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आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने में कुछ दस्तावेज़ ज़रूरी होते हैं, जो आपकी आय और टैक्स देयता का सही प्रमाण देते हैं। इन दस्तावेज़ों को पहले से तैयार रख कर आप रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया को आसान और त्रुटिरहित बना सकते हैं। हालांकि ये दस्तावेज़ आपकी वार्षिक आय और आय के स्रोत जैसे- सैलरी, बिज़नेस प्रॉफिट, इंटरेस्ट इनकम, निवेश से होने वाले लाभ आदि के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं आईटीआर फाइल करने में किसे किन डॉक्यूमेंट्स की ज़रूरत होती है।
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के आकलन वर्ष (असेसमेंट ईयर)- 2025-26 के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ों की लिस्ट निम्न प्रकार है:
यह सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक पहचान कार्ड होता है, जिस पर 10 अल्फान्यूमेरिक डिजिट होते हैं। यह आईटीआर फाइल करने के लिए सबसे ज़रूरी दस्तावेज़ों में से एक होता है। साथ ही TDS कटौती के लिए भी पैन ज़रूरी होता है। इतना ही नहीं, आयकर रिफंड की राशि सीधे आपके बैंक खाते में आए इसके लिए पैन कार्ड का बैंक खाते से लिंक होना आवश्यक है।
यह UIDAI द्वारा जारी किया जाता है। इसमें आपकी बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक डिटेल्स होती है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139AA के तहत ITR फाइल करते समय आधार कार्ड डिटेल्स देना अनिवार्य होता है। अगर आपके पास आधार कार्ड है और आपने आईटीआर फाइल किया है, तो ऐसे मामले में आपको अपना आधार एनरोलमेंट नबंर देना होगा।
साथ ही आधार कार्ड को पैन से लिंक करना अनिवार्य है। इससे आपका आईटीआर OTP के जरिए ऑनलाइन ही वैरिफाई हो जाता है। अगर आपने अब तक आधार को पैन से लिंक नहीं किया है तो यहाँ जानें कि आधार को पैन कार्ड से कैसे लिंक करें।
फॉर्म 16 या सैलरी सर्टिफिकेट आपको आपके एंप्लॉयर (Employer) द्वारा जारी किया जाता है, इसमें एक वित्तीय वर्ष के दौरान दी गई सैलरी, काटा गया टैक्स और जमा किए गए टैक्स का विवरण होता है। अगर नियोक्ता ने टैक्स काटा है, तो उसके लिए फॉर्म 16 जारी करना अनिवार्य है।
फॉर्म 16 दो भागों – पार्ट A और पार्ट B – में होता है, जिन पर TRACES का लोगो (Logo) और यूनिक आईडी होती है। नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए आयकर रिटर्न (ITR) भरने में यह एक अनिवार्य दस्तावेज़ है।
नौकरीपेशा व्यक्तियों को ITR फाइल करते समय अलग-अलग माह की सैलरी स्लिप देना अनिवार्य है।
फॉर्म 16A एक टीडीएस सर्टिफिकेट है, जिसे बैंक, कॉन्ट्रैक्टर आदि द्वारा तब जारी किया जाता है, जब फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD), रिकरिंग डिपॉज़िट आदि से प्राप्त आय पर टीडीएस काटा जाता है। भूमि और संपत्ति के खरीदारों को, टीडीएस काटने के लिए, जिस व्यक्ति से वे खरीदारी कर रहे हैं उसे फॉर्म 16B देना होता है। यदि संपत्ति ₹50 लाख से अधिक में बेची जा रही है, तो TDS काटना अनिवार्य है।
वहीं, जिनकी किराये की आय ₹50,000 या उससे अधिक है, उन्हें अपने किरायेदार से फॉर्म 16C लेना चाहिए। नए आयकर नियमों के अनुसार, जो किरायेदार ₹50,000 या उससे अधिक मासिक किराया देते हैं, उन्हें वार्षिक किराये की राशि से टीडीएस काटना आवश्यक है।
आईटीआर फाइल करते समय आपको अपने सभी एक्टिव बैंक अकाउंट्स की जानकारी देना अनिवार्य है। इन जानकारियों में आपका बैंकिंग नाम, अकाउंट नंबर, IFSC कोड, अकाउंट का प्रकार और कितने अकाउंट हैं आदि शामिल होता है। बैंक अकाउंट से आपकी आय संबंधी जानकारी, बड़े लेन-देन को वैरिफाई किया जाता है। साथ ही आपको अपने बताए गए खातों में से एक प्राइमरी अकाउंट चुनना होता है, जिसमें, आयकर विभाग द्वारा रिफंड (अगर कोई हो) जमा किया जा सके।
आईटीआर फाइल करते समय बैंक अकाउंट स्टेटमेंट या पासबुक की आवश्यकता होती है। ताकि एक वित्तीय वर्ष के दौरान सेविंग्स अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉज़िट पर प्राप्त ब्याज आय आदि की जानकारी मिल सके।
टैक्स सेविंग निवेश और खर्चों के प्रमाण जैसे– लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम की रसीद, हेल्थ इंश्योरेंस रसीद, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) पासबुक, फिक्स्ड डिपॉज़िट की रसीद, होम लोन रिपेमेंट का प्रमाण, ट्यूशन फीस की रसीद, म्यूचुअल फंड का कंसोलिडेट अकाउंट स्टेटमेंट, एजुकेशन लोन रिपेमेंट सर्टिफिकेट आदि, जैसे डॉक्यूमेंट्स इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय कटौती का दावा करने के लिए ज़रूरी होते हैं। हालांकि इन कटौतियों (डिडिक्शन) का लाभ केवल तभी लिया जा सकता है जब आप ITR भरते समय पुराना टैक्स रिजिम (Old Tax Regime) चुनते हैं।
आमतौर पर, ये प्रमाण कर्मचारी अपने नियोक्ता (एंप्लॉयर) को देते हैं ताकि उनकी सैलरी पर ज़्यादा TDS न कटे। ये प्रमाण फॉर्म 16 के पार्ट B में दर्ज होते हैं, और आयकर विभाग इन्हीं जानकारियों का उपयोग करके इसे ITR फॉर्म में पहले से भर देता है। हालांकि अगर आप किसी टैक्स सेविंग प्रूफ को दर्ज करना भूल जाते हैं तो इसे ITR फाइल करते समय क्लेम कर सकते हैं।
यह फॉर्म टैक्स पासबुक की तरह होता है, जिसमें साल भर के सभी टैक्स-संबंधी लेन देन का रिकॉर्ड होता है। मसलन पैन कार्ड से जुड़ी आय पर काटे गए TDS, टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS), एडवांस टैक्स, सेल्फ असेसमेंट टैक्स और रिफंड से जुड़ी जानकारियां आदि। आईटीआर फाइल करते समय आपकी आय व टैक्स डिडक्शन वैरिफिकेशन के लिए इस डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल किया जाता है। आप इस फॉर्म को इनकम टैक्स के पोर्टल से डाउनलोड कर सकते हैं।
प्रॉपर्टी, म्यूचुअल फंड, शेयर या अन्य सिक्योरिटीज़ को बेचने पर होने वाले लाभ को कैपिटल गेन और नुकसान को कैपिटल लॉस कहा जाता है। इसके लिए आपके पास संपत्ति की सेल डीड, ब्रोकर स्टेटमेंट, आदि जैसे आवश्यक दस्तावेज़ होना ज़रूरी है।
अगर आपके पास एक वित्तीय वर्ष में अनलिस्टेड शेयर रहे हैं तो इनके बारे में आपको ITR फाइल करते समय बताना ज़रूरी हो जाता है। साथ ही, ऐसे मामलों में आपको आईटीआर फॉर्म-1 के बजाय ITR फॉर्म 2 भरना चाहिए।
अगर आपने किसी बैंक या एचएफसी से होम लोन लिया है तो आपके पास पिछले वित्तीय वर्ष का भी लोन स्टेटमेंट होना चाहिए। इसमें आपके द्वारा चुकाए गए प्रींसिपल लोन अमाउंट और इंटरेस्ट का ब्यूरा होता है। इस हिसाब से यह डॉक्यूमेंट आयकर रिटर्न ( ITR) भरते समय जानकारी देने और प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक हो जाता है।
अगर आप मकान या प्रॉपर्टी से रेंटल इनकम प्राप्त करते हैं तो इसे आईटीआर फाइल करते समय बताना ज़रूरी होता है। इसी तरह, अगर आप किराए का भुगतान करते हैं तो मकान मालिक से किराये की रसीद ज़रूरी लें, इसे ITR फाइल करते समय जमा नहीं करना होता लेकिन इन्हें सुरक्षित रखना चाहिए, ताकि ज़रूरत पड़ने पर अपने नियोक्ता या आयकर विभाग को दिखा सके।
अगर आपने विदेश में नौकरी करते हुए विदेशी आय अर्जित की है, तो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय इसके बारे में भी बताना होता है। इससे संबंधित दस्तावेज़ जमा करना होता है। इसी तरह अगर आप म्यूचुअल फंड या शेयरों में निवेश करते हैं और उस पर डिविडेंड मिलता है तो आईटीआर फाइल करते समय इसके बारे में भी रिपोर्ट करना अनिवार्य है।
| इनकम का प्रकार/टैक्स सेविंग निवेश | दस्तावेज़ के नाम |
| सैलरी इनकम |
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| कैपिटल गेन इनकम |
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| अन्य स्रोत से प्राप्त आय |
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| बिज़नेस से प्राप्त आय |
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| टैक्स सेविंग निवेश |
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| HRA एग्म्पशन |
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| मेडिकल खर्चों पर टैक्स डिडक्शन |
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| लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) |
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ध्यान दें कि सभी आईटीआर फॉर्म एनेक्सचर-लेस होते हैं, यानी ITR फाइल करते समय आपको कोई दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, कुछ मामलों में आपको निवेश प्रमाण-पत्र जैसे दस्तावेज़ अपने नियोक्ता को समय-समय पर उपलब्ध कराने पड़ सकते हैं। साथ ही, आपको अपने सभी संबंधित दस्तावेज़ सुरक्षित और तैयार रखने चाहिए, ताकि आयकर विभाग द्वारा कभी जांच होने पर आप उन्हें तुरंत ये डॉक्यूमेंट्स दिखा सकें।