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म्यूचुअल फंड दो तरीकों के लाभ प्रदान करता है- कैपिटल गेन और डिविडेंट। कैपिटल गेन पर टैक्स लगता है जिसे निवेशक चुकाता है, वहीं, म्यूचुअल फंड्स डिविडेंट पर जो टैक्स लगता है उसे डिविडेंट टिस्ट्रीव्यूशन टैक्स (DDT ) भी कहते हैं, और इसे फंड हाउस (एसेट मैनेजमेंट कंपनी) द्वारा चुकाया जाता है।
म्यूचुअल फण्ड निवेशक किसी एक कीमत पर म्यूचुअल फण्ड यूनिट खरीदते हैं और निश्चित समय बाद उसे बढ़ी हुई या घटी हुई कीमत बेचते हैं, बेचने में जो भी लाभ या घाटा होता है यही कैपिटल गेन है| उदाहरण के लिए, श्री X ने अप्रैल 1, 2016 को म्यूचुअल फंड योजना में 1 लाख रुपये का निवेश किया और अप्रैल 1, 2019 को उनके निवेश का मूल्य 1.5 लाख रुपये था। जिसमें उसने 50,000 रुपये का कैपिटल गेन कमाया।
म्यूचुअल फंड कैपिटल गेन टैक्सेशन म्यूचुअल फंड योजना के प्रकार और निवेश के समय पर निर्भर करता है। निवेश की समयसीमा के आधार पर, दो प्रकार के कैपिटल गेन टैक्स हैं – शार्ट टर्म कैपिटल गेन ( STCG) और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) है।
| स्कीम का प्रकार | विवरण | शार्ट टर्म कैपिटल गेनटैक्स | लॉंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स |
| इक्विटी को ध्यान में रखकर बनी योजनाएँ | अवधि | 12 महीने तक | 12 महीने से अधिक |
| टैक्स दर | 15% | 10%* | |
| इक्विटी को ध्यान न में रखकर बनी योजनाएँ | अवधि | 36 महीने तक | 36 महीने से अधिक |
| टैक्स दर | निवेशक का आयकर स्लैब दर | इंडेक्सेशन के बाद 20% |
*इक्विटी म्यूचुअल फंड से हुए लॉग–टर्म कैपिटल गेन पर सालाना 1 लाख रु. तक के लाभ पर टैक्स छूट है। उदाहरण : यदि 2018-19 में आपकी लॉग–टर्म कैपिटल गेन 1.5 लाख रुपये है, तो केवल 50,000 रु. पर टैक्स लगेगा।

उदाहरण की मदद से इस टैक्स को और बेहतर तरीके से समझते हैं। उदाहरण के लिए, श्री X ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में 100 रुपये का निवेश किया और वित्तीय वर्ष -2018-19 में 150 रुपये में बेच दिया। चूंकि श्री X ने इसे 3 वर्ष के बाद बेचा, इसलिए यह लॉग-टर्म कैपिटल गेन है और इस पर 20 % टैक्स लगेगा | वित्त वर्ष 2016 में C.I.I (महंगाई) 254 था और वित्त वर्ष 2019 में 280 था। इसके परिणामस्वरूप, टैक्स के लिए श्री X का इस दौरान खर्च बढ़कर ( 280/ 254 ) * 100 = 110 हो गया और इस तरह टैक्स जिस राशि पर दिया जाएगा वो 150 – 110 = 40 हो जाएगी। दिया जाने वाला कर 40 का 20% = 8 रुपये हो जाएगा और न कि 10 रुपये (50 का 20%)
निवेशकों को डिविडेंट का भुगतान करने से पहले डिविडेंट डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (D.D.T.) फंड हाउस द्वारा काट लिया जाता है। इस प्रकार, किसी निवेशक को म्यूचुअल फंड स्कीम पर कमाए गए डिविडेंट पर कोई टैक्स नहीं देना चाहिए।
| स्कीम का प्रकार | डी.डी.टी दर |
| इक्विटी को ध्यान में रखकर बनी योजनाएँ | 10% + 12% सरचार्ज + 4% सेस = 11.64% |
| इक्विटी को ध्यान में रखकर न बनी योजनाएँ | 25% + 12% सरचार्ज + 4% सेस = 29.12% |
इक्विटी-लिंक की गई सेविंग स्कीम (ELSS ) एक प्रकार का इक्विटी फंड है और केवल यही म्यूचुअल फंड योजना आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत सालाना 1.5 लाख तक टैक्स छूट के योग्य होता है। ELSS 3 वर्ष की लॉक-इन अवधि के साथ आता है जिसका अर्थ है कि इसमें किए गए निवेश को 3 वर्ष से पहले वापस नहीं लिया जा सकता।
यूनिट को रिडीम/ बेचने के समय इक्विटी को ध्यान में रखकर बने म्यूचुअल फंड पर 0.001% की दर से सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (S.T.T.) लागू होता है। एक निवेशक को S.T.T. का अलग से भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह म्यूचुअल फंड रिटर्न से काट लिया जाता है।