लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी का डिफॉल्ट करने के परिणाम
1. EMI न भरने पर पेनल्टी
EMI का भुगतान न होने पर बैंक और लोन संस्थान कस्टमर को SMS, ईमेल जैसे माध्यमों से रिमाइंडर भेजते हैं। अगर कस्टमर समय पर ईएमआई का भुगतान नहीं करता तो बैंक हर मिस्ड EMI पर लेट पेमेंट चार्ज, पीनल इंटरेस्ट जैसे चार्जेस वसूलते हैं।

2. अकाउंट NPA घोषित हो जाता है
अगर आप 90 दिन के भीतर अपने लोन की ईएमआई का भुगतान नहीं करते तो बैंक या लोन संस्थान आपके लोन अकाउंट को NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) घोषित कर देते हैं। एक बार अकाउंट NPA होने पर बैंक और लोन संस्थान भारतीय कानून के तहत लोन राशि वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।
3. क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर
लोन भुगतान में डिफॉल्ट करने का सीधा असर आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। डिफॉल्टर बनने पर आपका क्रेडिट स्कोर बुरी तरह प्रभावित हो सकता है जिससे आगे चलकर आपके लिए कोई अन्य लोन या कार्ड लेना मुश्किल हो सकता है।
4. प्रॉपर्टी जब्त या निलाम हो सकती है
लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी के डिफॉल्ट के मामले में बैंक और लोन संस्थान के पास SARFAESI एक्ट के तहत लोन की वसूली के अधिकार होते हैं। इस एक्ट के तहत, डिफॉल्टर को एक नोटिस जारी किया जाता है। अगर 60 दिन के अंदर लोन सेटल नहीं किया जाता तो बैंक प्रॉपर्टी को जब्त कर लोन राशि वसूलने के लिए उसे निलाम कर सकते हैं।
5. सह-आवेदक/गारंटर पर भी असर
लोन के भुगतान की ज़िम्मेदारी आवेदक के साथ-साथ सह-आवेदक और गारंटर की भी होती है। ऐसे में डिफॉल्ट होने पर उन्हें न सिर्फ लोन का भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है, बल्कि डिफॉल्ट का असर उनके क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ सकता है।
निष्कर्ष
लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी का डिफॉल्ट करने पर आपको ऐसे आर्थिक और कानूनी परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। इससे बचने के लिए समय पर लोन का भुगतान करें, ईएमआई भुगतान में चूक से बचने के लिए ऑटो-डेबिट या रिमाइंडर सेट करें। इसके अलावा, अपने इमरजेंसी फंड में लोन की ईएमआई की रकम शामिल करना न भूलें जिससे इमरजेंसी के समय लोन डिफॉल्ट से बचा सके। अगर आप कुछ समय के लिए लोन भुगतान में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, तो अपने लेंडर से इस बारे में बता करें।
