इनकम टैक्स डिपार्टमेंट एक सरकारी एजेंसी है, जो सरकार की ओर से कर वसूलने का काम करती है। ये विभाग मुख्य रूप से आयकर अधिनियम 1961 सहित विभिन्न आयकर कानूनों को लागू करता है। साथ ही व्यक्तियों, फर्मों, कंपनियों, सोसाइटियों, स्थानीय निकायों आदि से केंद्र सरकार की ओर से कर वसूलता है। आयकर विभाग को आमतौर पर आईटी डिपार्टमेंट भी कहा जाता है, यह सीधे वित्त मंत्रालय के अधीन काम करता है और इसका संचालन शीर्ष संस्था केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा किया जाता है।
भारत में IT डिपार्टमेंट के ज़रूरी काम
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का प्रमुख कार्य व्यक्तियों के आय पर कर वसूलना होता है, जिसे इनकम टैक्स कहते हैं। यह एक प्रत्यक्ष कर होता है यानी सीधे आय पर लिया जाने वाला कर है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अन्य ज़रूरी काम निम्नलिखित हैं-
- आईटीआर का मूल्यांकन- इसके तहत इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ये चेक करती है कि इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय टैक्सपेयर्स ने अपनी आय सही बताई है या नहीं।
- अधूरी/गलत ITR पर नोटिस भेजना- अगर टैक्सपेयर द्वारा सही तरीके से आईटीआर फाइल नहीं किया है, तो आईटी डिपार्टमेंट उन्हें नोटिस भेजता है। और इस नोटिस में बताए गए निर्देशों का पालन न करने पर आयकर विभाग द्वारा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- टैक्स रिफंड प्रोसेस करना- अगर किसी असेसी ने ज़रूरत से ज़्यादा टैक्स जमा कर दिया है, तो आयकर विभाग उसका रिफंड प्रोसेस करता है। लेकिन यह तभी संभव है जब असेसी अपना ITR फाइल करे और रिफंड का क्लेम करे।
- इनकम टैक्स चोरों पर नज़र रखना- आयकर विभाग के अधिकारी उन लोगों पर सख़्त नज़र रखते हैं जो आय छिपाकर, बड़े लेन-देन डिक्लेयर न करके या ब्लैक मनी के ज़रिए टैक्स चोरी करते हैं। ऐसे मामलों में विभाग संबंधित व्यक्ति या संस्था पर छापामारी करता है। यह कार्रवाई अक्सर अन्य जांच एजेंसियों जैसे सेंट्रल विजिलेंस कमीशन और स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के साथ मिलकर की जाती है।
CBDT और इनकम टैक्स (IT) का संबंध
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) एक स्टेट्यूरी बॉडी है, जो केन्द्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम 1963 के तहत काम करता है। इसका सबसे अहम काम भारत में प्रत्यक्ष कर नीतियों (Direct Tax Policies) को लागू करने से जुड़े सभी नियम और प्रक्रियाएं तय करना है।
CBDT ही वह संस्था है, जो तय करती है कि टैक्स से जुड़े नियम कैसे लागू होंगे। मतलब कौन-सा नियम कब लागू होगा, उसमें क्या बदलाव होंगे आदि ये सब CBDT के सर्कुलर, ऑर्डर और नोटिफिकेशन से ही पता चलता है।
चूंकि आयकर (Income Tax) एक प्रत्यक्ष कर है, तो इसका जिम्मा भी आयकर विभाग का ही होता है। लेकिन आयकर विभाग अपनी मर्ज़ी से काम नहीं करता बल्कि उसे जो गाइडलाइंस और निर्देश CBDT से मिलते हैं वह उसी हिसाब से टैक्स वसूलता और नियम लागू करता है। संक्षेप में कहे तो CBDT नियम बनाता है और आयकर विभाग उन्हीं नियमों के आधार पर काम करता है।
ये भी पढ़ें- फॉर्म 26AS कैसे डाउनलोड करें
IT डिपार्टमेंट द्वारा मैनेज और ऑपरेट किए जाने वाले वेबसाइट
आईटी डिपार्टमेंट कई तरह की ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करता है। जो निम्नप्रकार हैं-
- ऑफिशियल आईटी डिपार्टमेंट वेबसाइट
- इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट
- TDS रीकंसीलेशन एनालिसिस एंड कनेक्शन एनबलेंग सिस्टम (TRACES) वेबसाइट
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) वेबसाइट
इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट पर मुफ्त में इस्तेमाल किए जाने वाले टूल
आप इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट पर ITR फाइल करने के अलावा वहां मौजूद मुफ्त टूल्स का इस्तेमाल भी कर करते हैं, जो आपके काम को आसान बनाने में मदद करते हैं। नीचे इनके बारे में विस्तार से बताया गया है-
- इनकम और टैक्स कैलकुलेटर- इस टूल की मदद से करदाता अपनी कुल आय और उस पर लगने वाला टैक्स कैलकुलेट कर सकते हैं। इसमें अलग-अलग इनकम हेड्स जैसे कृषि आय, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के साथ-साथ विभिन्न सेक्शन्स में किए गए निवेश और धारा 87A के तहत मिलने वाली छूट आदि शामिल होते हैं।
- डेफर्ड टैक्स कैलकुलेटर– जब कंपनी या व्यक्ति के अकाउंटिंग बुक्स और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कैलकुलेशन में फर्क होता है, तब डेफर्ड की स्थिति बनती है। ऐसे में AS22 प्रावधानों के तहत आप पर कितना टैक्स बनता है, आप इस टूल की मदद से कैलकुलेटर कर सकते हैं।
- टैक्स कैलकुलेटर- टैक्स कितना भरना होगा? जानने के लिए इस टूल में बस अपनी टैक्सबल इनकम दर्ज करें और संबंधित असेसमेंट ईयर के हिसाब से आपकी टैक्स देनदारी जान सकते हैं।
- एडवांस टैक्स कैलकुलेटर- इससे आप हर क्वार्टर में देय एडवांस टैक्स का अनुमान अपनी टैक्सेबल इनकम के आधार पर निकाल सकते हैं।
- TDS कैलकुलेटर– यह टूल रेज़िडेंट्स और नॉन-रेज़िडेंट्स को किए गए पेमेंट पर लागू TDS की राशि निकालने में मदद करता है।
- ग्रेच्यूटी कैलकुलेटर– इस टूल की मदद से एंप्लॉयर- किसी कर्मचारी को मिलने वाली ग्रेच्यूटी, उस पर लगने वाला टैक्स और छूट आदि आसानी से कैलकुलेट कर सकते हैं।
- हाउस रेंट अलाउंस (HRA) कैलकुलेटर– इस टूल की मदद से टैक्सपेयर आसानी से सेक्शन 10(13A) के तहत टैक्सेबल और टैक्स-फ्री HRA की राशि निकाल सकते हैं।
इन टूल्स के अलावा, आप e-filing वेबसाइट से कुछ ज़रूरी टैक्स सॉफ्टवेयर भी डाउनलोड कर सकते हैं, मसलन-
- आईटी रिटर्न प्रिपरेशन सॉफ्टवेयर- ITR फाइलिंग को आसान बनाने के लिए।
- अन्य फॉर्म प्रिपरेशन सॉफ्टवेयर- अलग-अलग टैक्स फॉर्म भरने के लिए।
- DSC मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर- डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट को मैनेज करने के लिए।
इनकम टैक्स नोटिस क्या है और मिलने पर क्या करें?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कई कारणों से टैक्सपेयर को नोटिस भेजता है। इनमें गलत ITR फाइल करना, गलत ITR फॉर्म का इस्तेमाल करना, या फिर ITR फाइल न करना (जबकि क्रेडिट कार्ड बिल सालाना ₹2 लाख से अधिक हों) जैसे मामले शामिल हैं।
नोटिस मिलना हमेशा चिंता की बात नहीं होती। ज़्यादातर मामलों में यह केवल इनकम टैक्स असेसिंग ऑफिसर द्वारा स्पष्टीकरण या अतिरिक्त जानकारी मांगने का एक तरीका होता है, ताकि ITR फाइलिंग से जुड़ी किसी भी गड़बड़ी या चूक को समझा जा सके।
इनकम टैक्स नोटिस मिलने पर ये करें-
1. ध्यान से पढ़ें- इनकम टैक्स नोटिस मिलने पर परेशान न हो, नोटिस को ध्यान से पढ़ें। और उसमें निम्नलिखित डिटेल्स अच्छे से चेक करें-
- पूरा नाम
- पैन
- असेसमेंट ईयर
- जारीकर्ता ऑफिसर
2. डिस्क्रेपेंसी (अंतर) पहचानें- जब यह सुनिश्चित कर लें कि नोटिस वास्तव में आपके नाम पर ही है, तो इसके बाद उसमें बताई गई गलती या अंतर को ढूँढ़ें। ज़्यादातर मामलों में टैक्स की गणना और आपके द्वारा भरे गए टैक्स की राशि में अंतर ही इसकी वजह होता है। कुछ सामान्य डिस्क्रेपेंसी निम्न प्रकार हो सकती हैं:
- TDS राशि में अंतर
- आपके द्वारा भरे गए ITR में अंतर
- दस्तावेज़ों की कमी
- टैक्स रिटर्न का फाइल न करना
- हाई वैल्यू- ट्रांजेक्शन
- आश्रितों या अपने पति/पत्नी आदि के नाम पर किए गए निवेश
3. इस अंतर को बताने के लिए एक प्लान बनाएं- इनकम टैक्स की तरफ से मिले नोटिस का जवाब एक निर्धारित समय में देना होता है। अगर आप नोटिस का जवाब देरी से देते हैं तो इस पर फाइन लग सकता है, जो 10,000 रु. तक हो सकता है।