बेहतर लोन सुविधाओं और बढ़ती जीवनशैली की इच्छाओं के चलते आज कई लोग एक से अधिक लोन ले रहे हैं। लेकिन अधिक लोन लेना आपकी बचत पर बोझ डाल सकता है, और अगर कभी आय रुक जाए या नौकरी चली जाए, तो डिफॉल्ट या कर्ज़ के जाल में फंसने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, जिन लोगों पर कई लोन का बोझ है, उन्हें अपने सभी लोन को समझदारी के साथ सही समय पर चुकाना सीखना चाहिए। नीचे दिए गए कुछ आसान और असरदार टिप्स की मदद से आप कई लोन को एक साथ मैनेज कर सकेंगे।
1. डेब्ट कंसोलिडेशन का विकल्प चुनें
डेब्ट कंसोलिडेशन का मतलब है अपने कई लोन को मिलाकर एक ऐसा नया लोन लेना, जिसकी ब्याज दर कम हो। इससे अलग-अलग लोन की जगह एक ही लोन होता है, जिससे किस्तें (EMIs) चुकाना आसान हो जाता है और कुल ब्याज का बोझ भी कम होता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में नए लोन से जुड़ी फीस, प्रोसेसिंग चार्ज और पुराने लोन के प्री-पेमेंट या ट्रांसफर चार्ज को भी ध्यान में रखना बेहद ज़रूरी है। इससे आपको सही अंदाज़ा लगेगा कि वास्तव में कितनी बचत हो रही है। अगर आपकी EMI चुकाने की क्षमता सीमित है, तो आप नए लोन में लंबी अवधि का विकल्प चुन सकते हैं ताकि मासिक बोझ कम हो।
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2. बैलेंस ट्रांसफर का उपयोग करें
बैलेंस ट्रांसफर विकल्प चुनने से ग्राहक अपने मौजूदा लोन को कम ब्याज दरों पर अन्य बैंक को ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे उन्हें अपनी कुल ब्याज लागत और ईएमआई का बोझ कम करने में मदद मिलती है। बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनने से पहले ग्राहक अपने मौजूदा बैंक से ब्याज दरें कम करने के लिए बातचीत कर सकते हैं। यदि उनके बैंक ऐसा करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें अपने मौजूदा लोन को कम ब्याज दर वाले अन्य बैंक को ट्रांसफर कर देना चाहिए। हालांकि, बैलेंस ट्रांसफर का निर्णय लेने से पहले मौजूदा बैंक के प्री-पेमेंट चार्ज, और नए बैंक के प्रोसेसिंग फीस व अन्य शुल्कों पर ध्यान देना ज़रूरी है। यह कदम तभी उठाएं जब ब्याज में होने वाली बचत, ट्रांसफर की लागत और मेहनत से ज़्यादा हो।
3. अतिरिक्त राशि से अपने बकाया लोन का भुगतान करें
अपने मौजूदा लोन का आंशिक या पूर्ण भुगतान (प्रीपेमेंट या फोरक्लोज़र) करना, खासकर लोन अवधि के शुरुआती वर्षों में, ब्याज लागत को काफी हद तक कम कर सकता है। इसलिए, जब भी अतिरिक्त राशि हो, लोन का भुगतान करने पर विचार करना चाहिए और शुरुआत उन लोन से करनी चाहिए जिनकी ब्याज दर सबसे अधिक है। हालांकि, पूर्व भुगतान करने से पहले उससे जुड़ी प्री-पेमेंट फीस या अन्य चार्ज को ध्यान में ज़रूर रखें। आरबीआई नियमों के अनुसार, बैंकों को फ्लोटिंग रेट वाले लोन पर प्री-पेमेंट चार्ज लगाने की अनुमति नहीं है, लेकिन फिक्स्ड रेट वाले लोन पर वे शुल्क वसूल सकते हैं। इसलिए, फिक्स्ड ब्याज दर वाले लोन का पूर्व भुगतान तभी करें जब ब्याज में होने वाली बचत, इन शुल्कों से ज़्यादा हो।
प्रीपेमेंट के लिए यदि आप अपनी निवेश राशि का उपयोग करना चाहते हैं, तो सबसे पहले फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स जैसे फिक्स्ड डिपॉज़िट, डेट फंड आदि से शुरुआत करें, क्योंकि इन पर मिलने वाला रिटर्न आमतौर पर लोन की ब्याज दर से कम होता है। लेकिन ध्यान रखे इमरजेंसी फंड या महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्यों के लिए रखी गई बचत को कभी भी लोन प्रीपेमेंट या फोरक्लोज़र के लिए इस्तेमाल न करें। ऐसा करने से ज़रूरत के समय आपको फिर से अधिक ब्याज दर पर नया लोन लेना पड़ सकता है, जो आपकी वित्तीय स्थिरता पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
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4. अपने इमरजेंसी फंड में EMI को भी शामिल करें
जिन लोगों के पास एक से अधिक लोन हैं, उन्हें इमरजेंसी फंड तैयार करते समय अपनी सभी मौजूदा EMI और अन्य लोन को ध्यान में रखना चाहिए। ऐसा करने से आय में रुकावट या किसी वित्तीय आपात स्थिति के दौरान भी लोन की किस्तें समय पर चुकाई जा सकेंगी। इससे देर से भुगतान पर लगने वाले जुर्माने, अतिरिक्त ब्याज और क्रेडिट स्कोर पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से बचाव होगा। आमतौर पर, नौकरीपेशा व्यक्तियों को अपने इमरजेंसी फंड में कम से कम 6 महीने की EMI का प्रावधान रखना चाहिए। वहीं, स्व-नियोजित व्यक्तियों या जिनकी नौकरी स्थिर नहीं है, उन्हें कम से कम 12 महीने की EMI का फंड तैयार रखना चाहिए। यह आदत उन्हें अनिश्चित परिस्थितियों में भी वित्तीय रूप से सुरक्षित रखेगी।
5. नियमित रूप से अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें
क्रेडिट रिपोर्ट में आपके सभी लोन और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारियां होती हैं, जिन्हें बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान क्रेडिट ब्यूरो को भेजते हैं। इन्हीं जानकारियों के आधार पर आपका क्रेडिट स्कोर तय होता है। अगर बैंक या लोन संस्था की ओर से कोई गलती (जैसे गलत भुगतान जानकारी) या किसी तरह की धोखाधड़ी गतिविधि दर्ज हो जाए, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचा सकती है और भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड पाने की संभावना को प्रभावित कर सकती है।
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इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप समय-समय पर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करें। अगर किसी भी तरह की गलत जानकारी मिले, तो तुरंत संबंधित क्रेडिट ब्यूरो को सुधार के लिए सूचित करें। कोई भी व्यक्ति या तो वर्ष में एक बार प्रत्येक क्रेडिट ब्यूरो से अपनी निःशुल्क क्रेडिट रिपोर्ट प्राप्त कर सकते है या मासिक अपडेट के साथ अपनी निःशुल्क क्रेडिट रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन फाइनेंशियल प्लेटफॉर्म्स पर जा सकते है, ताकि किसी भी गलती या गड़बड़ी का समय रहते पता चल सके और उसमे सुधार किया जा सके।
