आपका लोन या कार्ड आवेदन स्वीकार और अस्वीकार करने से पहले बैंक व कार्ड प्रदाता आपकी क्रेडिट रिपोर्ट देखते हैं। स्कोर अच्छा होने से लोन व कार्ड मिलने की संभावना अधिक होती है। जबकि क्रेडिट रिपोर्ट में नकारात्मक जानकारी होने से क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है और लोन या कार्ड आवेदन मंजूरी में मुश्किल हो सकती है।
रिपोर्ट में मौजूद एक भी डिफॉल्ट या नेगेटिव जानकारी आपकी क्रेडिट साख को कम करता है। इसलिए रिपोर्ट से नकारात्मक जानकारी हटाना ज़रूरी हो जाता है। नेगेटिव इंफोर्मेंशन हटते ही धीर-धीरे स्कोर में सुधार होने लगता है और फिर कुछ समय बाद आप लोन या कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।
कितने समय तक आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में ‘डिफॉल्ट स्टेटस’ दिखता है?आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में आपके सभी क्रेडिट अकाउंट्स की पूरी जानकारी होती है। लेंडर्स इस सेक्शन पर विशेष ध्यान देते हैं क्योंकि इसमें आपके अकाउंट खोलने और बंद करने की तारीख, अकाउंट का प्रकार, लेंडर का नाम, अकाउंट नंबर, स्वीकृत लोन राशि या क्रेडिट लिमिट जैसी अहम जानकारियां होती हैं। इसके अलावा, इसमें आपके अकाउंट की वर्तमान स्थिति भी बताई जाती है — जैसे एक्टिव, बंद, सेटल्ड, NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) या जानबूझकर डिफॉल्टर (Wilful Defaulter) किए गए अकाउंट आदि। आपके सभी अकाउंट्स से जुड़ी सकारात्मक या नकारात्मक जानकारी, क्रेडिट रिपोर्ट में सात साल तक बनी रहती है। अगर किसी अकाउंट की स्थिति “क्लोज्ड” है, तो इसका मतलब है कि लोन की पूरी राशि चुका दी गई है, उस पर कोई बकाया नहीं है। इससे आपके क्रेडिट रिपोर्ट पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन अगर स्थिति “सेटल्ड”, “NPA” या “Wilful Defaulter” जैसी है, तो इसका आपकी रिपोर्ट और क्रेडिट स्कोर पर गंभीर नकारात्मक असर पड़ता है। |
क्रेडिट रिपोर्ट में डिफॉल्ट पेमेंट कब तक बना रहता है?
जब आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट के पेमेंट हिस्ट्री सेक्शन को देखते हैं, तो वहां सभी क्रेडिट अकाउंट्स के साथ DPD (Days Past Due) यानी कितने दिन का बकाया है, इसकी जानकारी होती है। यह जानकारी आपकी रिपोर्ट में 36 महीने (3 साल) तक बनी रहती है। हर महीने अगर कोई भुगतान छूटता है या डिफॉल्ट होता है, तो वह यहां दर्ज रहता है।
बार-बार भुगतान में चूक आपके क्रेडिट स्कोर और साख दोनों को कम करता है। नतीजतन लेंडर नया लोन या क्रेडिट कार्ड देने से संकोच कर सकते हैं, खासतौर पर जब लोन की राशि बड़ी हो या क्रेडिट लिमिट ज़्यादा हो। अगर लोन आवेदन स्वीकार भी हो जाता है तो इसकी ब्याज दरें व लोन शर्तें कठोर हो सकती है।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि CIBIL किसी भी डिफॉल्टर की सूची तैयार या बनाए नहीं रखता, और न ही कोई अन्य क्रेडिट ब्यूरो ऐसी सूची लेंडर्स के साथ साझा करता है। हालांकि, जैसा कि ऊपर बताया गया है, किसी भी भुगतान में डिफॉल्ट की जानकारी आपके क्रेडिट रिपोर्ट में 7 साल तक दर्ज रहती है।
‘डिफॉल्ट’ का क्रेडिट स्कोर पर असर
आपकी क्रेडिट योग्यता पर हर डिफॉल्ट या मिस्ड पेमेंट का सीधा असर पड़ता है। अगर आप नियमित रूप से भुगतान में देरी करते हैं, आपका खाता ‘सेटल्ड’ दिखाया गया है या ‘NPA’ में आ गया है, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। इससे भविष्य में किसी भी नए क्रेडिट (लोन या कार्ड) की मंज़ूरी मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है।
जब तक ऐसे डिफॉल्ट आपके क्रेडिट रिपोर्ट में मौजूद रहते हैं, आपका स्कोर नीचे बना रहता है। इस दौरान स्कोर को सुधारने के लिए आप ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते। ऐसे में सबसे अच्छा तरीका है कि आप बाकी बची देनदारियां समय पर चुकाएं, पुराने डिफॉल्ट या एनपीए को सेटल करें और नया क्रेडिट लेने से बचें।
आमतौर पर मिस्ड पेमेंट की जानकारी लगभग 3 साल में रिपोर्ट से हट जाती है, जबकि डिफॉल्ट अकाउंट की स्थिति 7 साल बाद हटाई जाती है। जैसे-जैसे ये नकारात्मक एंट्रीज़ आपकी रिपोर्ट से निकलती हैं और आप अच्छा क्रेडिट व्यवहार दिखाना शुरू करते हैं, वैसे-वैसे आपका क्रेडिट स्कोर धीरे-धीरे सुधरने लगता है।
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क्रेडिट स्कोर सुधारने के लिए ये करें
क्रेडिट स्कोर सुधारने के लिए नीचे बताएं गए बातों का ध्यान रखें-
- समय से क्रेडिट कार्ड बिल या लोन की EMI का भुगतान करें।
- क्रेडिट यूटिलाइजेशन का ध्यान रखें और बार-बार अपनी पूरी क्रेडिट लिमिट खर्च करने से बचें।
- कम समय में बार-बार क्रेडिट के लिए आवेदन करने से बचें, खासतौर पर अधिक लोन राशि के लिए।
- केवल मीनिमम अमाउंट ड्यू का भुगतान करने से बचें, इससे आपका क्रेडिट बोझ बढ़ सकता है।
- नियमित रूप से अपना क्रेडिट रिपोर्ट चेक करते रहें और इसमें किसी तरह की गलती मिलने पर बैंक व क्रेडिट ब्यूरो से संपर्क करें।
क्रेडिट रिपोर्ट में शामिल सेटल्ड अकाउंट भी आपके क्रेडिट स्कोर को काफी गिरा सकता है। इसलिए बकाया राशि का भुगतान करने के बाद लेंडर से उस अकाउंट का स्टेटस “क्लोज्ड” करने के लिए कहे। अगर लेंडर सहमत होता है और भुगतान स्वीकार करता है तो “सेटल्ड” अकाउंट का स्टेटस “क्लोज्ड” हो जाएगा, साथ ही NOC (नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) भी दिया जाएगा। आप इस NOC को क्रेडिट ब्यूरो को दे सकते हैं और ब्यूरो ये जानकारी अपने डेटाबेस में अपडेट कर देगा। फिर आप देखेंगे कि आपके क्रेडिट स्कोर में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
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अगर आपको अपना क्रेडिट रिपोर्ट खुद से समझने में दिक्कत हो रही है। या पता नहीं कर पा रहे हैं कि क्रेडिट स्कोर क्यों गिर रहा है तो आप पैसाबाज़ार का क्रेडिट+ सर्विस ले सकते हैं। इसमें एक्सपर्ट आपके क्रेडिट रिपोर्ट का गहन विश्लेषण करते हैं और आपको क्रेडिट स्कोर गिरने की वजह बता रहे होते हैं। साथ ही स्कोर में सुधार के तरीके समझा रहे होते हैं, जिन्हें फॉलो करके आप कुछ ही समय में अपने स्कोर में सुधार होता हुए देख सकते हैं।