किसी आवेदक का लोन आवेदन मंजूर करने से पहले बैंक व एनबीएफसी उसकी भुगतान क्षमता का आकलन करते हैं। वह पता करते हैं कि आवेदक समय पर लोन की ईएमआई चुकाने में सक्षम है या नहीं? यह जानने के लिए लोन संस्थान FOIR (फिक्स्ड इनकम टू ऑब्लिगेशन रेश्यो) का इस्तेमाल करते हैं। यह क्या होता है और कैसे आपके लोन मिलने की योग्यता को प्रभावित करता है, आगे लेख में समझें-
FOIR क्या होता है?
FOIR एक ऐसा वित्तीय मापदंड है जो बताता है कि आपकी कुल आय का कितना हिस्सा कर्ज़ चुकाने में खर्च होता है। इसमें आपकी मौजूदा (अगर कोई हो) और नए लोन की संभावित EMI शामिल होती है। इस तरह ये आपके मासिक इनकम और खर्चों के बीच के संतुलन को दर्शाता है।
कई बैंक या लोन संस्थान इसे EMI/NMI (इक्विटि मंथली इन्सटॉलमेंट/नेट मंथली इनकम) या EMI/GMI (EMI/ग्रॉस मंथली इनकम) रेश्यो भी कहते हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि गणना में नेट मासिक आय (कर कटौती के बाद) या ग्रॉस मासिक आय (कर कटौती से पहले) का उपयोग किया जा रहा है।
यह कैसे कैलकुलेट होता है?
बैंक व एनबीएफसी FOIR कैलकुलेट करने के लिए विशेष फॉर्मूले का इस्तेमाल करते हैं, जो इस प्रकार है- DTI = कुल मासिक कर्ज़ भुगतान/कुल मासिक आय×100
इसे उदाहरण से समझें- अगर आपकी मंथली इनकम ₹50,000 है और आपका निश्चित मासिक दायित्व ₹20,000 (₹1 लाख लोन की EMI समेत) तो आपका FOIR- (20,000 / 50,000 x 100) 40% होगा।
हालांकि कुछ लोन संस्थान, आवेदक की मासिक आय के साथ-साथ उसके मासिक खर्चों जैसे रेंट, इंश्योरेंस प्रीमियम और अन्य आवश्यक खर्चों को भी ध्यान में रखते हैं। इससे वे यह समझ पाते हैं कि आवेदक पर कुल कितना वित्तीय बोझ है। उदाहरण के तौर पर, अगर आवेदक का मासिक खर्च ₹15,000 है और इन्हें भी कैलकुलेशन में शामिल किया जाए, तो उसका FOIR बढ़कर 70% हो जाएगा।
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पर्सनल लोन योग्यता को FOIR कैसे प्रभावित करता है?
आमतौर पर बैंक व एनबीएफसी ऐसे आवेदकों को लोन देना पसंद करते हैं जिनका EMI/NMI रेश्यो 50-55% के बीच होता है। FOIR लिमिट इससे अधिक होने पर लोन मिलने की संभावना कम हो जाती है। हालांकि आप लोन की अवधि बढ़ाकर या फिर लोन राशि कम करके अपने लोन पाने की योग्यता को बढ़ा सकते हैं। बता दें, कुछ बैंक व एनबीएफसी अधिक इनकम वाले आवेदकों के लिए ज़्यादा FOIR लिमिट तय रखते हैं।
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FOIR कैसे कम करें?
अगर FOIR ज़्यादा होने से पर्सनल लोन मिलने में दिक्कत हो रही हो तो आप नीचे बताए गए तरीकों के माध्यम से इसे कम कर सकते हैं-
- लोन की अवधि बढ़ाएं- FOIR ज़्यादा होने पर लोन की अवधि बढ़ाएं, इससे आपकी लोन रिपेमेंट अवधि बढ़ जाएगी और मासिक किस्त कम हो जाएगी, जिससे FOIR में सुधार हो सकता है।
 - एक सह-आवेदक जोड़ें- अपने परिवार के किसी कमाऊ सदस्य को अपने लोन में सह-आवेदक यानी को-एप्लीकेंट के रूप में जोड़ें। इससे आपकी भुगतान क्षमता में सुधार होगा क्योंकि सह-आवेदक भी लोन भुगतान में बराबरी का भागीदार होता है। इस तरह सह-आवेदक जोड़ने से आपका FOIR कम हो जाएगा।
 
