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जिन लोगों की आय अनियमित होती है, उनके लिए हर महीने पैसे का आना-जाना बराबर नहीं होता। ऐसे लोग को अपने मासिक खर्च से लेकर रिटायरमेंट तक की योजना, सब कुछ खुद ही मैनेज करना होता है। उनके पास कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) जैसी रिटायरमेंट सुविधा भी होती। इसलिए उन्हें वित्तीय योजना बनाना और ज़रूरी हो जाता है।
अनियमित आय होने की वजह से वित्तीय योजना बनाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन, कुछ स्मार्ट टिप्स अपनाकर खर्च और बचत दोनों को संतुलित किया जा सकता है। यहां 5 ज़रूरी फाइनेंशियल टिप्स दिए गए हैं, जो अनियमित आय वाले लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं–
नौकरीपेशा लोगों को आमतौर पर 6 महीनों के ज़रूरी खर्च जितना इमरजेंसी फंड बनाने की सलाह दी जाती है। वहीं, गैर-नौकरीपेशा या अनियमित आय वाले लोगों के लिए यह अवधि 9 से 12 महीनों तक की मानी जाती है। इस फंड में आपके सभी आवश्यक खर्च शामिल होने चाहिए — जैसे मौजूदा EMI, इंश्योरेंस प्रीमियम, SIP, और अन्य मासिक खर्चे।
पर्याप्त इमरजेंसी फंड न होने पर किसी गंभीर बीमारी, दुर्घटना या अचानक आय रुकने की स्थिति में आपको अपने निवेश तोड़ने पड़ सकते हैं। इससे आपके लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए इमरजेंसी फंड का होना बेहद ज़रूरी है।
ध्यान रखें, यह फंड ऐसी जगह निवेशित होना चाहिए जहां से ज़रूरत पड़ने पर पैसा तुरंत निकाला जा सके, और जब तक निवेशित रहे उस पर उचित रिटर्न भी मिलता रहे।

इमरजेंसी फंड बनाने के बाद अगला कदम है- पर्याप्त टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस लेना। यह न केवल आपके परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। बल्कि आपकी गैर-मौजूदगी में लोन की ईएमआई (अगर कोई हो) भरने या बच्चों की हायर एजुकेशन व शादी खर्च में भी मदद करता है। इसलिए टर्म इंश्योरेंस आवश्यक हो जाता है। यह आपकी औसत वार्षिक आय के 15 गुना होना चाहिए।
इसके अलावा, बढ़ती महंगाई के खर्च को देखते हुए अपने और अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना न भूलें। यह गैर-नौकरीपेशा लोगों के लिए और भी ज़रूरी हो जाता है क्योंकि उनके पास नौकरीपेशा लोगों की तरह कंपनी द्वारा दी जाने वाली ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होती। ऐसे में एक बार का भी बड़ा हॉस्पिटल खर्च, आपकी सेविंग्स खत्म कर सकता है। इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस ज़रूरी हो जाता है। बच्चों, माता-पिता और पत्नी के लिए फैमली फ्लोटर प्लान लें।
अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग बनाना आवश्यक है। यह प्लानिंग आपकी जोखिम क्षमता, निवेश अवधि, राशि और बढ़ती महंगाई के आधार पर होना चाहिए। मसलन- बच्चों की पढ़ाई, शादी, रिटायरमेंट आदि के हिसाब से निवेश अवधि, राशि और स्कीम चुनें। यानी किसमें (FD, आरडी और म्यूचुअल फंड) निवेश करना है के साथ ही कितनी राशि निवेश करना चाहिए अपने वित्तीय लक्ष्यों के हिसाब से तय करें।
अपने वित्तीय लक्ष्यों को समझने के बाद एक स्ट्रेटर्जी के तहत निवेश की योजना बनाएं। अपनी निवेश राशि को इक्विटी, डेट, गोल्ड और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज जैसी विभिन्न एसेट क्लास में बाँटें, ताकि आपके पोर्टफोलियो में जोखिम और रिटर्न का संतुलन बना रहे। हालांकि निवेश कहां करना है, अपनी जोखिम क्षमता और निवेश अवधि के अनुरूप ही चुनें।
उदाहरण से समझें-
अच्छा क्रेडिट स्कोर भविष्य में लोन दिलाने में मदद करता है। ऐसा नहीं कि क्रेडिट स्कोर अच्छा होने मात्र से ही लोन मिल जाएगा। लेकिन हाई क्रेडिट स्कोर होने से लोन अप्रूव्ल की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही कुछ लेंडर्स हाई क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को कम ब्याज दर व बेहतर शर्तों पर लोन ऑफर करते हैं।
क्रेडिट स्कोर बनाने के लिए लोन लेना ज़रूरी नहीं है। बल्कि क्रेडिट कार्ड, बाय नाउ पे लेटर (BNPL) और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन जैसे साधनों से भी क्रेडिट स्कोर बना सकते हैं। हालांकि क्रेडिट कार्ड से क्रेडिट स्कोर बनाना बेहतर विकल्प हो सकता है। क्योंकि क्रेडिट कार्ड से खरीदारी पर रिवॉर्ड पाइंट्स और कैशबैक जैसे लाभ भी मिलते हैं, जिन्हें आप बाद में रिडिम कर सकते हैं।
अगर आपको अपर्याप्त आय, क्रेडिट हिस्ट्री या अन्य किसी वजह से रेगुलर क्रेडिट कार्ड नहीं मिल पा रहा है, तो आप सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड का ऑप्शन देख सकते हैं। यह कार्ड एफडी के बदले दिया जाता है और इसके फीचर्स भी सामान्य क्रडिट कार्ड के जैसे ही होते हैं। यानी सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड से भी क्रेडिट स्कोर बनाया जा सकता है।
आय में उतार-चढ़ाव होना आम बात है, लेकिन सही फाइनेंशियल टिप्स अपना कर इन चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। इमरजेंसी फंड तैयार रखना, निवेश में विविधता लाना और खर्चों पर नियंत्रण रखकर वित्तीय स्थिरता लाई जा सकती है।