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कई लोग होम लोन से जुड़ी धारणाओं और गलतफहमियों पर भरोसा करते हैं, जो आगे चलकर उनकी जेब पर भारी पड़ सकती हैं। होम लोन से जुड़े यह मिथक ऐसे हैं जो लोगों को सही निर्णय लेने से रोकते हैं। आइए जानते हैं ऐसी 6 गलतफहमियों के बारे में-
यह बात सच है कि क्रेडिट स्कोर अच्छा होने पर लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन सिर्फ क्रेडिट स्कोर के आधार पर आपको लोन मिलने की गारंटी नहीं है। क्योंकि बैंक और लोन संस्थान क्रेडिट स्कोर के अलावा आपकी इनकम, नौकरी की स्थिरता, नियोक्ता की प्रोफ़ाइल, और भुगतान क्षमता जैसी कई बातों पर विचार करते हैं। अगर इनमें से कोई भी मानक पूरा नहीं होता, तो अच्छा क्रेडिट स्कोर होने के बावजूद लोन रिजेक्ट हो सकता है।
होम लोन फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट दोनों में दिया जाता है। फिक्स्ड रेट लोन की ब्याज दरें जहां पूरी लोन अवधि के दौरान समान होती हैं, वहीं फ्लोटिंग रेट होम लोन की दरें समय-समय पर बदल सकती हैं। कई लोग ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए फिक्स्ड रेट पर होम लोन लेते हैं। लेकिन सच तो यह है कि ऐसे बहुत कम बैंक और लोन संस्थान हैं जो पूरी लोन अवधि के लिए फिक्स्ड रेट ऑफर करते हैं, और जो करते हैं वे अक्सर ज़्यादा ब्याज दर लेते हैं। आमतौर पर, फ्लोटिंग रेट होम लोन की ब्याज दरें फिक्स्ड रेट की तुलना में कम होती हैं।

कई लोग लंबी अवधि के लिए लोन सिर्फ इसलिए लेते हैं क्योंकि इसकी ईएमआई कम होती है। लेकिन वे इस बात को नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि लंबी अवधि के लिए लोन लेने पर उन्हें कुल ब्याज बहुत ज़्यादा देना पड़ेगा। इसके उलट, कम अवधि के लोन की ईएमआई अधिक होती है, लेकिन लोन जल्दी चुकता हो जाता है, साथ ही ब्याज लागत भी कम लगती है। आवेदक को लोन अवधि का चुनाव इन बातों के साथ-साथ अपनी भुगतान क्षमता का भी ध्यान रखना चाहिए।
नहीं, ऐसा नहीं है। RBI के नियमों के अनुसार, अगर आपका होम लोन फ्लोटिंग रेट पर है तो बैंक कोई भी प्रीपेमेंट या फोरक्लोज़र चार्ज नहीं लगा सकते। फिक्स्ड रेट होम लोन के मामले में प्रीपेमेंट चार्ज लिया जा सकता है। इसलिए अगर आपके पास अतिरिक्त धन है, तो प्रीपेमेंट करके ब्याज का बोझ घटा सकते हैं।
हर बार ऐसा नहीं होता। अक्सर बैंक ब्याज दरों में बदलाव होने पर लोन अवधि बढ़ा देते हैं। ऐसे में लोन की EMI तो समान रहती है, लेकिन आपको ज़्यादा ब्याज देना पड़ता है। इसलिए ब्याज दर बढ़ने पर अपने बैंक से यह सुनिश्चित कर लें कि वे लोन की ईएमआई में बदलाव कर रहे हैं या फिर उसकी अवधि में।
नहीं, होम लोन इंश्योरेंस लेना ज़रूरी नहीं है, यह पूरी तरह वैकल्पिक है और कस्टमर पर निर्भर करता है। हालांकि, अगर आप किसी अनहोनी स्थिति में अपने परिवार को लोन के बोझ से बचाना चाहते हैं, तो यह एक समझदारी भरा वित्तीय निर्णय हो सकता है।