पर्सनल लोन लेते समय हम अक्सर मानते हैं कि तय की गई EMI पूरी लोन अवधि तक समान रहेगी। ऐसा होता भी है अगर पर्सनल लोन फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर लिया गया हो तो। लेकिन हर बार स्थिति इतनी सीधी नहीं होती। ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव, लोन की शर्तों में बदलाव या आपकी ओर से की गई कुछ रिक्वेस्ट, जैसे प्रीपेमेंट या टेन्योर बदलना— इन सब वजहों से EMI में भी बदलाव आ सकता है। ऐसे मामलों में EMI क्यों और कैसे बदल सकती है, चलिए समझते हैं:
इन कारणों से EMI में हो सकता है बदलाव
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट बदलने पर
कुछ बैंक, खासतौर पर पब्लिक सेक्टर के बैंक फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर पर्सनल लोन ऑफर करते हैं, जो उनके एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट से जुड़ा होता है। जब ये बेंचमार्क रेट्स बदलते हैं तो पर्सनल लोन पर लागू ब्याज दरें भी बदल जाती है।
ऐसे में आप या तो अपनी EMI बढ़ाकर लोन अवधि समान रख सकते हैं, या फिर लोन अवधि बढ़ाकर EMI समान रख सकते हैं, या दोनों का मेल (कॉम्बिनेशन) अपना सकते हैं। हालांकि ध्यान रखें कि आपकी EMI केवल तभी बदल सकती है, जब आपने पर्सनल लोन लेते समय EMI बदलने का विकल्प चुना हो।
पर्सनल लोन पार्ट प्रीपेमेंट करने पर
अगर आप लोन की अवधि समाप्त होने से पहले ही पर्सनल लोन का आंशिक भुगतान करते हैं, तो भी पर्सनल लोन की ईएमआई (Personal Loan EMI) बदल सकती है। इससे आपकी बकाया राशि कम होती है और फिर आपके पास दो विकल्प होते हैं, जैसे—
- समान भुगतान अवधि रखने के लिए या तो अपनी EMI कम करें,
- या फिर EMI समान रखते हुए छोटी अवधि चुनें।
अगर आपकी मौजूदा ईएमआई आपके मासिक खर्चों में मैनेज नहीं हो पा रही है तो आप पर्सनल लोन EMI कम करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि ध्यान रखें कि एक भी ईएमआई भुगतान में चूक होने पर पेनल्टी लगेगी, साथ ही क्रेडिट स्कोर पर भी नाकारात्मक असर पड़ेगा।
लेकिन अगर आपके पास अतिरिक्त फंड है तो पर्सनल लोन की अवधि कम करने का विकल्प चुनना आपके लिए बेहतर हो सकता है, इसकी मदद से आप कुल ब्याज लागत में बचत कर सकते हैं।
प्रीपेमेंट करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें
- बैंक व एनबीएफसी फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट वाले पर्सनल लोन पर अक्सर प्रीपेमेंट चार्जेस लेते हैं, जो बैंक से दूसरे बैंक में अलग-अलग होता है। हालांकि आमतौर पर प्रीपेमेंट चार्जेस बकाया राशि के 4% तक होता है। लेकिन ध्यान रखें कि फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट वाले लोन पर RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) नियमानुसार कोई प्रीपेमेंट चार्जेस नहीं लगता।
- कुछ बैंक व एनबीएफसी प्रीपेमेंट के लिए लॉक-इन पीरियड भी रखते हैं। यानी पूर्व-निर्धारित ईएमआई का भुगतान करने से पहले आप प्रीपेमेंट नहीं कर सकते हैं।
- कुछ बैंक व एनबीएफसी लोन प्रीपेमेंट की निर्धारित सीमा भी रखते हैं। उदाहरण के लिए- HDFC बैंक पर्सनल लोन की पहली ईएमआई का भुगतान करने के बाद बकाया राशि का केवल 25% तक ही प्रीपेमेंट करने की अनुमति देता है। साथ ही एक वित्तीय वर्ष में केवल एक बार और पूरे लोन अवधि के दौरान 2 बार ही प्रीपेमेंट कर सकते हैं।
- इसलिए लोन लेते समय सभी बैंक व एनबीएफसी के नियम व शर्तों को अवश्य देखें।
हमने देखा कि मामलों में पर्सनल लोन की ईएमआई लोन अवधि के दौरान बदल सकती है। इसलिए आपको अपनी वित्तीय स्थिति और लोन की शर्तों पर नज़र बनाएं रखनी चाहिए। इससे आप समय रहते सही विकल्प का चयन करके EMI बदलाव को अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सकते हैं और अपनी वित्तीय योजनाओं को सही दिशा दे सकते हैं।