होम लोन प्रीपेमेंट से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
1. प्रीपेमेंट के लिए इमरजेंसी फंड का उपयोग न करें
इमरजेंसी फंड का मकसद अचानक आने वाली इमरजेंसी या वित्तीय तंगी के समय ज़रूरी खर्चों जैसे- EMI, किराया, बीमा प्रीमियम, बच्चों की फीस आदि को पूरा करना है। इस फंड में कम से कम 6 महीने के ज़रूरी खर्चों को पूरा करने जितनी रकम होनी चाहिए।
हालांकि, प्रीपेमेंट के लिए इमरजेंसी फंड का उपयोग करने से बचना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने पर आपात स्थिति में आपको अधिक ब्याज दरों पर लोन लेना पड़ सकता है या अपने ज़रूरी उद्देश्यों के लिए रखे गए निवेशों को तोड़ने की नौबत आ सकती है।
2. मौजूदा निवेशों से मिलने वाले रिटर्न को ध्यान में रखें
होम लोन की ब्याज दरें अन्य रिटेल लोन के मुकाबले कम होती हैं, लेकिन फिर भी ये दरें अधिकतर फिक्स्ड इनकम निवेशों जैसे- फिक्स्ड डिपॉज़िट, शॉर्ट-टर्म डेट फंड आदि से मिलने वाले रिटर्न से ज़्यादा हो सकती हैं।
ऐसे निवेशों से ज़्यादा ब्याज लाभ न मिलने पर उनका इस्तेमाल प्रीपेमेंट के लिए करना समझदारी है। इसलिए जिन ग्राहकों के पास ऐसे निवेश हैं जो किसी बड़े वित्तीय लक्ष्य के लिए नहीं रखे गए हैं, वे उन्हें प्रीपेमेंट में इस्तेमाल कर सकते हैं।
3. प्रीपेमेंट कब करना है, तय करें
प्रीपेमेंट का मुख्य उद्देश्य ब्याज में बचत करना है। होम लोन के शुरुआती वर्षों में EMI में ब्याज का हिस्सा ज़्यादा होता है। लेकिन जैसे-जैसे अवधि पूरी होती जाती है, ईएमआई में मूलराशि का हिस्सा बढ़ता है और ब्याज कम होती जाती है।
अगर आपकी लोन अवधि लगभग पूरी होने वाली है, तो इस समय प्रीपेमेंट करने से ब्याज में सीमित बचत होगी। ऐसे में, प्रीपेमेंट के लिए रखी गई रकम को अगर कहीं निवेश करने से अधिक रिटर्न मिलता हो, तो प्रीपेमेंट के बजाय निवेश करना अधिक समझदारी भरा निर्णय हो सकता है।
4. EMI कम करें या अवधि घटाएं
होम लोन का प्रीपेमेंट करने पर आपको दो विकल्प दिए जाते हैं- पहला EMI कम करना जिससे मासिक किस्त घटेगी और हर महीने अतिरिक्त बचत होगी। दूसरा अवधि घटाना जिससे लोन जल्दी चुकता होगा और कुल ब्याज लागत में भी बचत होगी।
इनमें से कौन-सा विकल्प चुनना है, यह आपकी प्राथमिकता पर निर्भर करता है। अगर आप ब्याज में बचत करना चाहते हैं, तो अवधि घटाने का विकल्प चुनें और अगर हर महीने सेविंग करना चाहते हैं, तो EMI कम करें।
निष्कर्ष
अपने होम लोन का प्रीपेमेंट करने के अलावा कस्टमर होम लोन बैलेंस ट्रांसफर के ज़रिए भी अपने लोन की ब्याज लागत को कम कर सकते हैं। इस सुविधा के ज़रिए आप अपने मौजूदा लोन को किसी अन्य बैंक/एनबीएफसी में कम ब्याज दर और बेहतर शर्तों पर ट्रांसफर कर सकते हैं।
अगर आप प्रीपेमेंट करने की सोच रहे हैं, तो साथ में बैलेंस ट्रांसफर का भी विकल्प देखें और जिस विकल्प से अधिक बचत हो, उसे प्राथमिकता दें। अगर बैलेंस ट्रांसफर करते समय, नया बैंक/लोन संस्थान ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करे, तो उस पर विचार करना फायदेमंद हो सकता है। ओवरड्राफ्ट में आपके होम लोन अकाउंट को करेंट या सेविंग अकाउंट से लिंक किया जाता है जिसमें आप अतिरिक्त राशि जमा कर सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर निकाल सकते हैं। खाते का बैलेंस बकाया लोन से घटाने के बाद ब्याज को कैलकुलेट किया जाता है, जिससे आपको प्रीपेमेंट के साथ लिक्विडिटी का लाभ भी मिलता है।