होम लोन एक लंबी अवधि का लोन है जिसमें ब्याज दरें आपकी EMI और कुल ब्याज लागत को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कम ब्याज दरों पर लोन मिलने से आप अच्छी-खासी बचत कर सकते हैं। इसलिए यह समझना बेहद ज़रूरी है कि आपकी होम लोन की ब्याज दरें तय करते समय बैंक और लोन संस्थान किन कारकों को ध्यान में रखते हैं।
क्रेडिट स्कोर
अन्य लोन की तरह ही होम लोन में भी बैंक या लोन संस्थान आवेदक की योग्यता का आकलन करने के लिए उनका क्रेडिट स्कोर देखते हैं। क्रेडिट स्कोर न सिर्फ उनकी योग्यता के लिए बल्कि ब्याज दरों के निर्धारण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि क्रेडिट स्कोर से पता चलता है कि आवेदक ने पिछले भुगतान कितनी संजीदगी और समयबद्धता के साथ किए हैं। अपने भुगतान को लेकर गैर-ज़िम्मेदाराना रवैया या डिफॉल्ट उनके क्रेडिट स्कोर को कम करता है।
इसलिए जिन आवेदकों का क्रेडिट स्कोर 730 या उससे ज़्यादा होता है, उन्हें आमतौर पर क्रेडिट के लिए अधिक योग्य माना जाता है और ऐसे आवेदकों को लोन संस्थान कम ब्याज दरों पर लोन देते हैं। जबकि 730 या उससे कम के क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को लोन देना जोखिमभरा माना जाता है, इसलिए भरपाई के लिए होम लोन लेंडर्स उन्हें अधिक ब्याज दरों पर लोन देते हैं।
लोन राशि
लोन राशि जितनी अधिक होती है, लेंडर के लिए क्रेडिट रिस्क उतना ही ज़्यादा होता है। इसलिए कई बैंक और लोन संस्थान लोन राशि अधिक होने पर रिस्क को कवर करने के लिए ज़्यादा ब्याज लेते हैं।
ऐसे में अगर आवेदक कम ब्याज दरों पर लोन पाना चाहते हैं, तो उन्हें जितना संभव हो अधिक डाउनपेमेंट या मार्जिन कंट्रीब्यूशन देने की कोशिश करनी चाहिए। इससे लेडर्स का रिस्क कम होता है और कम ब्याज दरों पर लोन मिलने की संभावना बढ़ती है।
ब्याज दर का प्रकार
होम लोन की ब्याज दरों का चुनाव एक महत्वपूर्ण कारक है जो इस पर असर डालता है। दरअसल, होम लोन पर ब्याज दरें तीन प्रकार की होती हैं- फिक्स्ड, फ्लोटिंग और हाइब्रिड।
- फिक्स्ड रेट होम लोन में ब्याज दरें पूरी अवधि के दौरान समान रहती हैं। लेकिन इसकी दरें फ्लोटिंग रेट होम लोन की तुलना में ज़्यादा होती है। क्योंकि होम लोन एक लंबी अवधि का लोन है और बैंक को यह नहीं पता कि भविष्य में बाज़ार दरें (जैसे- रेपो रेट) कितनी बढ़ेंगी, इसलिए बैंक अपने जोखिम को कवर करने के लिए फिक्स्ड रेट लोन पर अधिक ब्याज दरें रखते हैं।
- फ्लोटिंग रेट होम लोन में ब्याज दर लेंडर द्वारा अपनाए गए बेंचमार्क रेट में बदलाव के अनुसार घटती-बढ़ती हैं। इसमें रेट में उतार-चढ़ाव का जोखिम ग्राहक पर होता है इसलिए लेंडर्स इसकी ब्याज दरें कम रखते हैं।
- हाइब्रिड रेट लोन के मामले में ब्याज दरें फिक्स्ड और फ्लोटिंग दोनों रहती हैं। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त विकल्प है जो शुरुआती वर्षो में समान ईएमआई भरना चाहते हैं और जिन्हें भविष्य में ब्याज दरों के कम होने की संभावना नज़र आती है।
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LTV रेश्यो
एलटीवी यानी लोन-टू-वैल्यू रेश्यो दर्शाता है कि संपत्ति के मूल्य का कितना प्रतिशत आपको लोन के रूप में मिलेगा। प्रॉपर्टी वैल्यू के हिसाब से शेष रकम का भुगतान आवेदक को डाउनपेमेंट या मार्जिन के रूप में खुद भरना होता है।
चूंकि कम LTV रेश्यो बैंक या लोन संस्थान के लिए लोन जोखिम को कम करते हैं, इसलिए कई लोन संस्थान कम LTV रेश्यो वाले आवेदकों को कम ब्याज दरें ऑफर करते हैं।
आवेदक का पेशा
कई बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां ब्याज दर तय करते समय आवेदकों के आय स्रोतों पर विचार करती हैं। आमतौर पर नौकरीपेशा व्यक्तियों को सेल्फ-एम्प्लॉयड की तुलना में कम ब्याज दर मिलती है क्योंकि उनकी आय निश्चित होती है जिससे लोन संस्थान के लिए जोखिम कम होता है।
नौकरीपेशा आवेदकों में भी सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को अधिक आय और बेहतर जॉब सिक्योरिटी के कारण कम ब्याज दर मिलती है, उसके बाद बड़े प्रतिष्ठित प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोन आवेदक आते हैं।
निष्कर्ष
इन कारकों के अलावा, होम लोन की ब्याज दरें अलग-अलग बैंक/लोन संस्थान के लिए भिन्न होती हैं क्योंकि उनकी क्रेडिट रिस्क लेने की क्षमता, फंड की लागत और ब्याज दरें निर्धारित करने के मानदंड अलग-अलग होते हैं। इसलिए लोन लेने से पहले जितना संभव हो उतने बैंक/HFCs के लोन ऑफर्स की तुलना ज़रूर करें। सबसे पहले उन बैंकों/एचएफसी से संपर्क करें जिनसे आपका पहले से किसी प्रकार का डिपॉज़िट या लोन संबंध हो क्योंकि कई लोन संस्थान अपने मौजूदा कस्टमर्स को कम ब्याज दरों पर लोन जैसे लाभ प्रदान करते हैं।
इसके बाद ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केटप्लेस पर जाकर लोन अमाउंट, एलटीवी रेश्यो, आय, जॉब प्रोफाइल व अन्य पात्रता के अनुसार विभिन्न लेंडर्स के ऑफर की तुलना करें और जो बैंक या लोन संस्थान सबसे कम ब्याज दरों और बेहतर शर्तों पर लोन दे रहा हो, उसे चुनें।