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बेसिक सैलरी (Basic Salary) वह राशि होती है जिसमें ना कोई अतिरिक्त लाभ जैसे HRA, बोनस और ना ही किसी प्रकार की टैक्स कटौती शामिल होती है। बेसिक सैलरी, सैलरी स्ट्रक्चर का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है जो कुल CTC का 40-45% होती है। सैलरी के अन्य घटक जैसे ग्रेच्युटी, प्रोविडेंट फंड और ESIC बेसिक सैलरी के मुताबिक निर्धारित किए जाते हैं। बेसिक सैलरी क्या होती है (Basic Salary kya hoti hai), बेसिक सैलरी की कैलकुलेशन (Basic Salary Calculation Formula), टैक्स लायबिलिटी और अधिक जानकारी के लिए ये लेख पढ़ें।
जिन कर्मचारियों को बेसिक सैलरी (Basic Salary) मिलती है, उन्हें हर महीने एक निश्चित राशि मिलती है, चाहे वे कितने भी घंटे काम करें। इसके उलट, जिन कर्मचारियों को घंटेवार भुगतान किया जाता है, उन्हें हर घंटे के हिसाब से किए जाने वाले काम के लिए भुगतान किया जाता है। जिन कर्मचारियों को घंटे के हिसाब से भुगतान किया जाता है, वे आमतौर पर एक सप्ताह में 40 घंटे से अधिक काम करने पर ओवरटाइम भुगतान पाने के हकदार होते हैं।
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| बेसिक सैलरी | ग्रॉस सैलरी | नेट सैलरी |
| बेसिक सैलरी वह भुगतान होता है जिस पर नियोक्ता/ कंपनी और कर्मचारी दोनों सहमत होते हैं। इसमें ओवरटाइम या कोई अतिरिक्त मुआवजा शामिल नहीं होता है। | ग्रॉस सैलरी (Gross Salary) वह राशि होती है जिसकी कैलकुलेशन टैक्स की कटौती या अन्य किसी तरह की कटौतियों से पहले आपकी बेसिक सैलरी और अलाउंस को जोड़कर की जाती है। इसमें बोनस, ओवरटाइम सैलरी आदि शामिल है। | ग्रॉस सैलरी से टैक्स, प्रोविडेंट फंड और इस तरह की अन्य कटौती के बाद जो राशि मिलती है, वह नेट सैलरी होती है। नेट सैलरी किसी कर्मचारी की टेक-होम सैलरी होती है, यानी वह राशि जो हर महीने बैंक अकाउंट में कंपनी द्वारा ट्रांसफर की जाती है। |
| लागू अतिरिक्त लाभ | लागू डिडक्शन |
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जैसा कि यह बेस इनकम है, बेसिक सैलरी का उपयोग सैलरी के अन्य घटकों को कैलकुलेट करने के लिए किया जाता है। सैलरी पैकेज के कई घटकों की कैलकुलेशन बेसिक सैलरी की राशि (कंपनी के सैलरी स्ट्र्क्चर के तहत कर्मचारी के ग्रेड के आधार पर) के आधार पर की जा सकती है।
आमतौर पर किसी व्यक्ति की CTC की 40% से 50% उसकी बेसिक सैलरी होती है। बेसिक सैलरी की कैलकुलेशन (Basic Salary Calculation) निम्नलिखित है:
बेसिक सैलरी = ग्रॉस सैलरी – कुल अलाउंस (मेडिकल इंश्योरेंस, HRA, DA, कन्वेयंस, अन्य भत्ते)
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कोई कर्मचारी ओवरटाइम काम करके जितना पैसा कमाता है, उससे उसकी बेसिक सैलरी की राशि में बढ़ोतरी नहीं होती है। इसके अलावा यदि किसी कर्मचारी को एक साल में इंसेंटिव बोनस मिलता है, तो इससे भी उसकी बेसिक सैलरी में वृद्धि नहीं होगी।
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ग्रॉस सैलरी = बेसिक सैलरी + HRA (हाउस रेंट अलाउंस) + DA (डियरनेस अलाउंस) + MA (मेडिकल अलाउंस) |
सीटीसी ब्रेक-अप समेत सैलरी के विभिन्न घटकों की जानकारी नीचे टेबल में दी गई है। सीटीसी में सभी तरह के अलाउंस, टैक्स, बिल, इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट शामिल होते हैं। प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी जैसे दीर्घकालिक और रिटायरमेंट बेनिफिट्स के अलावा सभी तरह के अलाउंस और कैश रिइम्बर्समेंट पैकेज का ही हिस्सा होते हैं।
| कमाई | कटौती |
| बेसिक- ₹20,000 | प्रोविडेंट फंड- ₹2,880 |
| महंगाई भत्ता- ₹4,000 | प्रोफेशनल टैक्स- ₹200 |
| हाउस रेंट अलाउंस– ₹9,600 | टीडीएस- ₹4,042 |
| कन्वेयंस अलाउंस- ₹800 | अन्य कटौती- ₹2,000 |
| अन्य अलाउंस- ₹5,600 | — |
| कुल= ₹40,000 | कुल= ₹9,122 |
| ग्रॉस सैलरी= ₹40,000 | |
| नेट सैलरी= ₹30,878 | |
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बेसिक सैलरी (Basic Salary) पर हमेशा टैक्स लागू होता है इसलिए यह सीटीसी के 40%-50% से अधिक नहीं होनी चाहिए। हालांकि, इसे बहुत कम इसलिए भी नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि इससे सैलरी के अन्य घटकों में कमी आएगी। जूनियर लेवल के कर्मचारियों या फ्रेशर्स की बेसिक सैलरी आमतौर पर सीनियर लेवल के कर्मचारियों की तुलना में अधिक होती है।
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प्रश्न. बेसिक सैलरी क्या होती है?
उत्तर: बेसिक सैलरी कर्मचारी के वेतन का वह हिस्सा होता है जिसमें कोई भत्ता, बोनस या अन्य लाभ शामिल नहीं होता है। आमतौर पर बेसिक सैलरी सीटीसी का 40-45% होता है। बेसिक सैलरी कर्मचारी के पद, अनुभव और स्किल के आधार पर निर्धारित की जाती है।
प्रश्न. बेसिक सैलरी अधिक होने पर क्या होगा?
उत्तर: अगर बेसिक सैलरी बहुत अधिक होगी, तो कर्मचारी की टैक्स लायबिलिटी भी बढ़ जाएगी। इससे किसी कंपनी/ संगठन की लायबिलिटी भी प्रभावित होती है क्योंकि उन्हें भी ईएसआईसी और पीएफ आदि में अधिक राशि का योगदान करना होगा।
प्रश्न. बेसिक सैलरी कम होने पर क्या होगा?
उत्तर: बेसिक सैलरी की राशि कम रखने पर, कंपनी/ नियोक्ता संबंधित राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम सैलरी की शर्तों को पूरा नहीं कर पाएगी बता दें कि न्यूनतम बेसिक सैलरी कितनी होनी चाहिए इसमें समय के साथ बदलाव आता रहता है।
प्रश्न. ग्रॉस सैलरी, बेसिक सैलरी से किस तरह अलग होती है?
उत्तर: बेसिक सैलरी किसी कर्मचारी को मिलने वाला न्यूनतम भुगतान होता है। इसमें अन्य भत्ते जैसे HRA, DA, आदि शामिल नहीं होते हैं। दूसरी ओर, ग्रॉस सैलरी में न केवल कर्मचारी की बेसिक सैलरी, बल्कि अतिरिक्त आय भी शामिल होती है। मान लीजिए, यदि कोई कर्मचारी अतिरिक्त घंटे काम करता है या इंसेंटिव बोनस प्राप्त करता है, तो इस अतिरिक्त कमाई से कर्मचारी की ग्रॉस सैलरी में बढ़ोतरी होगी।
प्रश्न. बेसिक सैलरी ग्रॉस है या नेट?
उत्तर: बेसिक सैलरी ग्रॉस पे और नेट पे से अलग होती है। यह एक व्यक्ति की CTC का 40 से 50% होती है। दूसरी ओर, ग्रॉस पे में न केवल कर्मचारी की बेसिक सैलरी, बल्कि अतिरिक्त भत्ते भी शामिल होते हैं। नेट सैलरी (जिसे टेक होम सैलरी भी कहा जाता है) किसी कर्मचारी को सभी ज़रूरी टैक्स और अन्य कटौती के बाद मिलती है। यह वह आय होती है जो हर महीने कर्मचारी के बैंक अकाउंट में आती है।
प्रश्न. बेसिक सैलरी में महंगाई भत्ता (DA) कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
उत्तर: महंगाई भत्ते (डीए) की कैलकुलेशन बेसिक सैलरी के प्रतिशत के रूप में की जाती है। यह राशि कर्मचारी की लोकेशन के आधार पर अलग- अलग होगी।
प्रश्न. CTC में शामिल बेसिक सैलरी कितनी होती है?
उत्तर: आमतौर पर, बेसिक सैलरी सीटीसी (कॉस्ट टू कंपनी) की 40% से 50% होती है। बोनस, पीएफ, ग्रेच्युटी जैसे लाभ बेसिक सैलरी के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। बेसिक सैलरी में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी या कमी किसी कर्मचारी के सीटीसी को प्रभावित कर सकती है।
प्रश्न. क्या बेसिक सैलरी पर टैक्स लागू होता है?
उत्तर: हाँ, बेसिक सैलरी पर टैक्स (Tax on Basic Salary) लागू होता है।
प्रश्न. सीटीसी पर कौन- कौन से डिडक्शन किए जाते हैं?
उत्तर: टेक-होम सैलरी निर्धारित करते समय प्रोविडेंट फंड, ईएसआईसी, प्रोफेशनल टैक्स और लेबर वेलफेयर फंड जैसे डिडक्शन किए जाते हैं।