर रिसीवर के खाते में जमा नहीं होते हैं या तय समय के भीतर भेजने वाले के खाते में वापस नहीं आते हैं, तो बैंकों को संबंधित पक्षों नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। NEFT फंडों को प्रोसेस करने में देरी के मामलों में, बैंक को मौजूदा RBI LAF रेपो दर पर 2 प्रतिशत का ब्याज देना होगा।
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