पर्सनल लोन आपकी वित्तीय ज़रूरतों को तुरंत पूरा करने का एक सुविधाजनक विकल्प है, लेकिन सिक्योर्ड लोन के मुकाबले पर्सनल लोन ब्याज दरें अधिक होती है जो आपके बजट पर भारी पड़ सकती हैं। अगर आपने पर्सनल लोन लिया हुआ है और अब ब्याज के बोझ को कम करना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। इस लेख में कुछ ऐसे असरदार तरीके बताए गए है जिनको अपनाकर आप लोन की ब्याज लागत कम कर सकते हैं वो भी बिना अपनी ज़रूरतों से समझौता किए।
लोन प्रीपेमेंट करें
बोनस, टैक्स रिफंड या कोई अतिरिक्त इनकम मिलने पर उसका इस्तेमाल पर्सनल लोन प्रीपेमेंट (Personal loan Prepayment) के लिए करें। ऐसा करने से मूल राशि कम होगी और ब्याज पर काफी बचत हो सकती है। लोन का भुगतान करते समय, आपको आमतौर पर अपने लोन की EMI और लोन अवधि को कम करने के बीच एक का चुनाव करना होता है। अगर आप अपनी EMI कम करना चाहते हैं, तो लोन की अवधि बढ़ाएं। इससे आपकी मासिक किस्तें तो घट जाती हैं, लेकिन लोन चुकाने में समय अधिक लगेगा और इससे आपकी कुल ब्याज लागत भी बढ़ जाएगी। अगर आप ब्याज पर ज़्यादा बचत चाहते हैं, तो लोन की अवधि घटाना ज़्यादा फायदेमंद रहेगा।
ध्यान रखें:
लोन प्रीपेमेंट करने के लिए कभी भी अपने इमरजेंसी फंड या वित्तीय लक्ष्यों से समझौता न करें, वरना भविष्य में उच्च ब्याज दर पर लोन लेना पड़ सकता है।
EMI बढ़ाने का विचार करें
अगर आपकी आय बढ़ी है और आप आराम से मासिक खर्च चला पा रहे हैं, तो अपने पर्सनल लोन की EMI बढ़ाने पर भी विचार करें। EMI बढ़ाने से लोन की अवधि कम हो जाएगी, जिससे कुल ब्याज पर अच्छी बचत होगी।
उदाहरण से समझते है:
अजय के वर्तमान व्यक्तिगत ऋण की ईएमआई ₹10,000/माह है अगर अजय उस EMI को ₹15,000 तक बढ़ाता हैं, तो अजय लोन को जल्दी चुकता तो कर देगा साथ ही वह ब्याज लागत पर भी अच्छी खासी बचत कर सकता है।
ध्यान रखें :
हालांकि, EMI बढ़ाने का फैसला तभी करें जब आपका मासिक कैश फ्लो स्थिर हो। ज़्यादातर लेंडर चाहते हैं कि आपकी नेट मंथली इनकम (NMI) के 50-60% से अधिक न हो। ऐसा इसलिए, ताकि आपकी अन्य ज़रूरतें जैसे: रोज़मर्रा के खर्च, इमरजेंसी फंड और निवेश आदि प्रभावित न हो सके। साथ ही, खुद को ऐसी स्थिति में डालने से बचें जहां आपको उच्च दरों पर अतिरिक्त लोन लेने की ज़रूरत पड़े।
बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनें
अगर आपका मौजूदा लोन अधिक ब्याज दर पर है या लेंडर बेहतर शर्तें नहीं दे रहा, तो आपके लिए पर्सनल लोन बैलेंस ट्रांसफर (PLBT) एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसका मतलब है कि अपने बकाया पर्सनल लोन को किसी दूसरे लेंडर को ट्रांसफर करना जो कम ब्याज दर, लंबी अवधि और ज़्यादा लोन राशि जैसी बेहतर शर्तें दे रहा हो। कुछ बैंक अपने पर्सनल लोन बैलेंस ट्रांसफर ग्राहकों को टॉप-अप लोन भी देते हैं।
ध्यान रखें:
- PLBT से क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर नहीं पड़ता।
- ट्रांसफर करने से पहले कुल लागत-लाभ का विश्लेषण करें।
- प्रोसेसिंग फीस, प्रीपेमेंट चार्ज आदि कुल बचत से कम होनी चाहिए।
निष्कर्ष
आपको हमेशा लोन की मूल शर्तों से बंधे रहने की ज़रूरत नहीं है। प्रीपेमेंट, EMI में बदलाव या बैलेंस ट्रांसफर जैसे विकल्प अपनाकर आप पर्सनल लोन पर ब्याज का बोझ काफी हद तक कम कर सकते हैं।