आमतौर पर पर्सनल लोन की पूरी प्रक्रिया पूरी होने में लगभग 2 से 7 कार्यदिवस का समय लग सकता है। जबकि डिजिटल लोन प्रोसेसिंग में यही काम 2 दिनों में पूरा हो सकता है। वहीं, प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन ऑफर तेज़ प्रोसेसिंग और इंस्टेंट डिस्बर्सल सुविधा के साथ आता है। इन विकल्पों के होने के बावजूद भी कई बार आवेदकों को लोन प्रोसेसिंग में देरी का सामना करना पड़ता है। इसके पीछे क्या वजह हो सकती है और किन बातों का ध्यान रखकर इस देरी से बचा जा सकता है, इसे समझने के लिए लेख आगे पढ़ें-
पर्सनल लोन प्रोसेसिंग में देरी की वजह
प्री-अप्रूव्ड ऑफर का छूट जाना
प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन, बैंक व एनबीएफसी द्वारा उनके मौजूदा कस्टमर्स को उनकी अच्छी क्रेडिट प्रोफाइल के आधार पर ऑफर किया जाता है। यह लोन आमतौर पर क्विक प्रोसेसिंग, इंस्टेंट डिस्बर्सल और बिना किसी डॉक्यूमेंटेशन के मिलता है। आवेदक अपने मौजूदा बैंक/NBFC (जहां उनका पहले से सेविंग, करंट अकाउंट, लोन, एफडी या फिर क्रेडिट कार्ड अकाउंट हो) से प्री-अप्रूव्ड ऑफर के बारे में पता कर सकते हैं। इसके अलावा वह पैसाबाज़ार जैसे ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केटप्लेस पर जाकर भी विभिन्न लोन ऑफर व प्री-अप्रूव्ड लोन के बारे में पता कर सकते हैं।
ट्रेडिशनल बैंक को चुनना
ट्रेडिशनल बैंकों के माध्यम से पर्सनल लोन के लिए आवेदन करने पर आवेदकों को लोन प्रोसेसिंग में देरी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि आमतौर पर ऐसे बैंकों में मैनुअल डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन की प्रक्रिया में काफी समय लगता है। वहीं, पैसाबाज़ार जैसे फिनटेक प्लेटफॉर्म पर डिजिटल प्रोसेसिंग होने की वजह से लोन की प्रक्रिया तेजी से पूरी होती है और लोन राशि भी 24 घंटें के भीतर आवेदक के खाते में डिस्बर्स कर दी जाती है।
क्रेडिट प्रोफाइल का अच्छा न होना
पर्सनल लोन की मंजूरी के लिए क्रेडिट प्रोफाइल का अच्छा होना बहुत ज़रूरी है। आमतौर पर बैंक व एनबीएफसी 750 या उससे अधिक क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को कम ब्याज दर पर पर्सनल लोन ऑफर करते हैं। वहीं, खराब क्रेडिट प्रोफाइल वाले आवेदकों को पर्सनल लोन मिलने में दिक्कत हो सकती है और अगर उन्हें लोन मिलता भी है तो उसकी ब्याज दरें अधिक व लोन की शर्ते कठोर होती है।
क्रेडिट स्कोर बेहतर बनाएं रखने के लिए समय से लोन ईएमआई (अगर कोई हो) और क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करें। कम समय में बार-बार लोन के लिए आवेदन करने से बचें।
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कम समय में कई लोन लेना
जितनी बार लोन आवेदन करते हैं उतनी बार हार्ड इन्क्वायरी होती है, प्रत्येक हार्ड इन्क्वायरी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज होती है। कम समय में की गई कई हार्ड इन्क्वायरी क्रेडिट स्कोर को कुछ अंकों से गिरा सकती है। साथ ही यह मल्टीप्ल लोन इन्क्वायरी दिखाता है कि आवेदक पैसों की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में उसके लोन डिफॉल्ट की संभावना भी अधिक मानी जाती है। बैंक व एनबीएफसी प्राय: ऐसे आवेदकों को कम प्राथमिकता देते हैं, जिसकी वजह से उनकी लोन प्रोसेसिंग में देरी हो सकती है।
डॉक्यूमेंटेशन का पूरा न होना
पर्सनल लोन डॉक्यूमेंट्स की लिस्ट एक बैंक से दूसरे बैंक में अलग-अलग हो सकती है। हालांकि पर्सनल लोन लेने के लिए आमतौर पर- पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी, यूटिलिटी बिल (इलेक्ट्रिक, गैस, टेलिफोन), लेटेस्ट सैलरी स्लिप, ITR, एंप्लॉयर प्रूफ, बिज़नेस प्रूफ आदि की आवश्यकता होती है। ऐसे में लोन आवेदन करने से पहले बैंक में सभी ज़रूरी दस्तावेज़ जमा करना न भूलें। वरना डॉक्यूमेट्स की कमी होने की वजह से लोन की प्रोसेसिंग में देरी का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
ऊपर बताई गई गलतियों से बचकर आप अपने लोन प्रोसेसिंग में होने वाली देरी को आसानी से रोक सकते हैं। बस आवेदक को चाहिए कि वह अपनी क्रेडिट प्रोफाइल बेहतर बनाए रखें, लोन आवेदन करने से पहले सभी ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स चेक कर ले, सही लेंडर का चुनाव करें और कम समय में कई पर्सनल लोन आवेदन करने से बचें। इन बातों का ध्यान रखकर आवेदक लोन की प्रोसेसिंग और डिस्बर्सल को तेज और सुगम बना सकता है।
