क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। आजकल अधिकतर लोग शॉपिंग, डाइनिंग और ट्रैवल जैसे खर्चों के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। कार्ड पर मिलने वाले रिवॉर्ड पॉइंट्स, कैशबैक और टैप-एंड-पे जैसी सुविधाएँ इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। ऐसे में क्रेडिट कार्ड से जुड़े महत्वपूर्ण टर्म्स को समझना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि ये न केवल आपके कार्ड के सही उपयोग में मदद करते हैं, बल्कि आपके क्रेडिट स्कोर और वित्तीय स्थिति पर भी सीधा असर डालते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ज़रूरी टर्म्स के बारे में जो हर कार्डहोल्डर को पता होना चाहिए।
क्रेडिट कार्ड टर्म्स

क्रेडिट लिमिट
- वह अधिकतम राशि जो आप अपने क्रेडिट कार्ड से खर्च कर सकते हैं।
- यह लिमिट बैंक व एनबीएफसी द्वारा आपकी इनकम, लायबिलिटी (कुल कर्ज़), रीपेमेंट हिस्ट्री और बैंक की आंतरिक नीति द्वारा तय किया जाता है।
- इस लिमिट से ज़्यादा खर्च करने पर ओवरलिमिट चार्ज देना होता है और बार-बार पूरी क्रेडिट लिमिट खर्च करने से क्रेडिट स्कोर भी गिर सकता है।
क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो (CUR)
- आपके कुल क्रेडिट लिमिट का वह प्रतिशत जो आप खर्च करते हैं। उदाहरण के लिए- अगर आपकी कुल क्रेडिट लिमिट ₹1,00,000 है और एक बिलिंग साइकिल में आप ₹30,000 खर्च करते हैं, तो CUR 30% होगा।
- यह प्रतिशत जितना कम होता है क्रेडिट स्कोर के लिए उतना बेहतर माना जाता है।
बिलिंग साइकिल
- हर महीने का वह समय-चक्र जिसमें आपके क्रेडिट कार्ड से किए गए सभी खर्च और ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड यानी बिल जेनरेट होता है।
- यह आमतौर पर 25-30 दिनों का होता है, जो एक कार्ड से दूसरे कार्ड में भिन्न हो सकता है।
- बिलिंग साइकिल को समझकर समय पर पूरा भुगतान करने से आप लेट पेमेंट चार्ज और ब्याज देने से बच सकते हैं। साथ ही इससे क्रेडिट स्कोर भी अच्छा बना रहता है।
ड्यू डेट
- वह आख़िरी तारीख, जिसके भीतर आपको अपने क्रेडिट कार्ड का बकाया चुकाना होता है।
- हर बैंक की ड्यू डेट अलग होती है और यह बिलिंग साइकिल के आधार पर तय होती है।
- ड्यू डेट तक बिल का पूरा भुगतान न करने पर लेट पेमेंट चार्ज लगता है। वहीं, केवल न्यूनतम राशि (मिनिमम अमाउंट) का भुगतान करने पर बकाया राशि पर ब्याज लगना शुरू हो जाता है।
मिनिमम अमाउंट ड्यू
- कुल बकाया राशि का वह छोटा-सा हिस्सा, जो आपको हर महीने क्रेडिट कार्ड बिल की आखिरी तारीख तक चुकानी होती है।
- मिनिमम अमाउंट ड्यू भरने से लेट पेमेंट चार्ज तो नहीं लगता, लेकिन बाकी बकाया राशि पर हाई इंटरेस्ट चार्ज लगता है। इसलिए समय से बिल का पूरा भुगतान करें।
कैश एडवांस
- क्रेडिट कार्ड से ATM से कैश निकालना, कैश एडवांस या कैश विड्रॉल कहलाता है।
- हर बार पैसे निकालने पर, निकाली गई राशि का 2% से 3.5% तक का कैश एडवांस फीस लगता है।
- इसमें कैश निकालते ही ब्याज लगना शुरू हो जाता है और कोई इंटरेस्ट-फ्री अवधि नहीं मिलती।
- कैश निकालने के बाद यदि पूरा बकाया न चुकाया जाए, तो नई खरीदारी पर भी ब्याज लगता है।
- ध्यान रहे, क्रेडिट कार्ड की कुल लिमिट का 20-40% तक ही कैश के रूप में निकाल सकते हैं।
एनुअल परसेंटेज रेट (APR)
- वह वार्षिक ब्याज दर जो बैंक या कार्ड जारीकर्ता आपके क्रेडिट कार्ड के बकाया राशि पर चार्ज करते हैं।
- यह विशेष रूप से स्वाइप या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के माध्यम से किए गए खर्चों पर लिया जाता है, जिसका भुगतान आप ड्यू डेट तक नहीं कर पाते हैं।
- आमतौर पर, क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरें मासिक आधार पर दिखाई जाती हैं, जैसे 2% प्रति माह, जो सालाना आधार पर लगभग 24% APR के बराबर होती है।
चार्जबैक/डिस्प्यूट
- अगर आपको अपने मासिक स्टेटमेंट में कोई गलती दिखे, जैसे कि आपने जो ट्रांजैक्शन नहीं किया हो और वह स्टेटमेंट में दिख रहा है, तो आप चार्जबैक या डिस्प्यूट दर्ज कर सकते हैं।
- इस प्रक्रिया के तहत कार्ड जारीकर्ता उस असफल या अनधिकृत ट्रांजैक्शन की राशि आपको वापस कर देते हैं।
वार्षिक फीस
क्रेडिट कार्ड पर लगने वाला सालाना चार्ज़। जो कार्ड अनुसार अलग-अलग होता है।
रिवॉर्ड पाइंट्स
क्रेडिट कार्ड खर्च पर मिलने वाले पॉइंट्स जिन्हें गिफ्ट/ऑफर में रिडीम किया जा सकता है।
उपरोक्त टर्म्स के अलावा क्रेडिट कार्ड में बैलेंस ट्रांसफर, इंटरेस्ट फ्री पीरियड, लेट पेमेंट फीस और ओवरलिमिट फीस जैसे शब्द भी होते हैं। इन टर्म्स को समझकर आप न केवल अनावश्यक चार्ज से बच सकते हैं बल्कि अपने कार्ड के फीचर्स का पूरा लाभ भी उठा सकते हैं।
