क्रेडिट स्कोर केवल एक नंबर नहीं बल्कि आपके वित्तीय स्वास्थ्य का आईना होता है, जो बैंक व एनबीएफसी को बताता है कि आप कर्ज़ चुकाने में कितने सक्षम या भरोसेमंद हैं। आज के डिजिटल समय में क्रेडिट स्कोर को ट्रैक करना काफी आसान हो गया है। नियमित ट्रैकिंग से आप अपनी क्रेडिट प्रोफाइल की स्थिति जान सकते हैं।
क्रेडिट रिपोर्ट में किसी तरह की गलती मिलने पर आप समय रहते इसमें सुधार कर सकते हैं। इससे आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर बना रहता है और भविष्य में बेहतर शर्तों पर लोन व क्रेडिट कार्ड ऑफर पाने की संभावना भी अधिक होती है। तो चलिए जानते हैं क्रेडिट स्कोर नियमित रूप से चेक करने के क्या फायदे हैं-
क्रेडिट स्कोर क्या है?
क्रेडिट स्कोर 300-900 के बीच तीन अंकों की संख्या होती है, जो बताती है कि आपने अपने पिछले या मौजूदा लोन/क्रेडिट कार्ड बिल को किस तरह से मैनेज करते हैं। अगर आप समय पर बिल/EMI भरते हैं, क्रेडिट कार्ड लिमिट का एक सीमा में इस्तेमाल करते हैं आदि तो आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर बना रहता है।
क्रेडिट स्कोर जितना 900 के करीब होता है, उतना बेहतर माना जाता है। इससे लोन व कार्ड आवेदन की मंजूरी की संभावना भी अधिक होती है। जब भी आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं बैंक व एनबीएफसी सबसे पहले आपका क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं। हालांकि लेंडर्स द्वारा आपका क्रेडिट स्कोर चेक करना “हार्ड इन्क्वायरी” मानी जाती है।
ये आपके क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज होती है और कम समय में कई सारी हार्ड इन्क्वायरी होने से आपका क्रेडिट स्कोर कुछ अंकों से गिर सकता है। लेकिन जब आप खुद से पैसाबाज़ार जैसी फाइनेंशियल मार्केटप्लेस पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं तो इसे “सॉफ्ट इन्क्वायरी” कहते हैं और ये आपके क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज नहीं होती और न ही आपके स्कोर को प्रभावित करती है।
क्रेडिट स्कोर ट्रैक करने के फायदे
नियमित रूप से क्रेडिट स्कोर ट्रैक करने के कई फायदे हो सकते हैं, चाहे आप भविष्य में कोई क्रेडिट लेने की सोच रहें हो या फिर इमरजेंसी में किसी वित्तीय ज़रूरत को पूरा करना चाहते हैं। आइए समझते हैं कि क्रेडिट स्कोर नियमित रूप से चेक करने की आदत लंबे समय में कैसे फायदेमंद हो सकती है-
क्रेडिट रिपोर्ट में हुई गलती की जल्दी पहचान
क्रेडिट रिपोर्ट को नियमित रूप से चेक करते रहने से आप इसमें मौजूद गलतियों का समय पर पता लगा सकते हैं। कभी-कभी क्रेडिट रिपोर्ट में गलत जानकारी, जैसे गलत अकाउंट डिटेल्स या गलत तरीके से दर्ज लेट पेमेंट, शामिल हो सकती है।
स्कोर की बार-बार समीक्षा करने से आप इन गलतियों को तुरंत पहचानकर इसमें सुधार करने के लिए बैंक व ब्यूरो से संपर्क कर सकते हैं। यानी समय रहते रिपोर्ट की गलतियों को पहचानकर इसमें सुधार करके आप अपने क्रेडिट स्कोर को गिरने से बचा सकते हैं। इस तरह से ये आपके क्रेडिट प्रोफाइल को बेहतर बनाए रखने में मददगार हो सकता है।
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फाइनेंशियल फ्रॉड का पता लगाना
नियमित रूप से क्रेडिट स्कोर चेक करना, फाइनेंशियल फ्रॉड या पहचान की चोरी पर नज़र रखने का एक प्रभावी तरीका है। अगर कोई आपकी व्यक्तिगत जानकारी का धोखाधड़ी से इस्तेमाल करता है, तो इसकी वजह से आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में ऐसे लोन अकाउंट दिख सकता है जो आपने लिया ही न हो।
ऐसे में अगर आप अपना क्रेडिट रिपोर्ट नियमित रूप से चेक करते रहते हैं, तो ऐसे फाइनेंशियल फ्रॉड को आसानी से पहचान सकते हैं। और इसमें सुधार के लिए तुरंत बैंक व ब्यूरो से संपर्क कर सकते हैं।
नोट- आप क्रेडिट ब्यूरो (ट्रांसयूनियन CIBIL, एक्सपीरियन, इक्विफैक्स, CIRF हाई मार्क) से साल में एक बार मुफ्त में क्रेडिट रिपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं। इसके बाद रिपोर्ट लेने के लिए आपको भुगतान करना होगा, जो ब्यूरो के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। इसके अलावा आप पैसाबाज़ार पर मुफ्त में मासिक अपडेट के साथ क्रेडिट स्कोर चेक (Credit Score Check) कर सकते हैं।
क्रेडिट हेल्थ की सुधार को ट्रैक करना संभव
क्रेडिट रिपोर्ट नियमित रूप मसलन- महीने या तीन महीने में एक बार, ट्रैक करते रहने से आप जान सकते हैं कि आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ रहा है या घट रहा है। अगर सिबिल स्कोर लगातार गिर रहा है तो उन कारकों को पता लगाएं जो इसके लिए जिम्मेदार है, और फिर उसमें सुधार करें। एक्सपर्ट की सलाह से क्रेडिट स्कोर सुधारने के लिए आप पैसाबाज़ार की क्रेडिट+ सर्विस की भी मदद ले सकते हैं।
बेहतर क्रेडिट फैसले लेने में मददगार
नियमित रूप से क्रेडिट स्कोर चेक करते रहने से आप क्रेडिट संबंधी निर्णय लेने के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहते हैं। आपको पता होता है कि आपका क्रेडिट स्कोर कितना है और उस क्रेडिट स्कोर पर किस बैंक व एनबीएफसी से लोन या कार्ड मिल सकता है। फिर आप उसी हिसाब से लेंडर चुनते हैं और आवेदन करते हैं। इससे आप कई असफल आवेदनों के कारण क्रेडिट स्कोर पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के जोखिम को कम कर सकते हैं।
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डेट मैनेजमेंट को और प्रभावी बनाना
अलग-अलग वित्तीय फैसलों का स्कोर पर क्या असर पड़ता है, यह समझकर आप डेट को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं। जो कि नियमित रूप से क्रेडिट स्कोर चेक करने से ही पता चलेगा।
मान लीजिए, आपको पता चला कि क्रेडिट कार्ड लिमिट का बार-बार पूरा या ज़्यादा इस्तेमाल करने से स्कोर गिर सकता है, तो जाहिर है आप यूटिलाइजे़शन रेश्यो कम रखने की कोशिश करेंगे। नतीजा – स्कोर बेहतर बनेगा और आपकी साख में भी सुधार होगा।
निष्कर्ष
इस तरह क्रेडिट स्कोर चेक करने की आपकी छोटी-सी आदत आपको बड़ा लाभ दे सकती है। आप समय रहते रिपोर्ट में मौजूद गलतियों का पता लगा कर, उसमें सुधार करके अपना क्रेडिट स्कोर बेहतर बना सकते हैं। और हाई क्रेडिट स्कोर होने से मिलने वाले लाभों का लुत्फ़ उठा सकते हैं।