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कई पर्सनल लोन को एक साथ मैनेज करना आसान नहीं होता, लेकिन सही प्लानिंग के साथ आप इसे बिना तनाव और परेशानी के संभाल सकते हैं। चाहे आप छोटा व्यवसाय चलाते हों, खेती करते हों, ग्रामीण या शहरी क्षेत्र में नौकरी करते हों स्मार्ट लोन मैनेजमेंट आपकी वित्तीय स्थिरता के लिए बेहद ज़रूरी है। इस लेख में हमने कई पर्सनल लोन (Multiple Personal Loans) को मैनेज करने के महत्वपूर्ण सुझाव बताए हैं। इन टिप्स को अपनाकर आप समय पर EMI का भुगतान कर सकेंगे, ब्याज में बचत कर पाएंगे और अपने लोन को जल्दी से खत्म कर सकेंगे।
अगर आपके पास कई पर्सनल लोन हैं, तो सबसे महत्वपूर्ण काम है ब्याज दर के आधार पर भुगतान को प्राथमिकता देना। सबसे पहले उस लोन का भुगतान करें जिसकी ब्याज दर अधिक है बाकी लोन पर सिर्फ न्यूनतम EMI भरते रहें। जैसे ही अधिक ब्याज वाला लोन खत्म हो जाए, उस लोन की EMI को अगले लोन में जोड़ दें। इस तरीके से आप ब्याज में बड़ी बचत कर सकेंगे और अपने सभी लोन को जल्दी से चुका पाएंगे।
कई पर्सनल लोन को संभालने का सबसे असरदार तरीका है एक मजबूत बजट बनाना और उस पर लगातार अमल करना। इसके लिए सबसे पहले अपनी कुल आय और सभी खर्चों की सूची बनाएं:
अब देखें कि किन खर्चों को कम किया जा सकता है, बिना आपकी ज़रूरतों को प्रभावित किए। जो खर्चे ज़रूरी नहीं है उसमे थोड़ी कटौती करके आप हर महीने लोन चुकाने के लिए अधिक राशि बचा सकते हैं। साथ ही, जब तक मौजूदा लोन चल रहे हों, नए लोन लेने से बचें, क्योंकि इससे आपकी आर्थिक परेशानी और बढ़ सकती है।
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अगर आप कई पर्सनल लोन एक साथ संभाल रहे हैं, तो डेब्ट कंसोलिडेशन एक मददगार विकल्प हो सकता है। इसमें आप कई लोन को मिलाकर एक ऐसा नया लोन लेना, जिसकी ब्याज दर कम हो। इससे अलग-अलग लोन की जगह एक ही लोन होता है, जिससे किस्तें (EMIs) चुकाना आसान हो जाता है और कुल ब्याज का बोझ भी कम होता है। यह प्रक्रिया आपकी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करती है क्योंकि आपको कई भुगतानों की जगह सिर्फ एक मासिक भुगतान करना होता है। इससे भुगतान आसान हो जाता है और कई बार ब्याज दर भी कम मिल जाती है, जिससे कुल खर्च घट सकता है।
लेकिन इस कदम को उठाने से पहले कुछ बातों पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है:
डेब्ट कंसोलिडेशन तभी फायदेमंद है, जब नए लोन की ब्याज दर आपके पुराने सभी लोन की औसत ब्याज दर से काफी कम हो। तभी यह आपके लिए आर्थिक रूप से सही फैसला साबित होगा।
कई पर्सनल लोन की EMI संभालना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि अलग-अलग तारीखों पर भुगतान याद रखना तनाव बढ़ा सकता है। इसलिए सबसे आसान तरीका है कि आप अपनी EMI को ऑटो-डेबिट पर सेट कर दें। इससे हर महीने EMI आपके लिंक बैंक अकाउंट से अपने-आप कट जाएगी, और आपको मैन्युअली ट्रैक करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
इसके साथ ही आप बैंक अधिकारियों से बात करें और हो सके तो सभी EMI के लिए एक ही तारीख तय करें। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आपको महीने में केवल एक ही तारीख याद रखनी होगी। साथ ही, हो सके तो EMI भुगतान की तारीख सैलरी आने के कुछ दिन बाद रखें ताकि EMI पहले कट जाए और बाकी खर्चों के लिए बजट बनाना आसान हो जाए।
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अगर आपके पर्सनल लोन पर ब्याज ज़्यादा है, तो आप उसे किसी दूसरे बैंक में बैलेंस ट्रांसफर कर सकते है जिसकी ब्याज दर कम है। इससे आपकी ईएमआई और कुल ब्याज लागत कम हो सकती है। बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनने से पहले ग्राहक अपने मौजूदा बैंक से ब्याज दरें कम करने के लिए बातचीत कर सकते हैं। यदि उनके बैंक ऐसा करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें अपने मौजूदा लोन को कम ब्याज दर वाले अन्य बैंक को ट्रांसफर कर देना चाहिए। बैलेंस ट्रांसफर में नया बैंक आपके पुराने बैंक का बाकी बकाया चुका देता है और फिर आप नए बैंक को लोन EMI का भुगतान करते है।
ध्यान रखें, बैलेंस ट्रांसफर करवाते समय कुछ अतिरिक्त शुल्क भी लग सकते हैं:
इसलिए बैलेंस ट्रासंफर का विकल्प तभी चुने जब ब्याज में होने वाली बचत, ट्रांसफर की लागत से ज़्यादा हो।