करदाताओं में बचत और निवेश को बढ़ावा देने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कर में कई तरह की छूट प्रदान करता है, जिसमें से इनकम टैक्स सेक्शन 80सी एक है। इसके तहत करदाता एक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रु. तक कर में बचत कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए टैक्सपेयर को पुराना टैक्स रिजिम (Old Tax Regime) का चुनाव करना होगा। इस लेख में जानें सेक्शन 80सी का लाभ कौन-ले सकते हैं और कैसे ले सकते हैं आदि अन्य जानकारी के लिए लेख आगे पढ़ें:
आयकर अधिनियम की धारा 80C क्या है?
भारतीय आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 80 C और इससे संबंधित धाराएँ 80CCC एवं 80CCD के तहत किसी भी व्यक्ति और संयुक्त हिन्दू परिवार (HUF) को एक फाइनेंशियल वर्ष के टैक्स में 1,50,000 रुपए तक की छूट मिल सकती है। यह छूट कंपनी, कॉर्पोरेट, साझेदारी (पार्टनरशिप) आदि में को नहीं मिलती है। आप अपने इस छूट के लिए आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न (ITR)) को हर साल 31 जुलाई से पहले फाइल कर सकते हैं।
जो रकम (अमाउंट) आप इस धारा के तहत क्लेम करते हैं उसे आपकी ग्रॉस टोटल इनकम से कम कर दिया जाता है, जिससे इनकम टैक्स को आसानी से कैलकुलेट किया जा सके। जैसे- आपकी ग्रॉस टोटल इनकम 10 लाख रु. है एवं आपने धारा 80C के तहत 1.5 लाख रु. के छूट के लिए क्लेम किया है, तो आपकी टैक्सेबल इनकम (जिस पर टैक्स लगेगा) 8.5 लाख बन जाएगी।
धारा 80C, 80CCC और 80CCD के तहत छूट
इस कैटेगरी के तहत होने वाली छूट धारा 80C, 80CCC एवं 80CCD के अंतर्गत आती हैं। धारा 80C में म्यूचुअल फंड, प्रीमियम बीमा टैक्स- सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), आदि सेवाएँ आती हैं। धारा 80CCC के अंतर्गत कुछ खास पॉलिसी आती हैं जो पेंशन एवं एन्युटी के लिए भुगतान करती है। वहीं, 80CCD के तहत नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) आता है।
धारा 80C की सीमा
इनकम टैक्स सेक्शन 80C के अंतर्गत अधिकतम टैक्स बचत की सीमा 1.5 लाख रुपए है। इस धारा के अंतर्गत, कोई भी निर्धारित न्यूनतम सीमा नहीं है।
धारा 80C की योजनाएँ
धारा 80सी की योजनाएं (Schemes of Section 80C) निम्नप्रकार है:
- निवेश संबंधित योजनाएँ – ELSS म्यूचुअल फंड, यूनिट लिंक्ड इन्शयोंरेंस पॉलिसी (ULIPs)
- बीमा योजना – टर्म बीमा प्लान, एंडोमेंट बीमा।
- रिटायरमेंट बचत योजनाएँ :- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), भारतीय पेंशन सिस्टम (NPS), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)।
- निर्धारित आय योजनाएँ – नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS), सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)।
- अन्य योजनाएँ – होम लोन री-पेमेंट (होम लोन), ट्यूशन फीस का भुगतान।
धारा 80C की योग्यता
इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति एवं संयुक्त हिन्दू परिवार छूट के लिए दावा कर सकते हैं। हालांकि यह छूट कंपनी, कॉर्पोरेट, साझेदारी (पार्टनरशिप) आदि को नहीं मिलती है।
इस धारा के तहत निम्नलिखित छूट होती है-
1) जीवन बीमा योजना – आपके या आपके परिवार के किसी सदस्य के लिए होती है। अगर यह सिंगल प्रीमियम पॉलिसी हैं तो आप पॉलिसी शुरू होने के 2 साल तक इसे बंद नहीं कर सकते। अगर यह मल्टीपल प्रीमियम पॉलिसी हैं तो आपको 2 साल तक का प्रीमियम भरना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको इस धारा के तहत मिलने वाली छूट नहीं दी जाएगी। यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (ULIPs) भी धारा 80C के तहत टैक्स छूट के लिए मान्य है।
रिटर्न पर टैक्स: जिन जीवन बीमा योजना पॉलिसी में बीमा कवर सालाना प्रीमियम के 10 गुना है, इस योजना को धारा 10(10)D के अंतर्गत भारतीय आयकर अधिनियम के तहत टैक्स से छूट मिलेगी।
2) ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश – ELSS म्यूचुअल फंड की लॉक-इन अवधि 3 साल की होती है एवं इसका 80% हिस्सा स्टॉक में निवेश किया जाता है।
रिटर्न पर टैक्स : ELSS रिटर्न 1 लाख रु. से अधिक होने पर, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के तहत 10% टैक्स लगता है।
3) पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) : यह भारतीय सरकार द्वारा बचत के लिए एक योजना है जो भारतीय सरकार द्वारा निर्धारित ब्याज दर पर कार्य करती है। आप इस स्कीम में बैंक एवं पोस्ट ऑफिस के द्वारा निवेश कर सकते हैं। यह योजना 15 साल के लिए होती है।
रिटर्न पर टैक्स : PPF रिटर्न टैक्स की दरों से बाहर होते हैं। हालांकि, आपको अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में हर साल PPF को घोषित करना पड़ता हैं।
4) कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) : EPF अकाउंट में कर्मचारियों द्वारा जमा किए गए पैसे धारा 80C के तहत छूट के लिए मान्य है। कंपनी द्वारा योगदान टैक्स से मुक्त होता है, लेकिन यह धारा 80C के तहत छूट के लिए मान्य नहीं है।
रिटर्न पर टैक्स : EPF की ब्याज दरें टैक्स फ्री होती है। लेकिन, अगर आप EPF रजिस्टर्ड कंपनी में काम करना छोड़ दें तो इस पर टैक्स लगना शुरू हो जाएगा। यदि आप 5 साल से पहले EPF अकाउंट से पैसे निकाल लें तो आपके EPF में मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा।
5) टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (FDs) : बैंक एवं पोस्ट ऑफिस में 5 साल के लिए किए गए टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (FDs) टैक्स छूट के लिए मान्य होते हैं।
रिटर्न पर टैक्स : ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट (FDs) पर मिलने वाले ब्याज में निर्धारित पर टैक्स लगता है।
6) भारतीय पेंशन सिस्टम (NPS) : NPS छूट धारा 80CCD (1) एवं (2) के तहत आता है। धारा 80C के तहत कर्मचारी एवं कंपनी द्वारा दोनों योगदान पर टैक्स छूट मिलती है। इस धारा का लाभ उठाने के लिए कर्मचारी की बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए। स्वयं रोजगार (अपना बिजनेस करने वाला) व्यक्ति भी इसका लाभ उठा सकता है, अपनी कुल इनकम में से 20% तक आपको NPS में देना होगा ।
इसके साथ ही, (NPS) भारतीय पेंशन सिस्टम में 50,000 रु. तक के अपनी इच्छा से किए गए योगदान को धारा 80C के अंतर्गत 1.5 लाख रु. से अधिक की छूट दी जाती है। अपनी इच्छा से किया हुआ योगदान (वोलंटरी योगदान) धारा 80CCD (1B) के अंतर्गत आते हैं।
रिटर्न पर टैक्स: एनपीएस रिटर्न मैच्यौर होने तक टैक्स मुक्त/फ्री होता है। लेकिन मैच्यौर होने पर, सिर्फ 40% ही टैक्स मुक्त/फ्री होता है।
7) नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NPS):- सरकार द्वारा बचत के लिए बनाया गया प्रोग्राम है जो 5 साल के लिए होता है। इस सर्टिफिकेट पर ब्याज, धारा 80 C के तहत टैक्स छूट के लिए मान्य है ।
रिटर्न्स पर टैक्स:- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट पर ब्याज, धारा 80 सी के तहत टैक्स छूट के लिए मान्य है।
8) सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) : यह सरकार द्वारा बचत के लिए एक योजना है जो 5 साल तक के लिए होती है, लेकिन इसे 3 साल के लिए और आगे बढ़ाया जा सकता है।
रिटर्न पर टैक्स: सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) रिटर्न्स पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से कर लगता है।
9) सुकन्या समृद्धि योजना- यह सरकार द्वारा कम उम्र की लड़कियों के लिए बचत योजना है। इस योजना को 10 साल से कम उम्र की लड़की के माता-पिता द्वारा शुरू किया जाता है। यह योजना 21 वर्ष के लिए होती है या फिर जब लड़की की आयु 18 से अधिक हो जाए या फिर जब उसकी शादी हो।
रिटर्न पर टैक्स: सुकन्या समृद्धि योजना पर मिलने वाले रिटर्न्स टैक्स मुक्त होते हैं।
10) ट्यूशन फीस : यह सिर्फ 2 ही बच्चों के लिए मान्य होती है। यह स्कीम किसी भी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय आदि में मान्य होती है।
11) होम लोन री-पेमेंट
12) स्टाम्प ड्यूटी/फीस : घर की प्रॉपर्टी को अपने नाम पर ट्रांसफर करना।
13) निवेश: 5 साल के टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपाजिट (FD) में।
धारा 80C के निवेश विकल्प
क्रमांक न० | विकल्प | ब्याज़ दर | अवधि | रिटर्न की गारंटी | जोखिम |
1 | ELSS funds | 12-15% | 3 वर्ष | नहीं | शेयर निवेश संबंधित जोखिम |
2 | PPF | 7.1% | 15 वर्ष | हां | कोई जोखिम नहीं |
3 | NPS | 8-10% | रिटायरमेंट (सेवा निवृत्ति तक) | नहीं | शेयर निवेश संबंधित जोखिम |
4 | NSC | 7.7% | 5 वर्ष | हां | कोई जोखिम नहीं |
5 | FD | 5.75-9.6% (अनुमानित) | 5 वर्ष | हां | कोई जोखिम नहीं |
6 | ULIP | 8-10% (अनुमानित) | 5 वर्ष | नहीं | शेयर निवेश सम्बंधित जोखिम |
7 | सुकन्या समृद्धि | 8.2% | 21 वर्ष | हां | कोई जोखिम नहीं |
8 | SCSS | 8.2% | 5 वर्ष | हां | कोई जोखिम नहीं |
नोट- PPF, NSC, SCSS और सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दरें वित्तीय वर्ष Q1 2025-26 में अपडेट की गई है, हालांकि दरें समय-समय पर बदलती रहती है।
नौकरीपेशा कर्मचारी के लिए सेक्शन 80C निवेश
निम्नलिखित ऑप्शन के तहत नौकरीपेशा कर्मचारी सेक्शन 80सी के तहत कर में कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं:
- पब्लिक प्रोविडेंड फंड (पीपीएफ)
- कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ)
- ELSS
- NPS
- टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉज़िट
- लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम
- NSC
- सीनियर सीटिज़न सेविंग स्कीम (SCSS)
- सुकन्या समृद्धि योजना
गैर-नौकरीपेशा के लिए सेक्शन 80C टैक्स सेविंग ऑप्शन
नौकरी न करने वाले यानी खुद का बिज़नेस करने वालों के लिए आयकर अधिनियम 80सी के तहत टैक्स सेविंग ऑप्शन निम्नलिखित है:
- पब्लिक प्रोविडेंड फंड (PPF)
- नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)
- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC)
- टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपाज़िट
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)
- लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की प्रीमियम भुगतान
- यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs)
- सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)
- सीनियर सीटिज़न सेविंग स्कीम (SCSS)
सेक्शन 80C बनाम सेक्शन 80D: दोनों के टैक्स बेनिफिट में क्या अंतर है?
आयकर की धारा 80सी और धारा 80डी के तहत मिलने वाले टैक्स बेनिफिट में अंतर निम्नप्रकार है:
आधार | सेक्शन 80C | सेक्शन 80D |
योग्य कटौती | पीपीएफ, ELSS, LIC, NSC और ट्यूशन फीस आदि के लिए किए गए खर्च और निवेश पर कटौती लागू | स्वास्थ्य बीमा खर्चों पर राहत प्रदान करता है, जैसे स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और हेल्थ चेक-अप |
अधिकतम कटौती लागू | एक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रु. तक | ₹25,000 – ₹1,00,000 (आय और कवरेज के हिसाब से)
नियमित टैक्सपेयर के लिए
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सीनियर सीटिज़न के लिए अतिरिक्त लाभ | लागू नहीं | सीनियर सीटिज़न टैक्सपेयर के लिए
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संबंधित सवाल:
प्रश्न. क्या धारा 80 C के तहत भारतीय एवं भारतीय प्रवासी (NRIs) दोनों टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं?
उत्तर: हां, धारा 80 C के तहत भारतीय एवं भारतीय प्रवासी (NRIs) दोनों टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं।
प्रश्न. टैक्स कटौती और टैक्स से छूट में क्या अंतर है ?
उत्तर: जिन भी तरह के निवेश को टैक्स से छूट प्राप्त होती है उन्हें आयकर अधिनियम के तहत टैक्स कटौती नहीं मिल सकती है| उदः अगर आपकी वार्षिक आय 10 लाख रु. है और आपने एक ऐसे बॉन्ड में निवेश किया है जिस पर टैक्स नहीं लगता है| तो आयकर भरते समय आपको किसी भी तरह की टैक्स छूट नहीं मिलेगी| वहीं अगर आपकी वार्षिक आय 7 लाख रु. है और आपने 1.5 लाख रु. का ऐसे निवेश में जिस पर टैक्स लगता है तो आपको आयकर भरते समय आयकर अधिनियम 80C के अंतर्गत 1.5 लाख रु. की छूट मिलेगी और आपको 5.5 लाख रु. पर ही टैक्स देना होगा|
प्रश्न. क्या पर्सनल एक्सीडेंट बीमा योजना सेक्शन 80 C के तहत कवर होगी?
उत्तर: हाँ , हर तरह के प्रीमियम जीवन बीमा कवर होते हैं। जिसमें पर्सनल एक्सीडेंट बीमा योजना भी आती है जो आपको मृत्यु एवं एक्सीडेंट के समय पैसे देती है। लेकिन आपकी बीमा कवर कम से कम आपके सालाना प्रीमियम के 10 गुना होना चाहिए।
प्रश्न. क्या धारा 80C का लाभ न्यू टैक्स रिज़िम (New Tax Regime) में ले सकते हैं?
उत्तर: नहीं, इनकम टैक्स सेक्शन 80सी में लागू कटौतियां न्यू टैक्स रिज़िम में नहीं मिलती है।
प्रश्न. सेक्शन 80सी करदाताओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: इनकम टैक्स की धारा 80C महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके तहत व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार (HUFs) एक वित्तीय वर्ष में ₹1.5 लाख तक के निवेशों और खर्चों पर कर कटौती का लाभ ले सकते हैं। हालांकि, यह छूट केवल ओल्ड टैक्स रिज़िम (पुरानी कर व्यवस्था) चुनने पर ही मिलेगी।
प्रश्न: क्या जीवन बीमा प्रीमियम धारा 80C के अंतर्गत कटौती के योग्य है?
उत्तर: हाँ, आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत जीवन बीमा पॉलिसियों पर चुकाए गए प्रीमियम पर आप कर कटौती का दावा कर सकते हैं।
प्रश्न: क्या पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) धारा 80C के अंतर्गत शामिल है?
उत्तर: हाँ, यदि आप पुरानी कर व्यवस्था को चुनते हैं, तो PPF में किए गए निवेश पर ₹1.5 लाख तक की कर कटौती का लाभ एक वित्तीय वर्ष में लिया जा सकता है।
प्रश्न. क्या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) कर कटौती के योग्य है?
उत्तर: हां, सेक्शन 80सी के तहत ELSS कर कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं।
प्रश्न. क्या धारा 80C के तहत कटौती का दावा करने के लिए प्रमाण प्रस्तुत करना अनिवार्य है?
उत्तर: आयकर रिटर्न फाइल करते समय धारा 80C के तहत कटौती का दावा करने के लिए आपको आयकर विभाग को कोई दस्तावेजी देने की ज़रूरत नहीं है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि आप संबंधित दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखें, ताकि आवश्यकता पड़ने पर आयकर विभाग या मूल्यांकन अधिकारी को दिखा सकें।
प्रश्न: क्या मैं नियोक्ता के फॉर्म 16 के बिना धारा 80C के तहत टैक्स कटौती का दावा कर सकता हूं?
उत्तर: हाँ, आप एंप्लॉय के फॉर्म 16 के बिना भी धारा 80C के अंतर्गत कटौती का दावा कर सकते हैं।
प्रश्न: क्या धारा 80C के तहत कटौती के लिए कोई न्यूनतम निवेश की आवश्यकता होती है?
उत्तर: नहीं, धारा 80C के तहत कटौती का दावा करने के लिए कोई न्यूनतम निवेश की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, अधिकतम ₹1.5 लाख तक की राशि पर ही आप कटौती का लाभ ले सकते हैं।
प्रश्न: क्या पति-पत्नी दोनों अलग-अलग धारा 80C के तहत टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, चूंकि आयकर व्यक्तिगत रूप से दाखिल और अदा किया जाता है, इसलिए पति और पत्नी दोनों (अगर वो स्वंय अपने खर्च और निवेश करते हैं) अपने-अपने हिस्से का सेक्शन 80सी के तहत कर कटौती का दावा कर सकते हैं।